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Bhopal.
राज्य सरकार ने अब नई योजनाओं को शुरू करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी अनिवार्य कर दी है। वित्त विभाग ने इस संबंध में सभी विभागाध्यक्षों को सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि 50 करोड़ से अधिक बजट वाली किसी भी योजना पर पहले वित्त विभाग से अनुमति लेना आवश्यक होगा।
सर्कुलर के मुताबिक, किसी भी नई योजना का प्रस्ताव तीन चरणों में जांचा जाएगा। पहली समिति विभागीय स्तर पर गठित होगी, जिसमें प्रशासकीय विभाग के भारसाधक सचिव अध्यक्ष होंगे। यह समिति 50 करोड़ रुपए तक की योजनाओं को प्रशासकीय स्वीकृति दे सकेगी।
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वित्त की निगरानी में स्वीकृति
सर्कुलर में कहा गया कि 50 करोड़ से अधिक लेकिन 200 करोड़ तक के बजट वाली योजना की मंजूरी वित्तीय व्यय समिति देगी। यह वित्त विभाग की निगरानी में काम करेगी। फाइनेंस के भारसाधक सचिव इसके अध्यक्ष होंगे।इस समिति से स्वीकृत योजनओं के लिए वित्त मंत्री की अनुशंसा जरूरी होगी।
बजट ज्यादा तो कैबिनेट की मंजूरी जरूरी
परिपत्र में कहा गया कि किसी भी नई योजना का बजट यदि दो सौ करोड़ से अधिक है तो इसकी स्वीकृति परियोजना परीक्षण समिति देगी। मुख्य सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे। समिति से स्वीकृति प्रस्ताव पहले वित्त को इसके बाद कैबिनेट में भेजे जा सकेंगे।
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सौ करोड़ से अधिक राजस्व खर्च पर नियंत्रण
परिपत्र में सौ करोड़ तक के राजस्व खर्च पर भी नकेल कसी गई है। इस तरह के प्रस्तावों के लिए सौ करोड़ तक वित्त एवं इससे अधिक राशि वाले प्रस्ताव के लिए मुख्यसचिव का अनुमोदन जरूरी होगा। इसमें परियोजना से जुड़े नियमित एवं संविदा पदों की स्वीकृति आदि शामिल रहेंगे। सी एस के अनुमोदन एवं कैबिनेट से मंजूरी के बाद ही ऐसे प्रस्तावों पर अमल किया जा सकेगा।
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लागत बढ़ी तो समितियों का फैसला जरूरी
यदि किसी परियोजना की लागत 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ती है तो अब संबंधित विभाग अकेले निर्णय नहीं ले सकेंगे । इसे सक्षम समिति की स्वीकृति लेनी होगी।
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साधिकार समितियों पर भी अंकुश
वित्त विभाग ने कैम्पा फंड , एनव्हीडीए, आईटी, विदेशी सहायता व पीपीपी मोड जैसी साधिकार समितियों के अधिकार भी सीमित कर दिए हैं। अब इन्हें भी अन्य विभागों जैसी प्रक्रिया अपनानी होगी।
16वें वित्त आयोग से पहले की तैयारी
सर्कुलर के अनुसार, 16वां केंद्रीय वित्त आयोग 1 अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2031 तक कार्य करेगा। इस अवधि के लिए राज्य की योजनाओं को पहले से मंजूरी दिलाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
वित्त विभाग के उप सचिव आशीष नंदनवार ने कहा कि आयोग के गठन से पूर्व भावी योजनाओं की जानकारी देना और सक्षम अनुमति लेना जरूरी है। यह परिपत्र उसी प्रक्रिया का हिस्सा है।