राज्यपाल से सजा माफी मिली तो क्या कंवरलाल मीणा को वापस मिल जाएगा विधायक पद

राजस्थान में पूर्व भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की सजा माफी को लेकर नई बहस छिड़ी है। क्या सजा माफी से उनकी विधायकी बहाल होगी और उपचुनाव प्रभावित होंगे? जानें इस मामले की पूरी जानकारी।

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Nitin Kumar Bhal
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मुकेश शर्मा

Jaipur. राजस्थान में आपराधिक मामले में सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की सजामाफी को लेकर नई बहस छिड़ी हुई है। बहस इस सवाल पर है कि क्या राजभवन से सजामाफी के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल हो जाएगी। क्या सजामाफी से अंता विधानसभा उपचुनाव की प्रक्रिया प्रभावित होगी।

फिलहाल, अंता में विधानसभा उप-चुनाव की घोषणा हो चुकी है। यह सीट कंवरलाल मीणा को आपराधिक केस में तीन साल की सजा होने से रिक्त हुई है। कंवरलाल मीणा ने अपनी सजा माफी के लिए राज्यपाल को याचिका दी है। इस याचिका पर राजभवन ने इस पर सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। कंवरलाल पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाते हैं। माना जा रहा है कि सरकार के पॉजिटिव रुख के कारण राजभवन से कंवरलल के पक्ष में सकारात्मक फैसला हो सकता है।

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कंवरलाल मीणा की सजा माफ हुई तो क्या क्या होगा?

कंवरलाल मीणा अपनी विधायकी वापस पाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, सवाल यह है कि क्या सीट रिक्त घोषित होने और चुनावी कार्यक्रम घोषित होने तथा अधिसूचना जारी होने के बाद सजा माफ हुई तो क्या होगा? क्या कंवरलाल की विधायकी बहाल होगी या नहीं ? अगर विधायकी बहाल नहीं हुई तो क्या वह छह साल से पहले चुनाव लड़ सकेंगे या नहीं? 

कुछ विधिवेत्ताओं का मानना है कि अधिसूचना के पहले या बाद में सजा माफ होने से कंवरलाल मीणा की अयोग्यता समाप्त नहीं हो सकती। उनका कहना है कि सजा माफ होने का अर्थ दोषसि​द्धि खत्म होना नहीं है। बल्कि इससे सिर्फ इतना ही होगा कि उन्हें जेल में नहीं रहना होगा। कुछ विधि विशेषज्ञों का कहना है कि सजा माफी का अर्थ है कि दोषसिद्धि भी माफ होना है। इसलिए माफी मिलने पर विधानसभा सदस्यता भी बहाल होगी और उप-चुनाव भी नहीं करवाने होंगे।

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सजा माफी पर राज्यपाल की शक्तियां क्या हैं?

राज्यपाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत सजा माफ कर सकते हैं। यह प्रावधान उन्हें राज्य के कानूनों के तहत दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की सजा को क्षमा,स्थगित,कम या माफ करने की शक्ति देता है। यह शक्ति उन अपराधों पर लागू होती है,जो राज्य की कार्यकारी शक्ति के तहत आते हैं, जबकि राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 72 के तहत क्षमादान की अधिक व्यापक शक्तियां होती हैं।

इनमें मृत्युदंड और कोर्ट मार्शल के मामलों में माफी देने का अधिकार भी शामिल है। राज्यपाल को मृत्युदंड को माफ करने की शक्ति नहीं है। हालांकि, वे इसे निलंबित,कम या स्थगित कर सकते हैं। अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राज्यपाल 14 साल की जेल की सजा पूरी होने से पहले भी कैदियों को माफ कर सकते हैं।

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ना विधायकी बहाल, ना उपचुनाव स्थगित: एडवोकेट अशोक मेहता 

