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Photograph: (the sootr)
Bharatpur. राजस्थान के भरतपुर की महाराजा सूरजमल बृज यूनिवर्सिटी में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर राजभवन राजस्थान ने बड़ा फैसला लिया है। राजभवन ने घोटालों में लिप्त आरोपियों से वसूली के आदेश दिए हैं। महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में हुए वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं की जांच पूरी होने के बाद राजभवन ने सख्ती दिखाई है।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति के निर्देश पर कराई गई जांच में पूर्व कुलपति प्रो. रमेश चन्द्रा और उप कुलसचिव अरुण कुमार पांडेय, सहायक कुलसचिव प्रशांत कुमार व परीक्षा नियंत्रक एवं तत्कालीन आहरण-वितरण अधिकारी फरवट सिंह को दोषी माना है।
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एफआईआर व वसूली के आदेश
अनियमितताओं की जांच संभागीय आयुक्त भरतपुर से करवाई गई। संभागीय आयुक्त की विस्तृत जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल सचिवालय ने जांच में दोषी सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और वसूली कराने के आदेश जारी किए हैं।
उप कुलसचिव पांडेय, सहायक कुलसचिव प्रशांत व परीक्षा नियंत्रक फरवट सिंह को निलंबित करने की अनुशंसा की है। जांच रिपोर्ट में विश्वविद्यालय में गंभीर वित्तीय गड़बड़ी और नियमों का उल्लंघन पाया गया है। उच्च शिक्षा विभाग को कार्रवाई कर रिपोर्ट राजभवन भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रो. चन्द्रा के कार्यकाल में बड़े घोटाले
राज्यपाल सचिवालय के आदेशानुसार प्रो. चन्द्रा के कार्यकाल के दौरान यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी और प्रशासनिक अनियमितताओं की शिकायतें मिली। इस पर राजभवन की ओर से भरतपुर संभागीय आयुक्त को जांच सौंपी गई थी।
संभागीय आयुक्त ने कई चरणों में जांच कर विस्तृत रिपोर्ट राजभवन को भेजी, जिसमें विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रियाओं में अनियमितता, वित्तीय स्वीकृतियों में मनमानी और प्रशासनिक निर्णयों में पक्षपात जैसे गंभीर आरोप प्रमाणित पाये गए हैं।
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कुलपति के साथ दूसरे अधिकारी भी लिप्त
रिपोर्ट में सामने आया है कि कुलपति के साथ दूसरे अधिकारी भी वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं में दोषी पाए गए हैं। निलंबित कुलपति प्रो. चन्द्रा समेत कई वरिष्ठ अधिकारी जिनमें उप कुलसचिव पांडेय, सहायक कुलसचिव प्रशांत कुमार, परीक्षा नियंत्रक एवं तत्कालीन आहरण-वितरण अधिकारी फरवट सिंह सहित अन्य अधिकारियों पर भी आरोप सिद्ध हुए हैं।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि विश्वविद्यालय प्रशासन के इन अधिकारियों ने न केवल वित्तीय नियमों की अवहेलना की, बल्कि सरकारी निधियों का अनुचित उपयोग कर संस्थान को आर्थिक हानि पहुंचाई।
एफआईआर के साथ वसूली भी
संभागीय आयुक्त की जांच रिपोर्ट में कुलपति, उप कुलसचिव समेत अन्य अधिकारी लिप्त पाए हैं। रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल के निर्देश पर आरोपित अधिकारियों को निलंबित किया गया। साथ ही इनके खिलाफ पुलिस प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है। साथ ही जांच रिपोर्ट में जिन वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख है, उनकी वसूली प्रो. चन्द्रा सहित सभी दोषियों से कराने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
विधायक कोली की शिकायत पर हुई जांच
विश्वविद्यालय में हो रही अनियमितताओं को लेकर बोम सदस्य एवं वैर विधायक बहादुर सिंह कोली ने राज्यपाल को लिखित शिकायत दी। साथ ही इस मामले को राजस्थान विधानसभा में भी उठाया। इस पर राजभवन ने संभागीय आयुक्त से विश्वविद्यालय की अनियमितताओं की जांच करवाई।
उच्च शिक्षा विभाग ने कार्यवाहक कुलपति को आदेश दिया है कि अरुण पांडेय, फरवट सिंह, प्रशांत कुमार और अन्य दोषियों को निलंबित किया जाए। साथ ही सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। यह पहली बार है जब जांच के आधार पर सीधे निलंबन, एफआईआर और वसूली की सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किये गए हैं।
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सात महीने पहले कुलपति निलंबित
संभागीय आयुक्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर राजभवन के निर्देश पर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति रमेश चंद्रा को सात महीने पहले निलंबित कर दिया था।
जांच में चंद्रा ने हर बार अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि विवि में किसी भी कार्य का प्रस्ताव उप कुलसचिव अरुण पांडेय, परीक्षा नियंत्रक फरवट सिंह और सहायक कुल सचिव प्रशांत कुमार द्वारा तैयार किया जाता था। वे केवल उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर स्वीकृति देते थे। जांच रिपोर्ट में अनियमितताएं तीनों अधिकारियों की बताई गई है।
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