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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल अग्निकांड के बाद राजस्थान सरकार ने अस्पतालों की अग्नि सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता सुरक्षा के लिए बड़े अस्पतालों में स्थायी रूप से अग्नि सुरक्षा अधिकारी लगाने का निर्णय लिया है। वित्त विभाग ने इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से 30 अग्नि सुरक्षा अधिकारी की पोस्ट सृजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
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यह है प्रदेश की मेडिकल व्यवस्था
चिकित्सा शिक्षा विभाग के शासन सचिव अंबरीष कुमार के अनुसार, प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों एवं संबंधित अस्पतालों में प्रति वर्ष लगभग 4 करोड़ मरीज ओपीडी में आते हैं। वर्तमान में 42 हजार इनडोर बैड क्षमता उपलब्ध है और हर महीने 50 हजार से अधिक सर्जरी होती हैं। अस्पतालों में प्रतिदिन लगभग 12,500 मेडिकल गैस सिलेंडर का उपयोग होता है। औसतन 60 हजार से अधिक चिकित्सक एवं नर्सिंग कार्मिक कार्यरत हैं।
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सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित होगा
उन्होंने कहा कि इतनी विशाल स्वास्थ्य प्रणाली में किसी भी आकस्मिक आग की घटना की स्थिति में प्रभावी प्रबंधन के लिए विशेषज्ञ के रूप में अग्नि सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थानों में राष्ट्रीय बिल्डिंग कोड (एनबीसी) एवं राज्य अग्नि सुरक्षा अधिनियमों के अनुरूप सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जाएगा।
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ये रहेंगी प्रमुख जिम्मेदारियां
अग्नि सुरक्षा अधिकारी के कुल 30 पद स्वीकृत किए हैं। यह पद स्थानीय निकाय विभाग के कैडर के अनुसार रहेंगे और इनकी नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति अथवा सीधी नियुक्ति की जाएगी। फायर सेफ्टी अधिकारियों की मुख्य जिम्मेदारी अस्पतालों की अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करना होगी।
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यह काम भी करने होंगे
इसके अंतर्गत वे नियमित फायर ऑडिट, मासिक मॉक ड्रिल (दिन एवं रात्रि दोनों शिफ्टों में), आईसीयू, ऑक्सीजन लाइन और हाइड्रेंट सिस्टम की सतत निगरानी करेंगे। फायर अलार्म एवं स्प्रिंकलर सिस्टम का रखरखाव सुनिश्चित करेंगे। निर्माण व विस्तार परियोजनाओं में फायर सेफ्टी मानकों का सत्यापन भी करेंगे। आपात स्थिति में राहत और बचाव कार्यों का नेतृत्व भी इन्हीं अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
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15 दिसंबर तक भर्ती प्रक्रिया
विभाग द्वारा 15 दिसंबर, 2025 तक भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। चयनित अधिकारियों को विशिष्ट तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके लिए एनआईएफएसए एवं एडीआरएफ जैसी संस्थाओं से सहयोग लिया जाएगा। अस्पताल कार्मिकों एवं मेडिकल छात्रों के लिए भी अग्नि सुरक्षा जागरूकता मॉड्यूल विकसित किया जाएगा। इससे अस्पताल स्तर पर सुरक्षा संस्कृति को सुदृढ़ किया जा सकेगा।
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अग्नि सुरक्षा मानकों का मॉडल स्थापित होगा
इस कार्य का नोडल अधिकारी अतिरिक्त निदेशक (रिसर्च एंड प्लानिंग) नरेश गोयल को बनाया है। इस निर्णय से न केवल वर्तमान सुरक्षा व्यवस्थाएं मजबूत होंगी, बल्कि भविष्य में किसी भी आपात स्थिति में वैज्ञानिक त्वरित एवं समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी।
इससे मरीजों, परिजनों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार किया जा सकेगा। वहीं अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा मानकों का एकीकृत और मानकीकृत मॉडल स्थापित होगा, जिससे राजस्थान अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बनेगा।
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