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यूपीएससी में 5th AIR हासिल करने वाले अभिलाष मिश्रा आज कई युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। दो बार IIT में असफलता, फिर नौकरी की स्थिरता छोड़कर सिविल सर्विस का सपना देखना। आखिरकार चौथे प्रयास में सफलता। हर काम को खुशी और आनंद के साथ करना ही उनकी सफलता का मंत्रा है।
शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि
इलाहाबाद में जन्मे अभिलाष मिश्रा की प्रारंभिक शिक्षा और उच्च अध्ययन वहीं से हुआ। उनके पिता इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं। माँ एक गृहिणी हैं, जिन्होंने परिवार को मजबूत आधार दिया। पत्नी प्राची ऐलावादि मिश्रा भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में अधिकारी हैं। परिवार में अनुशासन, शिक्षा और नैतिकता की गहरी परंपरा ने अभिलाष को हमेशा प्रेरित किया।
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इंजीनियरिंग के बाद पकड़ी प्रशासन की राह
अभिलाष शुरू में आईआईटी में प्रवेश लेना चाहते थे, लेकिन दो प्रयासों में असफल रहे। इसके बाद उन्होंने मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT), इलाहाबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया। कॉलेज के बाद वे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL), मुंद्रा (गुजरात) में इंजीनियर के रूप में कार्यरत हुए। हालांकि, उनके भीतर सिविल सेवा में जाने का सपना लगातार जीवित रहा। इलाहाबाद के माहौल में पली-बढ़ी यूपीएससी की परंपरा और परिवार के प्रोत्साहन ने उन्हें प्रशासनिक सेवा की राह पर आगे बढ़ाया।
चौथे प्रयास में मिली सफलता
अभिलाष यूपीएससी के पहले तीन प्रयासों में आईएएस नहीं बन सके, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी। दूसरे प्रयास में इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (IRTS) और तीसरे प्रयास में आईआरएस (IRS) में चयन हुआ। आखिरकार, चौथे प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 5 प्राप्त कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया। उनका वैकल्पिक विषय लोक प्रशासन था, जिसे उन्होंने रणनीतिक रूप से सामान्य अध्ययन के साथ जोड़ा ताकि तैयारी समग्र हो।
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नोट्स बनाना ही सफलता की नींव है
अभिलाष मानते हैं कि यूपीएससी की तैयारी में सबसे अहम भूमिका नोट्स की होती है।
वे कहते हैं कि शुरुआत में मैंने कुछ विषयों के नोट्स नहीं बनाए थे, पर बाद में समझ आया कि यह बड़ी गलती थी। यूपीएससी के विशाल पाठ्यक्रम को बार-बार दोहराना तभी संभव है जब आपके पास संक्षिप्त और सुव्यवस्थित नोट्स हों। वे नोट्स को समय-समय पर करंट अफेयर्स और रिपोर्ट्स के अनुसार अपडेट करते रहते थे, जिससे उनका कंटेंट ताज़ा और प्रासंगिक बना रहता था।
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हर प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश करें
अभिलाष मिश्रा का मानना है कि परीक्षा में हर प्रश्न का उत्तर देना जरूरी है। वे अपने उत्तरों को तीन भागों परिचय, मुख्य भाग और निष्कर्ष में बांटते थे। फैक्ट-बेस्ड प्रश्नों में वे बुलेट पॉइंट्स का उपयोग करते थे, जबकि विश्लेषणात्मक सवालों में पैराग्राफ फॉर्म में लिखना पसंद करते थे। उनका मानना है कि उत्तर की प्रस्तुति साफ-सुथरी और तार्किक होनी चाहिए।
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हर दिन पढ़ते थे अखबार
अभिलाष रोजाना अखबार पढ़ते थे और बजट, आर्थिक सर्वेक्षण, नीति आयोग रिपोर्ट्स जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर विशेष ध्यान देते थे।
उनका कहना है कि अच्छा उत्तर वही होता है जिसमें करंट और कॉन्सेप्ट दोनों का संतुलित मेल हो।
इंटरव्यू में आत्मविश्वास है सबसे बड़ा हथियार
अभिलाष कहते हैं कि इंटरव्यू केवल ज्ञान की नहीं, बल्कि संयम, धैर्य और आत्मविश्वास की परीक्षा होती है। वे अपने दोस्तों और बैचमेट्स के साथ रोज़ समसामयिक विषयों पर चर्चा करते थे ताकि हर प्रश्न का संतुलित और शांतिपूर्ण जवाब दे सकें।
तनाव नहीं, आनंद से पढ़िए
उनका कहना है कि पढ़ाई को बोझ नहीं, आनंद के रूप में लेना चाहिए। जब आप तनाव में काम करते हैं तो आप अपना शत प्रतिशत नहीं दे पाते हैं। लेकिन अगर आप आनंद के साथ पढ़ाई करें, तो सफलता निश्चित है। वो बताते हैं की जब भी उन्होंने बहुत रिलैक्स्ड होकर पढ़ाई की तब उनके नंबर पहले से ज्यादा अच्छे आये।
अभिलाष को खेलना पसंद है, और वे मानते हैं कि शारीरिक फिटनेस और मानसिक शांति परीक्षा की तैयारी में समान रूप से जरूरी हैं।
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विनम्रता ही सफलता की पहचान
अभिलाष मिश्रा कहते हैं, “मैं डेस्टिनी में विश्वास करता हूँ। अगर आप सफलता तक पहुँचे हैं, तो उसमें आपकी मेहनत के साथ किस्मत और कई अन्य लोगों का योगदान भी होता है। इसलिए, चाहे जितने बड़े हो जाएं, विनम्र रहना ज़रूरी है।”
करियर एक नजर
नाम: अभिलाष मिश्रा
जन्म: 5-8-1988
जन्मस्थान: उत्तरप्रदेश
एजुकेशन: बी टेक
बैच: 2017
कैडर: मध्यप्रदेश
पदस्थापना
अभिलाष मिश्रा वर्तमान में उज्जैन नगर निगम के निगमायुक्त के पद पर पदस्थ हैं। इसके पहले वो इंदौर नगर निगम में अपर आयुक्त पद पर कार्यरत थे। मिश्रा इससे पहले भी उज्जैन जिले में महीदपुर में एसडीएम की जिमेदारी संभाल चुके हैं। इसके अलावा, महू एसडीएम व बैतुल जिला पंचायत सीईओ भी रह चुके हैं।
देखें आईएएस अभिलाष मिश्रा का सर्विस रिकॉर्ड
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अभिलाष मिश्रा की कहानी संघर्ष, धैर्य और सकारात्मक सोच की कहानी है। उनका सफर यह सिखाता है कि अगर मन में दृढ़ संकल्प हो और दृष्टिकोण सही हो, तो असफलता भी सफलता की राह बना देती है।
FAQ
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