नील तिवारी @ jabalpur. जबलपुर में प्राइवेट स्कूलों ( private schools ) के खिलाफ मिली शिकायतों के बाद जबलपुर कलेक्टर ने खुली सुनवाई रखी। इसमें स्कूलों के लूट के तरीके खुलकर सामने आ गए। सुनवाई में अभिभावकों के आरोपों पर स्कूल प्रबंधन को जवाब देने थे। इस दौरान स्कूल प्रबंधन के ऐसे कारनामे सामने आए, जिसे सुनकर इन्हें लुटेरा कहना ही उचित होगा। जहां कुछ स्कूलों ने अवैध रूप से फीस बढ़ाकर करोड़ों रुपए की वसूली कर ली तो कुछ स्कूलों द्वारा बस पास, पिज्जा पार्टी और दूसरे राज्य से यूनिफॉर्म मंगाने जैसे तरीकों से भी अभिभावकों को लूटने का मामला सामने आया है।
बिना अनुमति मनमानी वसूली
जबलपुर में मनमानी फीस वृद्धि कर रहे स्कूलों ने नियमों को ताक पर रखा हुआ है। मध्य प्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम 2017 के अनुसार मध्य प्रदेश में किसी भी निजी विद्यालय को 10% या उससे कम फीस वृद्धि की सूचना पोर्टल पर अपलोड कर जिला समिति को देनी होती है। वहीं 10% से 15% तक की वृद्धि करने के लिए इसकी जानकारी औचित्य सहित पोर्टल में अपलोड कर अभिलेख सहित जिला समिति को आवेदन करना होता है। इसी तरह 15% से अधिक शुल्क वृद्धि के लिए यह आवेदन राज्य समिति को प्रेषित किया जाता है। जबलपुर में निजी स्कूलों के द्वारा करोड़ों रुपए की अवैध फीस वसूली के आंकड़े सामने आए।
इन स्कूलों ने की अवैध वसूली
सत्य प्रकाश पब्लिक स्कूल ने साल 2018 से 2024 तक लगभग 3 करोड़ 50 लाख की नियम विरुद्ध फीस वृद्वि कर अभिभावकों से रकम वसूली है। इसी तरह ज्ञान गंगा ऑर्किड इंटरनेशनल स्कूल ने वर्ष 2019 से 2024 तक लगभग 1 करोड़ 40 लाख की वसूली की तो लिटिल वर्ल्ड स्कूल ने लगभग 1 करोड़ 24 लाख और अजय सत्य प्रकाश ने स्कूल ने लगभग 2 करोड़ 62 लाख की अतिरिक्त फीस वृद्धि की।
लूट में अव्वल ज्ञान गंगा इंटरनेशनल स्कूल
फीस वृद्धि कर लूट में तो सत्यप्रकाश स्कूल सबसे आगे है पर अलग-अलग तरीकों से अभिभावकों की जेब ढीली करने में ज्ञान गंगा स्कूल को महारत हासिल है। जबलपुर के भेड़ाघाट रोड पर स्थित ज्ञान गंगा ऑर्किड इंटरनेशनल स्कूल में अभिभावकों की जेब में डाका डालने हर संभव पैंतरे का इस्तेमाल किया हैं।
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बेंगलुरु से आती हैं यूनिफार्म और किताबें
इस स्कूल में छात्रों को यूनिफॉर्म स्कूल से ही खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है । स्कूल प्रबंधन ने यह बात खुद जिला कलेक्टर के सामने स्वीकार की है कि उनकी किताबें बेंगलुरु के प्रकाशक से छपकर आती हैं जो शहर में कहीं और उपलब्ध नहीं है। स्कूल के द्वारा यूनिफॉर्म भी बेंगलुरु से मंगा कर दी जाती है, जिसके एवज में अभिभावकों से मोटी रकम वसूली जाती है। स्कूल में नियम विरुद्ध विशेष प्रकाशक को किताबों के लिए नियुक्त किया है और किताबों की बिक्री बढ़ाने के लिए एक कक्षा में प्रति 2 माह में 10 किताबों के सेट से पढ़ाई कराई जाती है। इस तरह पूरे सत्र में लगभग 50 किताबें अभिभावकों को खरीदनी पड़ती है।
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बस के लिए 350 रुपए का आई कार्ड, कलेक्टर ने लगाई फटकार
इसी तरह एक अभिभावक की शिकायत के अनुसार बच्चों से स्कूल बस का किराया लेने के बाद भी बस आई कार्ड के लिए अतिरिक्त रुपए लिए जाते हैं। शिकायत को सही पाए जाने पर कलेक्टर ने स्कूल प्रशासन को फटकार लगाई और कहा अपने ही स्कूल के यूनिफॉर्म में बच्चों को पहचानने के लिए आपको 350 रुपए का बस कार्ड क्यों चाहिए। इसी तरह स्कूलों में पिज्जा पार्टी , अन्य समारोह के लिए छात्र-छात्राओं से पैसे मांगने की शिकायत भी सामने आई।
जल्द होगी बड़ी कार्रवाई
जबलपुर जिला कलेक्टर ने बताया कि स्कूलों के द्वारा की गई फीस वृद्धि के मामले में कोरोना काल के पहले के आंकड़े भी मंगवाए जा रहे हैं। जिससे कोरोना कल के पहले और बाद में की गई फीस वृद्धि का सही अनुमान लगेगा, हालांकि यह सभी फीस वृद्धि नियम के अनुसार नहीं की गई है ।कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि सुनवाई के साथ ही जांच जारी है और दोषी स्कूल संचालकों पर जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी।