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Photograph: (the sootr)
Jaipur. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां की पुस्तक अग्निपथ नहीं जनपथ के विमोचन समारोह में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच चले सियासी बाणों (बयान) ने भाजपा की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। वायरल हो रहे सांप-सीढ़ी एवं डसने-डसाने के संबंधी बयानों ने सोशल मीडिया में भी सियासी गर्मी बढ़ा रखी है।
शुभचिंतक और भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा विरोधी गुट भी अपने अपने अंदाज में इन बयानों को लेकर रोचक टीका-टिप्पणी कर रहे हैं, जो खूब चर्चा में चल रही है। बयानबाजी ने राजनीति में कब किसने डसा, वो भी सामने ला दिया है।
कार्यक्रम की जमकर चर्चा
वर्तमान में भाजपा के हरियाणा प्रभारी डॉ. सतीश पूनियां ने यह पुस्तक आमेर विधायक के अपने कार्यकाल पर लिखी है। विमोचन समारोह भाजपा में अंदरूनी स्तर पर चलने वाली खींचतान को उजागर कर गया। पार्टी की अंदरूनी राजनीति में किसने किसको कब सांप बनकर डसा, इसके संकेत खुद नेताओं ने दिए। यही कारण है कि कार्यक्रम में शामिल नेताओं के बयान सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं और नेताओं के समर्थकों व विरोधियों के बीच बहस का विषय भी बन गए। उधर, जयपुर में होते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कार्यक्रम में नहीं होने या आमंत्रित नहीं करने को लेकर भी चर्चा है।
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राजनीति सांप-सीढ़ी की तरह
रविवार को आयोजित हुए विमोचन समारोह के मौके पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पूनियां से मुताखिब होते हुए कहा था कि राजनीति सांप-सीढ़ी की तरह है। इस खेल में पूनियां और मुझे सांप ने तब डसा, जब हम 87 नंबर पर थे। गौरतलब है कि राठौड़ व पूनियां 2023 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। वहीं मदन राठौड़ ने भी सियासी बाण छोड़े। उनका कहना था कि उन्हें भी दो बार सांप ने डसा। एक बार 2008 में और दूसरी बार 2018 में। राठौड़ ने कहा कि संभवतया 2008 में राठौड़ ने और 2018 में पूनियां ने मुझे डस लिया होगा।
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बयानों से सामने आई पीड़ा
सांप के डसने संबंधित बयानों से साफ है कि राठौड़, पूनियां के चुनाव में हारने को लेकर काफी पीड़ा अब भी है, जो बार-बार सार्वजनिक रूप से बाहर आ रही है। उनके बयान से चुनाव में हार जाने का दर्द तो साफ झलक रहा था, साथ ही पार्टी के सत्ता में आने के बाद भी उन जैसे वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की पीड़ा भी सामने आ गई। रही-सही कसर मदन राठौड़ ने पूरी कर दी। राठौड़ ने टिकट काटे जाने का दुख बयां किया। साथ ही टिकट किसने काटा, इसका साफ इशारा भी कर दिया।
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अलग ही राजनीतिक मायने
मदन राठौड़ के सांसद घनश्याम तिवाड़ी का नाम लेकर राजेंद्र राठौड़ द्वारा उनकी प्रशंसा किए जाने, उन्हें पिंजरे से निकालने जैसे सियासी बयान ने अलग ही बहस शुरू कर दी है। अंदर की बात कहकर मदन राठौड़ विषय को दूसरी दिशा में ले गए, लेकिन उनके इस बयान के अलग ही राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
नए समीकरणों की तरफ इशारा
राजेंद्र राठौड़ व घनश्याम तिवाड़ी के बीच बढ़ती मित्रता का जिक्र करके पार्टी में अंदरखाने चल रहे नए समीकरणों की तरफ भी मदन राठौड़ ने इशारा भी कर दिया है। कुल मिलाकर पूनियां की पुस्तक विमोचन के बहाने वरिष्ठ नेताओं ने चुनावी हार, चुनाव पूर्व टिकट काटे जाने और सत्ता में भागीदारी नहीं मिलने का दर्द सामने ला दिया है। साथ ही टिकट वितरण और चुनाव में अंदरखाने वरिष्ठ नेताओं की पटखनी और खींचतान के भी दर्शन करा दिए हैं।
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मदन राठौड़ का तीन बार कटा टिकट
मदन राठौड़ वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वे पिछले विधानसभा चुनाव में पाली की सुमेरपुर सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उनके स्थान पर वर्तमान में देवस्थान मंत्री जोगाराम कुमावत को टिकट मिला और वे जीतकर मंत्री बने। इससे पहले वे 2003 में विधायक चुने गए, लेकिन 2008 में टिकट नहीं मिला। फिर 2013 में विधायक बने, लेकिन अगले विधानसभा चुनाव 2018 में फिर टिकट कट गया। दोनों बार विधायक रहते हुए उनका टिकट काटा गया।
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टिकट कटा, कमान सौंपी
2023 में टिकट मांगा, लेकिन नहीं मिला तो वे निर्दलीय चुनाव मैदान में आ गए। बाद में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की समझाइश पर वे माने और चुनाव नहीं लड़ा। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ने को लेकर उनसे बात की थी। राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद एक साल पहले पार्टी की कमान मदन राठौड़ को सौंपी गई।
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सोशल मीडिया पर भी व्यंग्य बाण
विमोचन समारोह में राजेंद्र राठौड़, मदन राठौड़, टीकाराम जूली के बयान संबंधित वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं। बयान को लेकर पार्टी के कार्यकर्ता, शुभचिंतकों के साथ विरोधी भी खूब बयानबाजी कर रहे हैं। एक यूजर लिख रहा है कि जब जनता त्रस्त थी, तब तो उनकी सुध नहीं ली। जब चुनाव आए तो जनता भी तो अपना काम करेगी ही। नेताजी के एक शुभचिंतक ने तो विमोचित पुस्तक के नाम एवं दुश्मनों को भी मित्र बनाकर आमंत्रित करने को लेकर पोस्ट वायरल की। इस पोस्ट में भाजपा के नेता व कार्यकर्ता अपनी भड़ास निकालते दिखे।
वायरल वीडियो पर जमकर कमेंट
आमेर के एक कार्यकर्ता ने हार के लिए नेताजी को ही जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा कि वे तो प्रदेश में घूमते रहे, लेकिन आमेर की जनता काम नहीं होने से त्रस्त रही। जिन्हें जिम्मेदारी दी, वे भी आदर सत्कार-करवाते रहे। आज भी आमेर की जनता परेशान है। नेताजी को जनता की सेवा करनी चाहिए। सांप-सीढ़ी व सांप के डसने को लेकर फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम पर वायरल वीडियो पर खूब कमेंट देखने को मिल रहे हैं।