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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान हाई कोर्ट ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में जर्जर क्लास रूम को ठीक करने के राजस्थान सरकार की ओर से पेश रोडमैप को वापस लौटा दिया है। जस्टिस महेन्द्र गोयल और जस्टिस अशोक जैन की खंडपीठ ने सरकार द्वारा पेश रोडमैप को अधूरा बताते हुए नाराजगी जाहिर की और सख्त लहजे में सरकार के काम करने के तरीके पर टिप्पणी की।
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जहां जरूरत, वहां कुछ नहीं
बेंच ने मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार 2047 के विजन की बात करती है, लेकिन आपके पास स्कूलों के लिए कल की ही प्लानिंग नहीं है। अदालत ने कहा कि बजट में स्कूल और कॉलेज खोलने की घोषणाएं होती है, लेकिन जहां वास्तव में आवश्यकता हो, वहां पर स्कूल और कॉलेज खोले जाएं।
धरातल पर काम करे सरकार
हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार को चुनावी वादों के हिसाब से काम नहीं करना चाहिए, बल्कि धरातल पर काम करके दिखाना चाहिए। बेंच झालावाड़ स्कूल हादसे को लेकर स्वप्रेरणा से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि हादसे के बाद भी सबक लिए गए हों, ऐसा लगता नहीं है।
सरकार का रोडमैप अधूरा
बेंच ने सरकार के जवाब पर असंतोष जताते हुए कहा कि प्रस्तुत किया गया रोडमैप अधूरा है और यह सभी जर्जर विद्यालय भवनों के लिए लागू नहीं होता है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि एक नया और समग्र प्लान तैयार कर दोबारा पेश किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार इस बार पूरी तैयारी के साथ आए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने अपनी टिप्पणी में सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइन फॉर स्कूल सेफ्टी 2016 के पालन को जरूरी बताया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या वर्तमान में स्कूल भवनों का इंफ्रास्ट्रक्चर इन गाइडलाइनों के अनुरूप है या नहीं।
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अलग-अलग मद में बजट की दें जानकारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता वागीश सिंह ने बताया कि अदालत ने सरकार को पिछले दिशा-निर्देशों के अनुसार अलग-अलग मद में जानकारी पेश करने के लिए कहा है। इसमें जर्जर भवनों, मरम्मत भवनों और नए भवनों के लिए कितना बजट दिया गया है, इसकी जानकारी पेश करनी है।
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झालावाड़ हादसे में 7 बच्चों की मौत
करीब तीन महीने पहले 25 जुलाई को झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में स्कूल हादसे में 7 बच्चों की मौत हो गई थी। बच्चे सुबह क्लास रूम में बैठे हुए थे, तभी कमरे की छत गिर गई। इसमें क्लास में मौजूद 35 बच्चे दब गए थे।
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जानकारी नहीं मिल पा रही
घटना के बाद हाई कोर्ट के दो जजों ने मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था, जिसे जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करके हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि सर्वे के मुताबिक, करीब 86 हजार कमरे जो कि जर्जर हालत में हैं, इस प्लान रिपोर्ट में उन सभी कमरों को कैसे रिपेयर किया जाएगा, इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है।
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