आमीन हुसैन, RATLAM. मध्यप्रदेश में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुटी हुई हैं। विधायक के उम्मीदवार भी पीछे नहीं हट रहे हैं। लोगों को लुभाने के लिए अब ये नेता धार्मिक आयोजनों का सहारा ले रहे हैं। बीते कुछ महीनों से जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष प्रभु राठौर भी चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं। वे लोगों को निशुल्क धार्मिक यात्रा करा रहे हैं। डॉक्यूमेंट में वोटर आईडी मांगी जा रही है।
विधानसभा चुनाव से पहले धार्मिक यात्रा
विधानसभा चुनाव से पहले प्रभु राठौर की सक्रियता उनकी विधायक की उम्मीदवारी दिखा रही है। लोगों की धर्म के प्रति आस्था का फायदा उठाते हुए धार्मिक आयोजन करा रहे हैं जिसका खूब प्रमोशन किया जा रहा है। राठौर भी लाइमलाइट में आ रहे हैं। पहले शहनाज अख्तर के भजन फिर सावन सोमवार के मौके पर उज्जैन महाकालेश्वर यात्रा के जरिए आमजन को तीर्थ के लिए भेजकर अपना सिक्का जमाने में लगे हैं।
यात्रा पर जाने के लिए वोटर आईडी जरूरी
प्रभु राठौर और उनके परिवार ने हर सावन सोमवार को निशुल्क महाकालेश्वर की यात्रा का दौर शुरू किया है। सोमवार को करीब 1200 श्रद्धालुओं को 10 बसों के जरिए महाकालेश्वर की यात्रा पर भेजा गया। इसके पंजीयन के लिए श्रद्धालुओं से आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड लेकर पंजीयन किए जा रहे हैं।
बीजेपी जिला मंत्री ने लगाए आरोप
पंजीयन के नाम से श्रद्धालुओं से वोटर आईडी कार्ड की जानकारी लेने पर बीजेपी जिला महामंत्री प्रदीप उपाध्याय ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस को जब ये पता चल गया है कि लोगों की अब धर्म के प्रति जागृति बढ़ गई है। तो कांग्रेस के कुछ लोग मौसमी हिंदू बने हुए हैं। हमें उनके धार्मिक आयोजनों से कोई आपत्ति नहीं, वे महाकाल के दर्शन करवाएं या तीर्थ यात्रा पर ले जाएं, लेकिन श्रद्धालुओं से वोटर आईडी कार्ड की जानकारी लेना उचित नहीं है। वे चाहें तो आधार कार्ड से पंजीयन कर सकते हैं।
धर्म की आड़ में चुनावी तैयारी
प्रदीप उपाध्याय का कहना है कि महाकाल के दर्शन करने के लिए आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड लेने से साफ जाहिर होता है कि ये वोटरों की जानकारी हासिल कर चुनाव की तैयारियों में लगे हैं। जबकि दर्शन करने में किसी प्रकार के आधार कार्ड और आईडी की जरूरत नहीं होती है। केवल महाकाल के दर्शन कराने और करने से कोई विधायक नहीं बन जाएगा। विधायक बनने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। कार्यकर्ताओं के बीच रहना होगा। अंतिम पंक्ति में बैठे अंतिम व्यक्ति की सेवा करना ही महाकाल की सेवा है।