मध्य प्रदेश का दूसरा साउंड प्रूफ कॉरिडोर तैयार, 12 किमी हाईवे सफर अब 10 मिनट में
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित रातापानी अभयारण्य में देश का दूसरा साउंड प्रूफ कॉरिडोर तैयार हो गया है। यह कॉरिडोर पेंच टाइगर रिजर्व के बाद विकसित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ-साथ सडक़ यातायात को आसान बनाना है।
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में रातापानी अभयारण्य में दूसरा साउंड प्रूफ कॉरिडोर बन गया है। यह पेंच टाइगर रिजर्व के बाद विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य वन्यजीवों की सुरक्षा और सडक़ यातायात को आसान बनाना है। इस कॉरिडोर से 12 किलोमीटर लंबा हाईवे 10 मिनट में तय होगा। वन्यजीवों के लिए यहां सात अंडरपास बनाए गए हैं। ये अंडरपास उन्हें अभयारण्य के दोनों हिस्सों में बिना रुकावट जाने देंगे। दोनों तरफ तीन-तीन मीटर ऊंची बाउंड्री वॉल लगी है। यह ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण से सुरक्षा देती है।
वन्य जीवों को सड़क पार करने में आती हैं दिक्कतें
रातापानी टाइगर रिजर्व के जंगलों के बीच बना यह कॉरिडोर वन्यजीवों के आवागमन के लिए अत्यंत सहूलियत प्रदान करता है। पहले वन्य जीवों को सड़क पार करने में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। इस कॉरिडोर की सबसे खास बात है इसकी साउंड और लाइट प्रूफ बाउंड्री वॉल। दोनों ओर 3-3 मीटर ऊंची बाउंड्री वॉल लगी है, जो ध्वनि प्रदूषण और प्रकाश को रोकती है।
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर देवांश ने बताया कि इस कॉरिडोर की सड़क की चौड़ाई 18 मीटर है। इससे पहले 12 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 30 मिनट लगते थे, लेकिन अब यह सफर मात्र 10 मिनट में पूरा हो जाएगा। यह सुविधा यात्रियों के लिए समय की बचत के साथ-साथ ट्रैफिक के बेहतर प्रबंधन में भी मददगार होगी।
इसमें 5 बड़े और 2 छोटे अंडरपास में इंसुलेशन मटेरियल और पॉलिकार्बोनेट शीट से बने नॉइज बैरियर लगाए गए हैं, जो वाहन आवाज को कम करते हैं। इससे वन्य जीवों की संवेदनशीलता बनी रहती है और उनका आवागमन सुरक्षित रहता है।
अब 7 अंडरपास के माध्यम से वे सुरक्षित रूप से जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंच सकते हैं। इस कॉरिडोर के ऊपर वाहनों का आवागमन होता है, जिससे वन्यजीवों और ट्रैफिक दोनों के लिए बेहतर समाधान मिल पाया है।