संजय गुप्ता, INDORE. MPPSC की राज्य सेवा मेन्स 2023 समय पर 11 मार्च से ही होगी। जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में प्री 2023 के सवालों पर लगी याचिका को लेकर दो अहम बातें मंगलवार शाम को सुनवाई में कही। पहली यह कि वह उन्हीं याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे जिन्होंने तय समय सीमा में सात दिन के भीतर प्रोवीजनल आंसर की पर आपत्ति ली होगी और दूसरी यह कि जो कोर्ट के सामने आए होंगे और याचिका दायर की होगी। उन्होंने कहा कि यह जनहित याचिका नहीं है, इसलिए इस आधार पर अन्य दावा नहीं कर सकते हैं, जो कोर्ट में नहीं आए वह अपना अवसर खो बैठे हैं। करीब 6600 उम्मदीवार मेन्स में बैठ रहे हैं।
प्री का रिजल्ट मान्य, अब कोई बदलाव नहीं
हाईकोर्ट की सुनवाई के बाद अगली तारीख 13 मार्च लगी है, जिसमें याचिकाकर्तां के अधिवक्ता बताएंगे कि किन-किन प्रश्नों पर उन्होंने क्या आपत्ति ली थी और वह साथ ही कमेटी की रिपोर्ट भी देखेंगे कि उन्होंने किस आधार पर क्या जवाब मांगा है, लेकिन अब इस मसले से प्री के रिजल्ट पर कोई असर नहीं होगा, क्योंकि हाईकोर्ट ने सिर्फ याचिकाकर्ताओं और प्रीवीजनल आंसर की पर आपत्ति लेने वाले उम्मीदवारों तक सीमित कर दिया है। ऐसे में प्री में बैठे 1.80 लाख उम्मीदवारों पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा, भले ही आगे जाकर हाईकोर्ट आयोग के इन प्रश्नों को गलत भी पाता है।
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आयोग की विज्ञापन शर्त के आधार पर यह बात आई
प्री के सवालों को लेकर लगी याचिका के दौरान पीएससी के सचिव प्रबल सिपाहा मौजूद थे। एजी प्रशांत सिंह ने शुरूआत में ही कहा कि यह याचिका कल्पनाओं पर है कि ऐसा जवाब होता तो यह अंक मिल जाते। विज्ञापन सितंबर 2023 में जारी हुआ था, इसमें शर्त लिखी हुआ है कि आंसर की पर आपत्ति बुलाई जाएगी, सात दिन में आपत्ति आएगी उसे विषय विशेषज्ञ देखेंगे और फिर फाइनल आंसर की आएगी, इस पर किसी तरह की आपत्ति मान्य नहीं होगी।
जबलपुर हाईकोर्ट ने फिर यह बात कही
जबलपुर हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने आयोग की बातों को सुनने का बाद याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुल तिवारी से इस शर्त को पूरा करने की जानकारी पूछी, जिस पर बताया गया कि प्रोवीजनल आंसर की में ही कुछ आंसर ऐसे थे जो पहले सही बताए गए और बाद में बदले गए इसलिए आपत्ति नहीं ली गई। वहीं कुछ याचिकाकर्ता द्वारा आपत्ति नहीं ली गई, इसलिए उन्हें मंजूर नहीं किया गया। बाकी जिन प्रश्नों को लेकर सवाल था और जिन्होंने आपत्ति ली थी और कोर्ट में याचिका लगाई है उन सभी को मेन्स में बैठने के लिए हाईकोर्ट ने आदेश कर दिए हैं।
कल दोपहर दो बजे तक देना होंगे फार्म
यह भी हाईकोर्ट ने आदेश किया है कि सचिव सिपाहा आयोग में एक अधिकारी को नियुक्त करेंगे जिन्हें हाईकोर्ट ने मंजूर किया है, उन सभी के फार्म आठ मार्च को सुबह दस से दोपहर दो बजे तक मंजूर किए जाएंगे। इसके बाद कोई फार्म मंजूर नहीं होंगे। इनके रोल नंबर जारी होंगे और यह मेन्स में बैठेंगे।
अभी सशर्त बैठाया गया है
अभी सभी याचिकाकर्ताओं को सशर्त बैठाया जा रहा है। इन सभी प्रश्नों को लेकर अभी याचिका आगे जारी रहेगी और यदि इसमें याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला आता है तो फिर उन्हें आगे भी मान्य किया जाएगा।
मेन्स आगे बढ़ाने की मांग लंबी चली
मेन्स के लिए रिजल्ट के बाद केवल 53 दिन का समय मिला था इसके लिए उम्मीदवार लंबे समय से आंदोलनरत थे, लेकिन आयोग ने इस मामले में एक भी मांग पर ध्यान नहीं दिया और 11 मार्च से ही मेन्स कराने की बात कही। मामला प्री के सवालों को लेकर हाईकोर्ट गया, इसमें कई सवालों पर आपत्ति लगी, बात उठी कि सवाल गलत हुए तो इस आधार पर कई उम्मीदवार बैठ सकते हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने मामला याचिकाकर्ता तक ही सीमित रखा।
इंदौर हाईकोर्ट ने भी दी बैठने की पात्रता
उधर इंदौर हाईकोर्ट में भी इसी तरह की याचिका दायर थी, जिसमें मंगलवार को कुछ और उम्मीदवारों को मेन्स में बैठने की पात्रता मिल गई है। उधर आयोग ने विविध आदेशों के चलते एक बार फिर 7 मार्च को भी पीएससी फार्म भरने के लिए विंडो खोल दी है।