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Photograph: (thesootr)
BHOPAL. बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में लैंड पूलिंग एक्ट को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसानों की जमीन को लेकर बनाई गई लैंड पूलिंग योजना अब सरकार के लिए चुनौती बनती जा रही है।
अब इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष के भीतर से ही विरोध की आवाज तेज हो गई है। उज्जैन उत्तर से भाजपा विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने अपनी ही सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए खुलकर किसानों का समर्थन कर दिया है।
सोमवार, 15 दिसंबर को बीजेपी विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के नाम एक पत्र लिखा है, इसमें उन्होंने कहा है कि यदि लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह वापस नहीं लिया गया तो वे किसानों के साथ सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। विधायक का अपनी ही सरकार के खिलाफ इस तरह मोर्चा खोलना उज्जैन की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है।
क्या है पूरा मामला...
उज्जैन में आगामी सिंहस्थ महाकुंभ को लेकर बड़े पैमाने पर विकास कार्यों की योजना बनाई जा रही है। सरकार सिंहस्थ क्षेत्र में निर्माण के लिए लैंड पूलिंग नीति लागू करना चाहती है। इस नीति के तहत किसानों की जमीन को एकत्रित कर उस पर सड़क, भवन और अन्य ढांचों का निर्माण प्रस्तावित है। यही योजना किसानों के गुस्से की सबसे बड़ी वजह बन गई है।
किसानों का कहना है कि सिंहस्थ सदियों से अस्थायी ढांचों के साथ लगता आया है। तंबू, टेंट और अस्थायी व्यवस्थाओं के बीच ही सिंहस्थ की परंपरा रही है। ऐसे में पक्के निर्माण के नाम पर उपजाऊ जमीन लेना उन्हें मंजूर नहीं है। किसानों को डर है कि एक बार जमीन चली गई तो न तो उसे वापस पाया जा सकेगा और न ही भविष्य सुरक्षित रहेगा।
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पहले भी अधूरी रहीं योजनाएं
किसान नेताओं का आरोप है कि उज्जैन में इससे पहले भी विकास योजनाओं के नाम पर किसानों की जमीन ली गई, लेकिन उन्हें पूरा मुआवजा नहीं मिला। कई वादे सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए। अब एक बार फिर TDS सेक्टर 8, 9, 10 और 11 में उसी तरह की योजना लागू करने की तैयारी है। इससे 17 गांवों के किसान सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
किसानों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन अपनी जमीन और सम्मान की कीमत पर कोई भी योजना स्वीकार नहीं की जा सकती। इसी सोच के साथ उन्होंने लैंड पूलिंग एक्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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भारतीय किसान संघ का एलान
लैंड पूलिंग के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई भारतीय किसान संघ कर रहा है। संगठन ने 26 दिसंबर से उज्जैन में “डेरा डालो–घेरा डालो” महाधरना करने का ऐलान किया है। इसके लिए किसान संघ के 18 जिलों के 217 पदाधिकारियों की बैठक हो चुकी है, जिसमें आंदोलन की रणनीति तय की गई है।
किसान संघ का कहना है कि सरकार ने 17 नवंबर को लैंड पूलिंग एक्ट खत्म करने की घोषणा की थी। उस घोषणा के बाद किसान आंदोलन वापस ले लिया था और उज्जैन में खुशी मनाते हुए उत्सव रैली भी निकाली गई थी, लेकिन बाद में पता चला कि एक्ट को खत्म करने के बजाय उसमें सिर्फ संशोधन किया गया है।
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घोषणा कुछ, आदेश कुछ और
किसानों का आरोप है कि 19 नवंबर को सरकार ने लैंड पूलिंग एक्ट निरस्त करने के स्थान पर संशोधन का आदेश जारी कर दिया। इससे किसानों में भारी नाराजगी फैल गई। उन्हें लगा कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है। इसी नाराजगी के चलते प्रभावित 17 गांवों के किसानों ने अपने खेतों में भगवा झंडे लगा दिए और दोबारा आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी।
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विधायक का खुला समर्थन
उज्जैन उत्तर से भाजपा विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा का विधानसभा क्षेत्र भी सिंहस्थ क्षेत्र का हिस्सा है। ऐसे में इस योजना का सीधा असर उनके क्षेत्र के किसानों पर पड़ रहा है। अपने पत्र में विधायक ने लिखा है कि उन्होंने भी सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए लैंड पूलिंग योजना का समर्थन किया था, क्योंकि उन्हें लगा था कि किसानों के हित सुरक्षित रहेंगे।
विधायक ने यह भी लिखा कि जब 17 नवंबर को लैंड पूलिंग एक्ट वापस लेने का निर्णय हुआ, तब किसान संघ ने उज्जैन में उत्सव रैली निकाली और वे स्वयं उसमें शामिल हुए। बाद में जब पता चला कि योजना यथावत है, तो किसानों का गुस्सा जायज है। इसी कारण किसान संघ ने 26 दिसंबर से आंदोलन का फैसला लिया है और वे किसानों के सम्मान और हित में इस आंदोलन में शामिल रहेंगे।
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