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रीवा जिले के सेमरिया से कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा ने बड़ा बयान दिया है। मंगलवार यानी 2 दिसंबर 2025 को उन्होंने विधानसभा परिसर में मीडिया से बात की। इस दौरान विधायक अभय मिश्रा ने रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल को भ्रष्ट कहा। उन्होंने कहा कि हमारे यहां की कलेक्टर भ्रष्ट हैं।
विधायक ने यह भी कहा कि पैसा उनकी कमजोरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कलेक्टर रुपया पैसा कमाती हैं। विधायक ने यह भी कहा कि उन्होंने इसके लिए आदमी पाल रखे हैं।
अभय मिश्रा ने 58 किसानों का मुद्दा उठाया। इन किसानों ने सरकारी खरीदी केंद्र पर अपनी फसल बेची थी। यह केंद्र विजया वेयर हाउस पर बनाया गया था। किसानों को पहले खाद के लिए लाठी खानी पड़ती है। वे उधार लेते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं।
अब उन्हें उनकी मेहनत का पैसा नहीं मिल रहा है। उन किसानों से यह गलती हो गई कि उन्होंने सरकारी नीति के तहत फसल बेची थी। उन्हें अपनी फसल बेचने का दाम आज तक नहीं मिला।
उपार्जन समिति में भ्रष्टाचार का आरोप
विधायक अभय मिश्रा ने सीधे तौर पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि आईएएस प्रतिभा पालकई मामलों में बराबर पैसे लेती हैं। सहकारिता के समिति प्रबंधक, वेयर हाउसिंग और नान (नागरिक आपूर्ति निगम) मिलकर काम करते हैं। इनकी एक उपार्जन समिति होती है और कलेक्टर इस समिति की अध्यक्ष होती हैं।
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विधायक अभय मिश्रा ने ज्ञानेंद्र नाम के व्यक्ति का उदाहरण दिया। वह नियम के विरुद्ध चार पांच साल से गृह ग्राम में है। अधिकारी इसका गलत उत्तर बनाकर भेजते हैं। वे कहते हैं कि वह गुढ़ का निवासी है, रीवा जिले का नहीं है।
विधायक ने कहा कि "इस तरह से उसके माध्यम से कलेक्टर पैसा लेती हैं।" उन्होंने कहा कि पेपर तो बताते हैं कि हाथों हाथ पैसे लें तो ट्रेप हो जाएंगे। पर उनका काम करने का तरीका सब बता देता है। कलेक्टर उन्हीं पांच समितियों को बार बार काम देती हैं। विधायक ने कहा कि उनके पास इसके सारे पेपर हैं।
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किसानों के नाम ऑनलाइन पोर्टल से डिलीट
विधायक अभय मिश्रा ने सहकारी खरीद केंद्र पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सांसद की पत्नी के नाम का एक वेयरहाउस है। वेयरहाउस में सरकार केंद्र बनाकर खरीद कराती है। विधायक ने कहा कि इसमें सांसद का कोई दोष नहीं है।
विधायक ने फर्जी पंजीयन का आरोप लगाया। समिति प्रबंधक ने फर्जी किसानों के नाम से पंजीयन कराए। सरकार की फसल खरीदने की पंजीयन नीति फेल है। इसमें कई सारी कमियां हैं। कोई भी व्यक्ति बंटाई में असीमित मात्रा में पंजीयन करा सकता है। उसमें कोई सीमा होनी चाहिए थी। विधायक ने कहा कि फर्जी नामों से रसीदें दी गईं। फिर फर्जी नामों से पैसा दे दिया गया।
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असली किसान जब अपना पैसा लेने गए तो एक अधिकारी ने रिपोर्ट दी। रीना श्रीवास्तव नामक अधिकारी ने बताया कि किसानों के साथ गलत हुआ है। कलेक्टर ने उस अधिकारी को सस्पेंड कर दिया। उनसे कहा कि तुमने किसानों के पक्ष में क्यों बोला।
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बाद में कलेक्टर ने उन किसानों के नाम पोर्टल से डिलीट करा दिए। उन्होंने कहा कि ये किसान झूठे हैं। बाद में हल्ला मचा तो बोलीं कि किसान सही हैं। अब पैसा बचा नहीं और नाम डिलीट हो गए हैं। किसान अब दर दर की ठोकरें खा रहे हैं।
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