जेंटेलमैन के रूप में जाने जाते हैं आईएएस लोकेश जाटव

प्रोजेक्ट 100 कलाम के जरिए कई आदिवासी छात्रों को शिक्षा और आत्मनिर्भरता की नई राह दिखाने वाले आईएएस लोकेश जाटव एक ईमानदार, विनम्र और जनसेवा के प्रति समर्पित अफसर के रूप में जाने जाते हैं।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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IAS Lokesh jaatav
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भारत में सिविल सेवा परीक्षा को केवल एक करियर नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम माना जाता है। हर साल इस परीक्षा को पास करने वाले अफसर देश की नीतियों और विकास योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने का काम करते हैं। उनके एक फैसले से लाखों लोगों की जिंदगी बदल सकती है। ऐसे ही एक अधिकारी हैं आईएएस लोकेश जाटव, जिन्होंने अपने कार्यों से यह साबित किया कि एक अफसर सिर्फ आदेश देने वाला नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने वाला सच्चा सेवक होता है। वो एक टास्क परफ़ॉर्मर होने के साथ ही बहुत विनम्र स्वभाव के अधिकारी हैं। पब्लिसिटी से दूर रहकर सिर्फ काम में विश्वास रखते हैं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

लोकेश जाटव का जन्म 1-6-1981 को मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता आयकर विभाग में अधिकारी रहे हैं, और माँ होमेमेकर। लोकेश के अलावा उनके पांच भाई बहन और हैं। पिता को देखकर ही लोकेश के भीतर प्रशासनिक सेवा का सपना जागा। बचपन से ही वे अपने पिता की कार्यशैली को देखकर प्रेरित थे और ठान लिया था कि उन्हें भी जनता की सेवा करनी है। कक्षा 9 से 12वीं तक की पढ़ाई रीवा के सैनिक स्कूल में पूरी की। हालांकि, परिवार बड़ा होने के कारण शुरू में हॉस्टल में रहने में थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन, कुछ दिनों में ही उन्हें वहां अच्छा लगने लगा और यहीं से सीखी बहुत सी चीजें बाद में उनके जीवन में काम आयीं। कॉलेज के दिनों में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी, और 2004 में मात्र 23 साल की उम्र में आईएएस बनकर अपने सपने को साकार किया।

मन और मस्तिष्क का मिलान

लोकेश कहते हैं ऐसी कोई परीक्षा या काम नहीं है जिसको व्यक्ति पूरा ना कर सके। बस अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी ज़रूरी है।अगर किसी लक्ष्य के प्रति आपके मन और मस्तिष्क एक हो जाएंगे तो सफलता मिलना तय है। एक बार अगर आप सालभर लगन से पढ़ाई कर लेंगे तो इस परीक्षा में सफल होना कोई मुश्किल काम नहीं है। 

सफल होने पर रुकना नहीं

लोकेश कहते हैं कि अक्सर लोग यूपीएससी पास कर आईएएस बनने को ही सब कुछ समझते हैं, लेकिन याद रखिए ये तो सिर्फ शुरुआत है क्योंकि अब यहां आप जो काम करने आये हैं वो करके दिखायें। एक प्रशासनिक अधिकारी की जिम्मेदारी पद पर आने के बाद बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। एक लक्ष्य के बाद दूसरा लक्ष्य तय करें। मेरा प्रयास यही होता है कि जो भी मेरे ऑफिस में अपनी समस्या लेकर आये, हताश होकर वापस नहीं जाना चाहिए। 

IAS Lokesh Kumar

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पत्नी से मिलती है प्रेरणा

लोकेश जाटव कहते हैं मुझे अपने काम के लिए बहुत समय देना पड़ता है, ऐसे में पत्नी घर और बाहर की सारी जिम्मेदारियाँ संभालती हैं। बेटी को भी वो ही अपना पूरा समय देती हैं। हमारे बीच काम या दूसरी चीजों को लेकर किसी तरह की बराबरी नहीं होती है। सच कहूं तो मुझे पत्नी से हर काम के लिए प्रेरणा मिलती है। मेरा मानना है अच्छे रिश्ते के लिए दोनों के बीच संवाद जरूरी है।

आने वाला समय चुनौतीपूर्ण होगा

लोकेश जाटव मानते हैं कि आने वाला समय प्रशासनिक अधिकारियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा। पूरा इकोनॉमिक स्टेटस इम्प्रूव हो रहा है। अब आम जनता भी जागरूक हो गई है, इसलिए अधिकारियों को भी ज्यादा सिटीजन ओरिएंटेड होना पड़ेगा।

