रणथंभौर में बाघों के बीच संघर्ष : टेरेटरी-मादा के लिए जारी टकराव, आए दिन सामने आ रहे मामले

राजस्थान के रणथंभौर में बाघों के बीच बढ़ता संघर्ष पर्याप्त टेरेटरी की मांग कर रहा है। इस तरह से बाघों के आपसी संघर्ष को कम किया जा सकता है और उनके जीवन में संतुलन स्थापित किया जा सकता है।

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Amit Baijnath Garg
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Sawai Madhopur. राजस्थान का रणथंभौर नेशनल पार्क बाघों के संघर्ष के कारण सुर्खियों में रहा है। यहां बाघों के बीच वर्चस्व की लड़ाई अक्सर देखने को मिलती है। ये संघर्ष मुख्य रूप से दो कारणों से होते हैं। एक, बाघों का टेरेटरी के लिए संघर्ष। दूसरा, मादा बाघिन के लिए प्रतिस्पर्धा। वन्यजीव विशेषज्ञ इसे एक सामान्य प्रक्रिया मानते हैं, लेकिन यह संघर्ष सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

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बाघों की बढ़ती संख्या और संघर्ष

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 78 बाघ-बाघिन और शावक हैं, जबकि यह क्षेत्र केवल 939.14 वर्ग किमी में फैला हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस क्षेत्र में 55 से 56 बाघों की ही सही संख्या होनी चाहिए, लेकिन बाघों का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है, जो आपसी संघर्ष का मुख्य कारण बन रहा है। इस बढ़ती संख्या से बाघों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ी हैं।

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बाघों के लिए टेरेटरी की कमी

वन्यजीव विशेषज्ञ धर्मेंद्र खंडाल का कहना है कि रणथंभौर में एक बाघ को महज 14 से 15 वर्ग किमी इलाका मिलता है, जो उनकी जरूरत से बहुत कम है। बाघों को 20 से 60 वर्ग किमी और बाघिन को 20 से 40 वर्ग किमी इलाका चाहिए। इस कमी के कारण बाघों की टेरेटरी एक-दूसरे से ओवरलैप होती है, जिससे संघर्ष बढ़ जाता है।

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मां-बेटी के बीच टेरेटरी संघर्ष

हाल ही में रणथंभौर के जोन नंबर तीन में बाघों के टेरेटरी संघर्ष ने सबका ध्यान खींचा। यहां मां रिद्धि और बेटी मीरा के बीच जबरदस्त टकराव हुआ। युवा बाघ या बाघिन को जब नई टेरेटरी की तलाश होती है तो उनकी पहली भिड़ंत अपनी मां से होती है। इस संघर्ष में जान को खतरा नहीं होता, लेकिन जब यह टकराव अन्य बाघों से होता है तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।

बाघों के संघर्ष की जटिलता

बाघों के बीच संघर्ष का एक और कारण मादा बाघिन के लिए प्रतिस्पर्धा है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, एक नर बाघ को दो से तीन मादा बाघिन की आवश्यकता होती है, लेकिन रणथंभौर में नर और मादा बाघों का अनुपात गड़बड़ा चुका है। यहां एक नर बाघ के पास महज एक मादा बाघिन है, जो संघर्ष को और बढ़ा रहा है।

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अकेले रहने की आदत

रणथंभौर के डीएफओ रामानंद भाकर के अनुसार, बाघों को अधिकांश समय अकेले रहना पसंद होता है। वे अपनी टेरेटरी अपने बच्चों के साथ साझा करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनके बीच भी टेरेटरी को लेकर संघर्ष शुरू हो जाता है। यह संघर्ष न केवल बाघों के बीच, बल्कि कई बार बाघों और भालू या मगरमच्छ जैसे अन्य जानवरों के बीच भी देखने को मिलता है।

सैलानियों के लिए रोमांच

रणथंभौर में बाघों के बीच इस संघर्ष को सैलानी एक रोमांचक अनुभव के रूप में देखते हैं। यहां के बाघों के संघर्ष के दृश्य और उनकी शिकार की प्रक्रिया अक्सर पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा, बाघों का भालू और मगरमच्छ से संघर्ष भी सैलानियों के लिए एक दिलचस्प घटना होती है।

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समाप्ति और समाधान

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों के बढ़ते संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए सरकार और वन विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि वे बाघों को पर्याप्त टेरेटरी मुहैया कराएं। इस तरह से बाघों के आपसी संघर्ष को कम किया जा सकता है और उनके जीवन में संतुलन स्थापित किया जा सकता है।

FAQ

1. रणथंभौर में बाघों के बीच संघर्ष क्यों हो रहे हैं?
रणथंभौर में बाघों के संघर्ष का मुख्य कारण टेरेटरी (territory) की कमी है। बाघों को पर्याप्त जगह नहीं मिल रही है, जिससे उनका आपसी संघर्ष बढ़ रहा है।
2. क्या बाघों का संघर्ष सैलानियों के लिए खतरे की बात है?
नहीं, बाघों का संघर्ष आमतौर पर वाइल्डलाइफ का हिस्सा है। हालांकि, कभी-कभी यह संघर्ष खतरनाक हो सकता है, लेकिन बाघों के टकराव को सैलानी एक रोमांचक अनुभव मानते हैं।
3. बाघों को कितनी टेरेटरी की आवश्यकता होती है?
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, एक नर बाघ को 20 से 60 वर्ग किमी और एक बाघिन को 20 से 40 वर्ग किमी टेरेटरी की आवश्यकता होती है।

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