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Photograph: (THESOOTR)
INDORE. मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के गौतमपुरा में धोक पड़वा पर आयोजित हिंगोट युद्ध (Hingot War) इस वर्ष लगभग डेढ़ घंटे तक चला। यह परंपरागत युद्ध मालवा क्षेत्र में लोकआस्था, साहस और शौर्य का प्रतीक माना जाता है।
मैदान में गौतमपुरा और रूणजी के तुर्रा एवं कलंगी दल आमने-सामने खड़े हुए और एक-दूसरे पर जलते हुए हिंगोट (बारूद से भरे अग्निबाण) फेंकते रहे।
परंपरा और आस्था में हुए घायल
ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर वंदना केसरी ने बताया कि गौतमपुरा का हिंगोट युद्ध में 35 से अधिक लोग घायल हुए। इसमें से 30 का इलाज मौके पर ही किया गया। वहीं थाना प्रभारी के अनुसार, गौतमपुरा और आसपास के 44 लोग हल्की-फुल्की चोटों से प्रभावित हुए। कुछ को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा महावीर अस्पताल भेजा गया।
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जीत नहीं, जांबाजी का प्रदर्शन
ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह प्रतिद्वंद्विता जानलेवा युद्ध नहीं, बल्कि साहसिक परंपरा का उत्सव है। पारंपरिक युद्ध में किसी की जीत या हार नहीं मानी जाती। वीरता, साहस और शौर्य का प्रदर्शन ही वास्तविक मकसद है
सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ का उत्साह
मालवा की परंपरा में इस युद्ध के दौरान 15 हजार से अधिक दर्शक मौजूद थे। 200 से अधिक पुलिसकर्मियों को मैदान में सुरक्षा हेतु लगाया गया। 15 फीट ऊंचे बैरिकेड्स दर्शकों की सुरक्षा के लिए लगाए गए थे। रात के अंधेरे में हिंगोट दूर-दूर तक गिरते रहे और इसी से अधिकतर लोग घायल हुए।
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2017 में लगाई थी जनहित याचिका
2017 की घटना के बाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई। याचिका में परंपरा पर रोक लगाने की मांग की गई, लेकिन अदालत ने अब तक अंतिम फैसला नहीं दिया है। मामले की अगली सुनवाई लंबित है।