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प्रोजेक्ट 100 कलाम

लोकेश जाटव का मानना है कि सच्चा विकास तभी संभव है जब देश के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा की पहुंच हो। इसी सोच के तहत उन्होंने मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल मंडला जिले में प्रोजेक्ट 100 कलाम की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य था आदिवासी इलाकों के होनहार लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसी कठिन परीक्षाओं के लिए तैयार करना। इस योजना के तहत 580 गरीब छात्र-छात्राओं के आईआईटी-जेईई और एआईपीएमटी के फॉर्म निशुल्क भरवाए गए। छात्रों को नि:शुल्क कोचिंग, वर्चुअल क्लासेस, अध्ययन सामग्री और मार्गदर्शन की सुविधा दी गई। आदिवासी विकास विभाग और जिला प्रशासन ने मिलकर चंदा जुटाकर परीक्षा फीस का इंतजाम किया। लोकेश जाटव स्वयं छात्रों से मिलते थे, उन्हें प्रेरित करते थे और उनकी प्रगति की निगरानी करते थे। 2016 में प्रोजेक्ट की पहली सफलता मिली, जब 26 छात्रों का चयन मेडिकल में हुआ। 2019 में 63 छात्रों ने आईआईटी-जेईई जैसी कठिन परीक्षा को क्रैक किया। सबसे बड़ी बात यह रही कि ये सभी बच्चे सरकारी स्कूलों से थे।

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तकनीक प्रेमी हैं जाटव

आईएएस लोकेश जाटवप्रशासनिक कार्यों में टेक्नोलॉजी के उपयोग के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कृषि, शिक्षा और जनसेवा के हर क्षेत्र में डिजिटल साधनों का इस्तेमाल बढ़ावा दिया। वे ई-गवर्नेंस अवॉर्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने प्रशासनिक कार्यों में डेटा मॉनिटरिंग, ऑनलाइन शिकायत निवारण और डिजिटल रिपोर्टिंग सिस्टम लागू किए।

करियर एक नजर

नाम: लोकेश कुमार जाटव 
जन्म: 1-6-1981
जन्मस्थान: बैतूल, मध्य प्रदेश 
एजुकेशन: बीए  
बैच: 2004
केडर: मध्यप्रदेश 

पदस्थापना

लोकेश जाटव ने अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआत जिला पंचायत डिंडोरी में बतौर सीईओ से की। इसके बाद वे राजगढ़, मंडला, नीमच, रायसेन और इंदौर जैसे जिलों में कलेक्टर रहे। वर्तमान में वो वित्त विभाग के सचिव के पद पर कार्यरत हैं। 

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IAS lokesh Jatav service record

आईएएस लोकेश कुमार जाटव ने हर जिले में अपनी पहचान एक ईमानदार, समय के पाबंद और जनसेवा के प्रति समर्पित अफसर के रूप में बनाई। उनकी कार्यशैली में अनुशासन, तकनीकी नवाचार और जनता से जुड़ाव की झलक साफ देखी जा सकती है।

FAQ

आईएएस लोकेश जाटव कौन हैं?
आईएएस लोकेश जाटव मध्य प्रदेश कैडर के 2004 बैच के अधिकारी हैं। वे अपने ईमानदार प्रशासन, तकनीकी नवाचारों और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने मंडला जिले में “प्रोजेक्ट 100 कलाम” की शुरुआत कर गरीब और आदिवासी छात्रों के भविष्य को नई दिशा दी।
प्रोजेक्ट 100 कलाम क्या है और इसका उद्देश्य क्या था?
“प्रोजेक्ट 100 कलाम” आईएएस लोकेश जाटव द्वारा शुरू की गई एक अनोखी पहल थी, जिसका उद्देश्य था आदिवासी क्षेत्रों के प्रतिभाशाली लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को IIT-JEE और AIPMT जैसी कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराना। इसके तहत छात्रों को नि:शुल्क कोचिंग, फॉर्म, वर्चुअल क्लासेस और अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई गई।
आईएएस लोकेश जाटव की शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है?
लोकेश जाटव का जन्म मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में हुआ। उनके पिता आयकर विभाग में अधिकारी रहे हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा रीवा सैनिक स्कूल से पूरी की और बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना देखा। 23 वर्ष की उम्र में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईएएस बनकर अपने सपने को साकार किया।
प्रशासनिक सेवाओं में लोकेश जाटव की प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं?
उन्होंने डिंडोरी, राजगढ़, मंडला, नीमच, रायसेन और इंदौर जैसे कई जिलों में कलेक्टर के रूप में काम किया। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही शिक्षा क्षेत्र में सुधार और ई-गवर्नेंस सिस्टम का सफल क्रियान्वयन। वे तकनीकी नवाचारों के लिए ई-गवर्नेंस अवॉर्ड से सम्मानित भी हो चुके हैं।
आईएएस लोकेश जाटव को “टेक्नोक्रेट अफसर” क्यों कहा जाता है?
लोकेश जाटव प्रशासनिक कार्यों में टेक्नोलॉजी और डेटा-ड्रिवन सिस्टम का कुशल उपयोग करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में ऑनलाइन शिकायत निवारण, डिजिटल रिपोर्टिंग, और डेटा मॉनिटरिंग सिस्टम को लागू किया, जिससे सरकारी कामकाज अधिक पारदर्शी और प्रभावी बना।



 

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