रेरा का आदेश : बिल्डर और जमीन मालिक के बीच विवाद हो, तो घर खरीदने वाले नहीं होंगे प्रभावित
राजस्थान में अब जमीन मालिक और बिल्डर के बीच विवाद होने पर घर खरीदने वालों के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे। रेरा ने बिल्डर को 46 लाख रुपए वापस करने का आदेश दिया है।
राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानि (रेरा) ने कहा है कि हाउसिंग प्रोजेक्ट में बिल्डर और जमीन मालिक के विवाद से घर खरीदने वाले के अधिकार पर कोई प्रभाव नहीं होगा। रेरा ने एक प्रोजेक्ट में तय समय सीमा के भीतर क्रेता को मकान का कब्जा नहीं देने पर उससे वसूली गई पूरी राशि ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं।
जलाराम चौधरी ने अलौकिक बिल्डकॉन के प्रोजेक्ट मयूर ध्वज ग्रैंड में 59 लाख 80 हजार 500 रुपए में मकान खरीदने के लिए बिल्डर से एग्रीमेंट किया था। इसके लिए चौधरी ने 46 लाख रुपए बिल्डर अलौकिक बिल्डकॉन को अदा भी कर दिए थे। बिल्डर ने अप्रेल, 2020 तक मकान का कब्जा देने का एग्रीमेंट किया था।
पर बिल्डर तय समय अप्रेल, 2020 तक मकान का कब्जा नहीं दे सका, क्योंकि उसके और जमीन मालिक के बीच में विवाद हो गया था। बार-बार कहने के बावजूद बिल्डर ने ना लिए गए 46 लाख रुपए लौटाए और ना ही मकान का कब्जा दिया। वह देरी के लिए जमीन मालिक से विवाद का बहाना बनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता रहा।
विवाद निपटाने का क्षेत्राधिकार नहीं
परेशान होकर जलाराम चौधरी ने रेरा में शिकायत दर्ज करवाई, क्योंकि प्रोजेक्ट रेरा से स्वीकृत था। चौधरी ने मामले में अलौलिक बिल्डर के साथ ही जमीन मालिकों को भी पक्षकार बनाकर ब्याज सहित जमा किए गए 46 लाख रुपए वापस दिलवाने की गुहार की। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद रेरा चेयरमैन वीनू गुप्ता ने आदेश में कहा कि रेरा को बिल्डर और जमीन मालिक के मध्य विवाद को निपटाने का क्षेत्राधिकार नहीं है।
कब्जा देने में असफल रही कंपनी
रेरा का मूल काम बिल्डरों से मकान और फ्लैट तथा अन्य संपत्ति खरीदने वाले क्रेताओं के अधिकारों और हितों की रक्षा करने का है। मामले में अलौलिक बिल्डर ने क्रेता से अप्रेल, 2020 में मकान का कब्जा देने का एग्रीमेंट किया था और इसके बदले में कुल कीमत में से 46 लाख रुपए एडवांस भी ले लिए थे। इसके बावजूद बिल्डर कंपनी क्रेता को तय समय अप्रेल, 2020 में मकान का कब्जा देने में असफल रही।
राजा रघुवंशी मर्डर केस में पहली जमानत, बिल्डर लोकेंद्र तोमर और गार्ड बलबीर को राहत
जिम्मेदारी से वह बच नहीं सकता
रेरा ने कहा है कि बिल्डर और जमीन मालिक के बीच चल रहे विवाद से क्रेता के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं होता। बिल्डर जमीन मालिक के साथ चल रहे विवाद की आड़ में क्रेता के साथ किए गए एग्रीमेंट के अनुसार तय समय में मकान का कब्जा देने की कानूनी बाध्यता से बच नहीं सकता।
बिल्डर मकान की कीमत की 80 फीसदी राशि एडवांस ले चुका था, इसलिए कब्जा या रिफंड देने की जिम्मेदारी से वह नहीं बच सकता। रेरा ने चौधरी की शिकायत को स्वीकार करते हुए अलौकिक बिल्डकॉन को 45 दिन के भीतर शिकायतकर्ता से लिए गए 46 लाख रुपए अप्रेल, 2020 से लेकर वापस लौटाए जाने की तारीख तक 11.10 फीसदी वार्षिक ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं। अब सवाल यह है कि बिल्डर विवाद में रेरा आदेश के बाद मकान कब्जा आसानी से मिल पाएगा?
FAQ
1. क्या जमीन मालिक और बिल्डर के विवाद का असर खरीदार के अधिकारों पर होता है?
नहीं, रेरा के अनुसार जमीन मालिक और बिल्डर के विवाद का खरीदार के अधिकारों पर कोई असर नहीं होता। खरीदार के साथ हुए एग्रीमेंट के अनुसार, बिल्डर को तय समय में मकान का कब्जा देना होता है।
2. रेरा ने किस मामले में बिल्डर को आदेश दिया है?
रेरा ने जलाराम चौधरी और अलौलिक बिल्डकॉन के मामले में आदेश दिया है कि बिल्डर को खरीदार से लिए गए 46 लाख रुपए और ब्याज वापस करने होंगे।
3. अगर बिल्डर तय समय पर कब्जा नहीं देता तो क्या खरीदार को नुकसान होगा?
नहीं, रेरा ने साफ किया है कि बिल्डर का तय समय पर कब्जा न देना, खरीदार के अधिकारों का उल्लंघन है और उसे पूरा पैसा और ब्याज लौटाना होगा।