लगातार सड़क दुर्घटनाओं पर हाई कोर्ट सख्त, पत्र को याचिका मान केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

राजस्थान हाई कोर्ट ने एडवोकेट के पत्र को याचिका मानकर लिया प्रसंज्ञान। केंद्र और राजस्थान सरकार से मांगा जवाब। 6 नवंबर को होगी सुनवाई। हाई कोर्ट की जोधपुर ​प्रिंसिपल सीट ने भी लिया स्व:प्रेरणा से प्रसंज्ञान।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी होने पर एक एडवोकेट के पत्र पर प्रसंज्ञान लेकर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। ​कोर्ट ने लगातार हो रहे सड़क हादसों पर कड़ा रुख अपनाया है। 

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पत्र को याचिका के तौर पर स्वीकारा

एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जसिटस बलजिंदर सिंह संधू की बेंच ने एडवोकेट राजेंद्र शर्मा के पत्र को याचिका के तौर पर स्वीकार करते हुए यह अंतरिम आदेश दिए हैं। अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भरत व्यास और राज्य के महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद को नोटिस जारी करते हुए 6 नवंबर तक जवाब देने को कहा है। 

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सरकार के पास पावर

एडवोकेट राजेंद्र शर्मा ने पत्र याचिका में कहा है कि जयपुर शहर में आए दिन गंभीर सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। इसका कारण शहर में प्रतिबंधित समय में भी ट्रक और डंपर खुलेआम आते-जाते हैं। राज्य सरकार को जनहित में मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 115 के तहत क्षेत्र विशेष और एक निश्चित समय में किसी भी वाहन के चलने पर प्रतिबंध लगाने की श​क्ति है। 

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नियमों की पालना नहीं

परिवहन विभाग की ओर से इस संबंध में नोटिफिकेशन होने के बावजूद भारी वाहन शहर में घूम रहे हैं। इससे आए दिन गंभीर एक्सीडेंट हो रहे हैं। सेंट्रल मोटर व्हीकल रुल्स 1989 में वाहनों के संचालन के तौर-तरीके भी तय हैं, लेकिन आरटीओ इनकी पालना नहीं करवा रहा है। इस कारण सड़कों पर ओवरलोड व अनफिट वाहन दौड़ रहे हैं। 

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प्रावधानों की पालना नहीं

मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे ने भी नेशनल रोड सेफ्टी पॉलिसी 2010 तथा नेशनल रोड सेफ्टी एक्शन प्लान 2021-2030 के तहत राज्यों को शहरी इलाकों में भारी वाहनों के मूवमेंट को नियंत्रित करने को कह रखा है। इसके तहत वाहनों के लिए लेन सिस्टम बनाने, टेक्नोलॉजी की मदद से सर्विलांस करने, उल्लंघन पर भारी पेनल्टी लगाने जैसे प्रावधान करने हैं, लेकिन इन प्रावधानों की कोई पालना नहीं हो रही है। 

हकीकत में कुछ नहीं हो रहा

पत्र में यह भी कहा गया है कि राजस्थान सरकार ने स्टेट रोड सेफ्टी पॉलिसी 2017 को अपनाया हुआ है। इसके लिए सड़कों पर ब्लैक स्पॉट की पहचान करने, रोड सेफ्टी सेल गठित करने, भारी वाहनों को नियंत्रित करने, लेन सिस्टम और स्पीड ​अनुशासन बनाने हैं, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हो रहा है। 

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ऑडिट करने में ​पूरी तरह विफल 

जयपुर कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित डिस्ट्रिक्ट रोड सेफ्टी कमेटी सड़क सुरक्षा के लिए कोई भी काम करने में विफल रही है। इसी तरह जयपुर ट्रैफिक पुलिस भी सड़क सुरक्षा संबंधी उपायों को लागू करने में विफल है। जेडीए और दोनों नगर निगम सड़कों से अतिक्रमण हटाने में पूरी तरह विफल हैं। पीडब्ल्यूडी भी सड़कों की मेंटेनेंस और ऑडिट करने में ​पूरी तरह विफल है। 

डंपर चालक ने 14 को कुचल डाला

गौरतलब है कि सोमवार को जयपुर के लोहा मंडी चौराहे में डंपर चालक ने 26 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया और 14 लोगों को मार डाला। चालक शराब के नशे में था। उसने पहले करीब दो किमी तक डंपर को रॉन्ग साइड में चलाया। उसके बाद उसने कई पैदल व्यक्तियों, बाइक सवार और कार चालकों को अपनी चपेट में ले लिया। 

एक के बाद एक सड़क हादसे

इससे पहले फलोदी में रविवार को टेंपो ट्रैवलर हाईवे पर ट्रेलर में घुस गया। इससे ट्रैवलर सवार 15 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं कुछ दिन पहले जैसलमेर में स्लीपर बस में आग लगने से 28 लोगों की मौत हो गई थी। इस तरह जयपुर सहित पूरे राजस्थान में आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। 

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