/sootr/media/media_files/2025/10/14/addl-sp-vijay-singh-panwar-home-full-salary-car-driver-diesel-2025-10-14-17-29-23.jpg)
राहुल दवे @ Indore
मध्यप्रदेश पुलिस विभाग से जुड़ा एक अनोखा मामला सामने आया है। एडिशनल एसपी विजय सिंह पंवार 2018 से ब्रेन हैमरेज के कारण ड्यूटी पर नहीं आ रहे। इसके बावजूद उन्हें पिछले सात साल से वेतन, सरकारी गाड़ी-ड्राइवर और अन्य सारी सुविधाएं मिल रही हैं।
ब्रेन हैमरेज के बाद ड्यूटी से आजाद
विजय सिंह पंवार को शारीरिक विकलांगता के कारण 10 अगस्त 2018 से ड्यूटी से मुक्त कर दिया गया। इसके बावजूद उन्हें सरकारी जीप (MP03 A1060), चालक संजय जादौन और हर माह 100 लीटर डीजल का कोटा लगातार मिलता रहा है। सवाल यह है कि जब अफसर सात साल से ऑफिस नहीं आए, तो वाहन की लॉगबुक में किस तरह की ड्यूटी दर्ज की जा रही है?
बिना काम के भी मिली उत्कृष्ट ACR और पदोन्नति
यह मामला यहीं खत्म नहीं होता। विजय सिंह पंवार को बिना किसी सरकारी काम के हर साल A+ ग्रेड की ACR दी गई। साथ ही, 2023 में उन्हें DSP से ADDL SP पद पर पदोन्नति भी मिल गई।
ये खबर भी पढ़िए...इंदौर के बिल्डर अशोक एरन के यहां GST छापा, विभाग की कार्रवाई जारी
सरकारी पैसों का दुरुपयोग
यह मामला खुले तौर पर सरकारी पैसों के गबन और दुरुपयोग से जुड़ा है। सवाल यह भी है कि जिन अधिकारियों ने ACR में उत्कृष्ट अंक दिए और विकलांगता के बावजूद अनिवार्य सेवानिवृत्ति नहीं दी, उनकी भूमिका की जांच क्यों नहीं की जा रही है?
जानिए क्या है पूरा कानूनी पक्ष?
- कर्मचारी को अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभानी चाहिए (मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम, 1965)।
- यदि कर्मचारी काम नहीं करता और ड्यूटी पर नहीं जाता, तो उसे वेतन नहीं मिलना चाहिए (मध्यप्रदेश सिविल सेवा वेतन नियम, 1955)।
- किसी को भी वेतन नहीं मिल सकता, जब तक उसने काम न किया हो (Fundamental Rule 17(1))।
ये उठ रहे सवाल
किस अधिकारी ने उनकी ACR को उत्कृष्ट (A+) लिखा?
किस स्तर पर मेडिकल समीक्षा नहीं कराई गई?
वेतन व वाहन उपयोग की स्वीकृति किसने दी?
ये सवाल अब विभाग की आंतरिक प्रणाली और निगरानी तंत्र पर गंभीर प्रश्न उठाते हैं।