40 हजार कमाने वाली बैंक अधिकारी पत्नी को नहीं मिलेगा पति से अतिरिक्त भत्ता, HC ने पलटा फैमिली कोर्ट का आदेश

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि एक सक्षम और 40 हजार रुपए मासिक आय वाली पत्नी को पति से अतिरिक्त भत्ता नहीं मिलेगा। यह आदेश फैमिली कोर्ट के 8 हजार रुपए प्रति माह भत्ता देने के आदेश को पलटते हुए दिया गया।

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Neel Tiwari
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Photograph: (The Sootr)

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JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर ने एक अहम आदेश में साफ किया है कि अगर पत्नी खुद सक्षम है और अच्छी आय कमा रही है तो उसे पति से अतिरिक्त भत्ता नहीं मिल सकता। जस्टिस रामकुमार चौबे ने यह फैसला उस मामले में दिया, जिसमें फैमिली कोर्ट ने बैंक की डिप्टी मैनेजर पत्नी को 8 हजार प्रतिमाह अंतरिम भत्ता देने का आदेश दिया था।

पत्नी ने लगाए हैं दहेज प्रताड़ना के आरोप

हाईकोर्ट में हुई सुनवाई और आदेश से मिली जानकारी के अनुसार, पति अतुल कुमार रस्तोगी सर्वे ऑफ इंडिया में असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। उनकी शादी दिसंबर 2019 में जबलपुर के विजय नगर निवासी प्रज्ञा सराफ से हुई थी, जो एक प्राइवेट बैंक में डिप्टी मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। शादी के बाद पत्नी ने आरोप लगाया कि ससुराल पक्ष का व्यवहार बदल गया और दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित किया गया। इसके आधार पर उसने भरण-पोषण की अर्जी दायर की थी।

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पत्नी ने मांगा था 8 हजार रुपए का अतिरिक्त भत्ता

फैमिली कोर्ट ने उसकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए 8 हजार रुपए का अंतरिम भत्ता तय किया। लेकिन पति ने पत्नी को भत्ता देने की बात को हाईकोर्ट में चुनौती दी और दलील दी कि पत्नी उच्च शिक्षित है, पति की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि उनकी पत्नी ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन से B.E. करने के साथ ही NIIT से पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा किया है। वह लंबे समय से निजी बैंक में कार्यरत है और उसे लगभग 40 हजार रुपए मासिक वेतन मिलता है। इतना ही नहीं, पत्नी को पहले से ही हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 के तहत दर्ज केस में 5,000 रुपए प्रतिमाह का भत्ता भी मिल रहा है।

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4 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर...

हाईकोर्ट का आदेश: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि अगर पत्नी खुद सक्षम है और अच्छा वेतन कमा रही है, तो उसे पति से अतिरिक्त भत्ता नहीं मिलेगा। यह आदेश फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए 8,000 रुपए प्रति माह के अंतरिम भत्ते को पलटते हुए दिया गया।

पत्नी के आरोप: पत्नी ने पति और ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना के आरोप लगाए थे और इसके आधार पर भरण-पोषण की अर्जी दायर की थी। उसने 8,000 रुपए मासिक भत्ते की मांग की थी, जिस पर फैमिली कोर्ट ने सुनवाई की थी।

पति का तर्क: पति ने कोर्ट में दलील दी कि उनकी पत्नी उच्च शिक्षित है और एक बैंक में डिप्टी मैनेजर के पद पर कार्यरत है, जिससे वह लगभग 40,000 रुपए प्रति माह कमा रही है। इसके साथ ही, पत्नी को पहले ही भरण-पोषण के रूप में 5,000 रुपए मिल रहे हैं।

नजीर और भविष्य के मामलों के लिए संकेत: हाईकोर्ट ने यह निर्णय एक नजीर के रूप में दिया है कि आर्थिक रूप से सक्षम पत्नी को अतिरिक्त भरण-पोषण या अंतरिम भत्ता तभी दिया जाएगा, जब पत्नी को अपनी आजीविका चलाने के लिए पर्याप्त साधन न हों।

हाईकोर्ट ने पलटा फैमिली कोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट आदेशः हाईकोर्ट ने यह कहते हुए फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 केवल उसी पत्नी को राहत देती है, जो स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ हो। यहां पत्नी एक बैंक अधिकारी है और नियमित आय के साथ पहले से भत्ता भी प्राप्त कर रही है, ऐसे में उसे अतिरिक्त अंतरिम भत्ता देना न्यायसंगत नहीं है।

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नजीर बन रहे पत्नी भरण-पोषण से जुड़े ऐसे मामले

यह निर्णय उन मामलों के लिए नजीर माना जा रहा है, जहां आर्थिक रूप से सक्षम पत्नी पति से अलग से भरण-पोषण की मांग करती है। कोर्ट ने साफ संकेत दिया कि अंतरिम भत्ता सिर्फ उन्हीं हालात में दिया जाएगा, जब पत्नी के पास आजीविका चलाने के पर्याप्त साधन न हों।

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