दर्द से धुरंधर बने रुद्रांश को मिलेगा अर्जुन अवॉर्ड, पैरा शूटिंग में हुआ नामित, माता-पिता के साथ ने बढ़ाया हौसला

राजस्थान के भरतपुर का रुद्रांश पैरा शूटिंग में विश्व रिकॉर्ड बना चुका है। वह अब तक 55 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत चुका है। रुद्रांश ने साबित किया कि पिता का साथ और सिर पर मां का हाथ हो, तो फिर कोई विषम परिस्थिति राह नहीं रोक सकती।

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Amit Baijnath Garg
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राजेश खंडेलवाल @ भरतपुर

राजस्थान के भरतपुर के रुद्रांश खंडेलवाल ने छोटी उम्र में बड़ा दर्द झेला, लेकिन उस दर्द ने उसे ऐसा धुरंधर बना दिया कि अब रुद्रांश को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार यानी कि अर्जुन अवॉर्ड के लिए नामित किया गया है। पैरा शूटिंग में विश्व रिकॉर्ड बना चुके और 55 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत चुके रुद्रांश ने साबित किया कि पिता का साथ और सिर पर मां का हाथ हो, तो फिर कोई विषम परिस्थिति इंसान की राह नहीं रोक सकती। दर्द से धुरंधर बने रुद्रांश को मिलेगा अर्जुन अवॉर्ड।

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खुशी को तब लगी ऐसी नजर

रुद्रांश भी पहले अन्य बालकों जैसा था। स्कूल जाकर पढ़ने के साथ खाली समय में खेलता-कूदता रहता, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। करीब एक दशक पहले कजिन बहन की शादी में इसकी खुशी को ऐसी नजर लगी कि इसके चेहरे से हंसी काफूर हो गई। वरमाला के समय आतिशबाजी के दौरान हुए विस्फोटक हादसे ने इसका एक पैर छीन लिया।

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पिता ने बढ़ाई हिम्मत, मां ने दिखाई राह

अब तो वह चलने-फिरने में भी असक्षम हो गया। इसकी पढ़ाई भी बाधित हो गई। खेलना-कूदना तो जैसे इसके लिए सपना ही बन गया। एक दिन जब चलते-फिरते और खेलते-कूदते बच्चों को इसने देखा तो इसकी आंखें भर आईं। 

यह देख पिता आशुतोष खंडेलवाल ने यह कहकर इसकी हिम्मत बढ़ाई कि चिंता मत कर, एक दिन तू भी चलेगा। वहीं मां विनिता ने भी कदम-कदम पर हौसला बढ़ाते हुए इसे नई राह दिखाई। कुछ दिनों बाद ही यह बालक खेलकूद की दुनिया में कदम आगे बढ़ाने लगा।

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मम्मी, क्या मैं भी खेल पाऊंगा

दर्द से धुरंधर बने रुद्रांश की मां विनिता बताती हैं कि जब बेटा 1 साल तक घर पर रहा तो वह दूसरे बच्चों को देखकर खेलने की इच्छा जताता और पूछता कि मम्मी, क्या मैं भी खेल पाऊंगा। विनीता कहती हैं कि मैंने हमेशा रुद्रांश का हौसला बढ़ाया और उससे कहा कि बेटा तुम भी जरूर खेल पाओगे और दूसरे बच्चों की तरह स्कूल भी जाओगे।

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ऐसे की रुद्रांश ने अपनी नई शुरुआत 

विनीता कहती हैं कि एक बार खेल प्रभारी के रूप में बीएड कॉलेज की छात्राओं को लोहागढ़ स्टेडियम में लेकर गई थीं। यहां उन्होंने पहली बार एयर पिस्टल शूटिंग गेम देखा। उसके बाद यहां पर अपने बेटे रुद्रांश के लिए कोच से बात की, जिन्होंने बताया कि उनका बेटा भी इस खेल में भाग ले सकता है। इस दौरान रुद्रांश के लिए आर्टिफिशियल पैर भी तैयार करवाया। इस तरह से रुद्रांश ने अपनी नई दुनिया की शुरुआत की।

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हर दिन दो घंटे एक्सरसाइज

विनीता ने बताया कि शुरुआत में रुद्रांश को एयर पिस्टल शूटिंग की प्रैक्टिस में थोड़ी दिक्कत होती थी, लेकिन कुछ जरूरी एक्सरसाइज नियमित रूप से कराई और उसके बाद रुद्रांश धीरे-धीरे अपने खेल में आगे बढ़ता गया। रुद्रांश ने बताया कि वह हर दिन करीब 2 घंटे तक अलग-अलग तरह की फिजिकल एक्सरसाइज करता। 

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तब पीएम मोदी ने दी बधाई

अब रुद्रांश बीते करीब 4 साल से लगातार एयर पिस्टल शूटिंग की विभिन्न प्रतियोगिता में भाग ले रहा है। रुद्रांश ने एशियन पैरा गेम्स 2023 में सिल्वर मेडल जीता था। इस उपलब्धि पर रुद्रांश को पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बधाई दी थी। अब तो रुद्रांश ने मेडल्स का अंबार लगा दिया है। हर कोई उसे देखकर बहुत खुश होता है। रुद्रांश न केवल भरतपुर, बल्कि भारत और राज्स्थान का नाम भी रोशन कर रहा है।

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