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Photograph: (TheSootr)
Jaipur. राजस्थान (Rajasthan) में हाल ही में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के अफसरों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में पदोन्नति दी गई थी। इसके बावजूद, 3 महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, ये अफसर पुराने पदों पर ही काम कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि राज्य सरकार ने इन अफसरों को नई पोस्टिंग क्यों नहीं दी है? इस विषय को लेकर ब्यूरोक्रेसी में अंदरखाने नाराजगी बढ़ती जा रही है, लेकिन कोई भी अफसर खुलकर विरोध करने से बच रहा है।
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RAS से IAS बने अफसरों की स्थिति
राजस्थान में कुल 16 RAS अफसरों को 2024 के लिए आईएएस पदोन्नति के लिए चुना गया था। इसके अलावा, राज्य की अन्य सेवाओं के 4 अफसरों को भी आईएएस में प्रमोशन मिला था। यह प्रमोशन 30 जून 2025 को केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Ministry of Personnel and Training) द्वारा जारी अधिसूचना के तहत हुआ था। लेकिन अक्टूबर माह के आने के बावजूद इन प्रमोटेड अफसरों को नई पोस्टिंग नहीं मिली है।
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IPS अफसरों को मिली पोस्टिंग
वहीं दूसरी ओर, जिन अफसरों को RPS (राजस्थान पुलिस सेवा) से आईपीएस (Indian Police Service) में प्रमोट किया गया था, उन पांच अफसरों को सरकार ने 23 सितंबर 2025 को पोस्टिंग दे दी। जबकि RAS से आईएएस बने अफसरों को नई पोस्टिंग का इंतजार अभी तक है। इस असमानता से राजस्थान के ब्यूरोक्रेसी में असंतोष फैलता जा रहा है, और खासकर प्रमोटी अफसरों का कहना है कि यह भेदभाव (Discrimination) ठीक नहीं है। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 2 सितंबर 2025 को पीयूष दीक्षित, विश्नाराम बिश्नोई, पुष्पेंन्द्र सिंह राठौड़, कमल शेखावत और अवनीश शर्मा को आईपीएस में पदोन्नत होने की अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद सरकार ने 23 सितंबर 2025 को इन अफसरों को पोस्टिंग भी दे दी गई।
आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष RAS महावीर खराड़ी का कहना है कि सरकार को तबादला और पोस्टिंग का अधिकार है, लेकिन भेदभाव ठीक नहीं। प्रमोटी अफसरों के पास फील्ड का अनुभव ज्यादा होता है। ऐसे में जिला परिषद की पोस्ट पर सीधी भर्ती के आईएएस को लगाना चाहिए। जबकि कलक्टर पद प्रमोटी आईएएस को लगाना चाहिए।
प्रमोटी को नहीं मिलते ज्यादा अवसर
एक प्रमोटी आईएएस अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर यह कहा कि मुख्यमंत्री के आस-पास के अफसर ज्यादातर डायरेक्ट आईएएस अफसर होते हैं, जबकि प्रमोटी अफसरों की पहुँच कम होती है। यही कारण है कि प्रमोटी अफसरों को अवसर नहीं मिल पाते और उनका कद भी घटता जाता है। मुख्य सचिव भी सीधी भर्ती वाले अफसर होते हैं, जिसके कारण प्रमोटी अफसरों को अधिक जिम्मेदारियां नहीं दी जातीं। मौजूदा समय में मुख्यमंत्री कार्यालय में चार सीधी भर्ती के आईएएस अफसर हैं, जिनमें एसीएस टू सीएम शिखर अग्रवाल भी शामिल हैं। इसके अलावा, प्रदेश के 41 जिलों में से केवल 12 जिलों की कमान प्रमोटी अफसरों के हाथ में है, जबकि पहले 17 से 18 जिलों की जिम्मेदारी प्रमोटी अफसरों के पास हुआ करती थी।
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ये 16 अफसर बने आरएएस से आईएएस
नवनीत कुमार, सुखवीर सैनी, हरफूल सिंह यादव, राजेश वर्मा, सुरेश चंद्र, महेंद्र कुमार खींची, अजीत सिंह राजावत, अवधेश सिंह, राकेश शर्मा, जगवीर सिंह, ब्रजेश कुमार चंदौलिया, डॉ हरसहाय मीणा, जुगल किशोर मीणा, राकेश राजोरिया, ललित कुमार और डॉ. शिव प्रसाद सिंह।
अन्य सेवाओं से भी मिले चार IAS
प्रदेश को चार नए आईएएस अधिकारी मिले हैं, जो अन्य सेवाओं से आईएएस में पदोन्नत हुए हैं। इनमें डॉ. नीतिश शर्मा, अमिता शर्मा, नरेंद्र कुमार मगनानी और नरेश कुमार गोयल शामिल हैं। चार में से तीन आईएएस अधिकारी सांख्यिकी सेवा से पदोन्नत हुए हैं, जबकि अमीता शर्मा लेखा सेवा से आईएएस बनी हैं।
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क्या प्रमोशन के बावजूद पोस्टिंग का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रमोटी आईएएस अफसरों की पोस्टिंग पूरी तरह से मुख्यमंत्री के विवेकाधिकार पर निर्भर करती है। राज्य सरकार की सिफारिश पर ही प्रमोशन मिलने के बाद मुख्यमंत्री यह तय करते हैं कि किस अफसर को कहां तैनात करना है। यह तैनाती सचिवालय, जिलों या किसी अन्य विभाग में हो सकती है, और इसमें किसी भी प्रकार का नियम का उल्लंघन नहीं होता।
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प्रमोटी अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में प्रमोटी आइएएस अफसरों पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। राज्य सरकार ने कई अफसरों को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार भी किया है। एसीबी (Anti Corruption Bureau) द्वारा रंगे हाथ पकड़ने के बाद, सरकार को अपनी छवि को बचाने के लिए कदम उठाने पड़ते हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उन अफसरों को साइडलाइन करने में कोई देर नहीं करते जिन पर आरोप लगे हों। इस कारण भी प्रमोटी अफसरों को तैनाती में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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सरकारी विभागों में अफसरों की कमी
राजस्थान सरकार इन दिनों अधिकारियों की कमी से जूझ रही है। कई महत्वपूर्ण विभागों का अतिरिक्त चार्ज अन्य अफसरों के पास है, जिसके कारण विभागों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। उदाहरण के तौर पर, पंचायतीराज विभाग के पास अपना पूरा समय देने वाला आईएएस नहीं है। इस विभाग के प्रमुख जोगाराम के पास अतिरिक्त जिम्मेदारी है। यही नहीं, 45 से ज्यादा विभागों का अतिरिक्त चार्ज अफसरों के पास है, जो कामकाजी बोझ को बढ़ा रहे हैं।
प्रमोटी अफसरों की प्रशासन में भूमिका?
प्रमोटी आइएएस राजस्थान की भूमिका को लेकर विभिन्न विशेषज्ञों और अधिकारियों का मानना है कि प्रमोटी अफसरों का फील्ड (Field Experience) काफी अधिक होता है। इस कारण प्रमोटी अफसरों को जिला कलक्टर (District Collector) जैसी जिम्मेदारियों में तैनात किया जाना चाहिए। हालांकि, सीधी भर्ती के आईएएस अफसरों को यह पद दिए जाते हैं, जबकि प्रमोटी अफसरों के पास पर्याप्त अनुभव और ज्ञान होता है।