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सीनियर एडवोकेट अशोक मेहता कहते हैं, विधायक या सांसद दो साल तक की सजा होने पर तत्काल अयोग्य हो जाते हैं, यह कानून है। इसके लिए स्पीकर या सरकार को अलग से आदेश जारी करने की जरुरत नहीं है। स्पीकर ने उस सीट को रिक्त घोषित कर दिया है और संबंधित विधायक की दोष सिद्धि और सजा पर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। ऐसे में निर्वाचन आयोग से रिक्त सीट पर उपचुनाव की घोषणा होने के बाद यदि राज्यपाल सजा माफ भी कर देते हैं तो संबंधित विधायक की विधायकी बहाल नहीं हो सकती और ना ही उपचुनाव ही स्थगित हो सकते हैं। एडवोकेट अशोक मेहता के मुताबिक, सजा माफी का अर्थ यह नहीं है कि जिस अपराध के लिए सजा मिली, वह खत्म हो गया। यानी सजा माफी से दोष सिद्धि खत्म नहीं होती, बल्कि सिर्फ इतना ही होगा कि संबंधित व्यक्ति को सजा भुगतने के लिए जेल में नहीं रहना होगा। दूसरी बात यह है कि जिस कारण से सीट रिक्त घोषित हुई, उस पर सजा माफी ​मिलने से कोई फर्क नहीं होगा। सजा माफ होने से अयोग्यता भी खत्म नहीं होती। इसलिए पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की सजामाफी होने से ना तो विधायकी बहाल होगी ना अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव स्थगित होंगे।

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सजा माफी मतलब सब कुछ बहाल : एडवोकेट आरएन माथुर

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इसके विपरीत सीनियर एडवोकेट आरएन माथुर का कहना है कि राज्यपाल से सजा माफी का अर्थ अपराध के दोष से माफी है। ऐसे में जब माफी मिलने से दोष ही नहीं रहा तो फिर दोष सिद्धि और इसके आधार पर मिली सजा सभी खत्म हो गए। इसलिए संबंधित विधायक की विधायकी ना केवल बहाल होगी बल्कि अंता उपचुनाव भी नहीं करवाए जा सकेंगे। 

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माफी के बाद भी अयोग्यता खत्म नहीं होगी: एडवोकेट अनिल मेहता

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सीनियर एडवोकेट अनिल मेहता का भी मानना है कि कानूनी तौर पर दो साल की सजा होते ही विधायकी या सांसदी खत्म हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट लिली थामस के फैसले में दो साल की सजा होने के बाद अपील के लिए 30 दिन के ग्रेस पीरियड के प्रावधान को भी समाप्त करके तत्काल अयोग्य होना घोषित कर चुका है। सीट रिक्त होकर चुनावी कार्यक्रम घोषित होने के बाद यदि राज्यपाल से सजा माफी भी मिलती है तो अयोग्यता खत्म नहीं होगी। हालांकि यह ​बहस का विषय है कि सजा माफी के बाद संबंधित पर छह साल तक चुनाव नहीं लड़ने वाला प्रावधान लागू होगा या नहीं।

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सजा माफी से होगी दोषसिद्धि भी खत्म: एडवोकेट अजीत कुमार शर्मा

हालांकि सीनियर एडवोकेट अजीत कुमार शर्मा का कहना है कि सजा माफी का अर्थ दोष सिद्धि भी खत्म हो जाती है। सजा दोषी मानने के बाद ही दी जाती है। इसलिए सजा माफ होने पयर दोष सिद्धि भी समाप्त हो जाती है। ऐसी स्थिति में पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी भी बहाल हो जाएगी और उपचुनाव करवाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि सजा माफी के राज्यपाल के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है और कोर्ट माफी के आदेश की न्यायिक समीक्षा कर सकती है।

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FAQ

1. क्या सजा माफी से कंवरलाल मीणा की विधायकी बहाल हो जाएगी?
कुछ कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, सजा माफी (Pardon) के बाद विधायकी बहाल (Restoration of Membership) हो सकती है, लेकिन इसके लिए दोष सिद्धि (Conviction) का माफ होना जरूरी है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सजा माफी (Pardon) का असर यह होगा कि दोष सिद्धि (Conviction) भी खत्म हो सकती है, और इसके बाद विधायकी बहाल (Restoration of Membership) हो सकती है।
2. क्या उपचुनाव को सजा माफी से स्थगित किया जा सकता है?
सजा माफी मिलने के बावजूद उपचुनाव (By-election) को स्थगित नहीं किया जा सकता, यदि चुनावी प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।
3. राज्यपाल के पास सजा माफी का अधिकार क्या है?
राज्यपाल (Governor) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 (Article 161) के तहत किसी भी व्यक्ति की सजा माफ करने का अधिकार रखते हैं।
4. सजा माफी के बाद क्या कंवरलाल मीणा चुनाव लड़ सकते हैं?
सजा माफी मिलने के बाद अयोग्यता (Disqualification) खत्म होने की संभावना है, लेकिन इस पर कानूनी बहस जारी है।
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