अब प्रमोशन में आरक्षण मामले में हाईकोर्ट पहुंची नई याचिका
मध्य प्रदेश में पदोन्नति की गाइडलाइन कानूनी पेंच में फंसती दिख रही है। पदोन्नति पर सपाक्स की याचिका के चलते जबलपुर हाईकोर्ट रोक लगा चुका है। अब दो नई याचिका भी सामने आ गई है।
BHOPAL.पदोन्नति में आरक्षण का मामला बोतल के जिन्न जैसा हो गया है। कर्मचारी संगठनों में आरक्षण के आधार पर पदोन्नति को लेकर विरोधाभास के चलते बीते दस सालों से ये मामला कोर्ट की सुनवाई में उलझा पड़ा है। हाल के दिनों में डॉ.मोहन यादव की अगुवाई में पदोन्नति की गाइडलाइन भी अब कानूनी पेंच में फंसती दिख रही है।
पदोन्नति के लिए जो नए नियम सरकार ने बनाए थे उन पर सपाक्स की याचिका के बाद जबलपुर हाईकोर्ट रोक लगा चुका है। बीते पखवाड़े हाईकोर्ट में इस मामले पर होने वाली सुनवाई टलने के बाद अब दो नई याचिका भी सामने आ गई है। इन याचिकाओं के बाद मामले में ट्विस्ट और भी गहरा गया है।
उधर सरकार के इशारे पर सभी विभाग पदोन्नति लिस्ट तैयार करने में जुटे हुए हैं। वहीं कानूनी जानकारों के सहारे सपाक्स कर्मचारी संगठन की याचिका पर हाईकोर्ट में जवाब पेश करने की तैयारी भी कर चुका है।
कर्मचारियों को है सुनवाई का इंतजार
मध्यप्रदेश में 10 साल से अटके कर्मचारी-अधिकारियों के प्रमोशन को हाल ही में सरकार ने हरी झंडी दी थी। इसके लिए सरकार ने नई नीति बनाई थी उससे असंतुष्ट कर्मचारियों का एक धड़ा हाईकोर्ट पहुंच गया था। जिसके बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने तक नए नियमों के आधार पर पदोन्नति देने पर रोक लगा दी है।
इस मामले में 15 जुलाई को होने वाली सुनवाई टल गई थी। अब हाईकोर्ट रोस्टर के अनुसार 12 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई हो सकती है, हांलाकि अभी सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है।
ये हैं सबसे जटिल कानूनी पेंच
1. सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन और स्टेट्स-को रखने के आदेश के बावजूद नए सिरे से पदोन्नति नियम कैसे बनाए गए । 2. सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका को वापस लिए बिना प्रदेश सरकार ने पदोन्नति की नई प्रक्रिया क्यों शुरू की 3. जिन नियमों को लेकर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है नए नियम उनसे कैसे अलग हैं। 4. नई पॉलिसी के आधार पर पदोन्नति देने पर सुप्रीम कोर्ट के स्टेट्स-को मामले के अंतर्गत कर्मचारी-अधिकारियों का क्या होगा
हाईकोर्ट द्वारा 7 जुलाई की सुनवाई के दौरान मांगे गए जवाब को मध्य प्रदेश सरकार पेश कर चुकी है। इस जवाब में नए और पुराने पदोन्नति नियम में अंतर स्पष्ट किए गए हैं। साथ ही हाईकोर्ट से पदोन्नति पर लगी रोक हटाने का आग्रह करने से संबंधित तथ्य भी शामिल किए गए हैं।
पिछली सुनवाई में सरकार के वकील कर्मचारियों के अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु के सवालों पर जवाब पेश नहीं कर सके थे। वहीं इस बीच राज्य प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारियों की याचिका के हाईकोर्ट पहुंचने से सुनवाई में नया मोड़ आना तय हो गया है। ये याचिका राजस्व विभाग के दो अधिकारियों द्वारा लगाई गई हैं। जिनमें पदोन्नति पर लगाई गई रोक हटाने की मांग की गई है।
प्रमोशन में आरक्षण का आधार बनाने का विरोध कर रहे कर्मचारी इसे सरकार का हथकंड़ा बता रहे हैं। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष बेहद कमजोर रहा था। अब दो अधिकारियों द्वारा याचिका लगाई गई हैं।
इन याचिकाओं को भी मूल याचिका के साथ सुनवाई में शामिल किया गया है। नई तारीख पर हाईकोर्ट में इन याचिकाओं को भी सुना जाएगा। इन पर हाईकोर्ट रक्षाबंधन से पहले या बाद की किसी तारीख पर सुनवाई कर सकता है।
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मंत्रालय में तेजी से दौड़ रहीं फाइल
आरक्षण के आधार पर पदोन्नति पर फिलहाल हाईकोर्ट की रोक है। इस वजह से नए पदोन्नति आदेश तो जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन सरकार के इशारे पर विभागों में भीतरखाने सूचियां तैयार कराई जा रही हैं।
सभी विभागों के प्रमुख सचिवों ने भी सरकार के इशारे को भांपते हुए पदोन्नति के लिए विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों का ब्यौरा जुटा लिया है। यानी हाईकोर्ट से राहत मिलते ही विभाग पदोन्नति सूची जारी करने की स्थिति में हैं। मंत्रालय में भी विभागीय अधिकारियों के बीच पदोन्नति की पात्रता रखने वाले अधिकारियों- कर्मचारियों की फाइलें तेजी से दौड़ाई जा रही हैं।