दक्कन पर राज करने के लिए बुरहानपुर को जीतना था जरूरी, खूबसूरती से भरा है यह शहर

मध्य प्रदेश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित बुरहानपुर मध्यकालीन इतिहास में विशेष स्थान रखता है। यहां हर कोना कहानी कहता है, युद्ध की, प्रेम की, राजनीति की और आध्यात्मिकता की।

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Ravi Kant Dixit
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Burhanpur kali masjid
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ताप्ती नदी के शांत जल के किनारे बरसों पहले एक किले की नींव पड़ी थी। इस किले को बनवाया था फारुकी शासक नासिर खान ने, जो अपने समय के प्रभावी शासक थे। इस किले के चारों ओर धीरे-धीरे शहर फैलने लगा। इस शहर को आज हम बुरहानपुर के नाम से जानते हैं। यह शहर तब भारत के मध्यकालीन इतिहास में रणनीतिक केंद्र था। तब जब किसी को दक्कन पर शासन करना होता था तो उसे बुरहानपुर किला (Burhanpur Fort) को जीतना अनिवार्य था। इसके बिना उसकी दाल नहीं गल सकती थी।

Burhanpur Fort

इस तरह अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण व्यापार और युद्ध दोनों के लिहाज से बुरहानपुर बेहद अहम रहा। यहां से दक्कन के रास्ते और मध्य भारत के कई हिस्सों तक पहुंच आसान थी। इस दौर में फारुकी शासकों ने बुरहानपुर को समृद्ध शहर के रूप में विकसित किया। यहां के सबसे प्रमुख शासक आदिल खान द्वितीय रहे, जिनका शासन सन् 1457 से 1503 तक चला। इस कालखंड में बुरहानपुर ने अपने वैभव को देखा। उन्होंने शहर में विशाल किला बनवाया, जिसे बादशाही किला कहा जाता है। यह किला सुरक्षा के साथ वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना था।

Burhanpur Fort History

मध्य प्रदेश पर्यटन गाइड

बुरहानपुर न केवल मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग निगम के तहत एक प्रमुख स्थल हैं, बल्कि, ये मध्य प्रदेश के प्रमुख पिकनिक स्पॉट्स में से एक हैं। तो ऐसे में मध्य प्रदेश ट्रैवल पैकेज में आप बुरहानपुर को भी शामिल कर सकते हैं। बता दें कि बुरहानपुर पर्यटन स्थल के रूप में बेहद खास इसलिए हो जाता है, क्योंकी यहां आपको घूमने की कई जगहें मिलती है। यहां सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक इमारतें, प्रसिद्ध मंदिरे और मस्जिदें मौजूद है। जो आपकी यात्रा को आनंददायक बनाएगी।

पहले सीटी के नाम से जाना जाता था बुरहानपुर 

इतिहास प्रेमियों के लिए बुरहानपुर खजाने से कम नहीं है। बुरहानपुर का इतिहास (Burhanpur History) बेहद रोचक रहा है। पीछे चलें तो बुरहानपुर को बृहत्तपुर के नाम से भी जाना जाता था। स्कंद पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। 1400 ईस्वी में खानदेश के सुल्तान नासिर खान ने इसे बुरहानपुर नाम दिया। यह नाम सूफी संत शेख बुरहानुद्दीन गरीब के नाम पर रखा गया था।
बुरहानपुर के हर मोड़ पर मस्जिदें, सराय, गुरुद्वारे, मंदिर, ऊंचे प्रवेश द्वार और कब्रें शहर की वैभवशाली और विविध सांस्कृतिक विरासत की झलक पेश करती हैं। लगभग 20 किलोमीटर के दायरे में फैले इस क्षेत्र में असीरगढ़ किला, महल गुलारा और इच्छादेवी मंदिर जैसे भव्य स्मारक बिखरे हुए हैं। 

यहीं जन्मी थी शाहजहां की पहली बेटी

Roshanara Begum

मुगलों में शाहजहां का बुरहानपुर से गहरा नाता रहा। उनकी पहली बेटी रोशनआरा का जन्म 1617 में यहीं हुआ था, जब वे अभी शहजादे थे। बाद में सम्राट के रूप में शाहजहां बुरहानपुर लौटे। यहां उनकी पत्नी मुमताज महल की मृत्यु उनके 14वें बच्चे को जन्म देने के समय हुई थी।

मन मोह लेती थी किले की सुंदरता

यहां आज भी बादशाही किला के अवशेष हैं। एक वक्त था जब इसकी दीवारें आठ द्वारों वाली थीं, जो सैन्य दृष्टि से किले की मजबूती और सुरक्षा का प्रमाण थीं। किले के अंदर जनाना हम्माम था, जो मुगल और फारसी स्थापत्य कला का अनूठा मिश्रण था। इस हम्माम की छतों पर रंगीन भित्ति-चित्र बने हुए थे, जो अब भी कुछ हिस्सों में दिखाई देते हैं।

Burhanpur

इसके बाहर दीवान-ए-खास का मैदान है। इसके लॉन को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने खूबसूरती से संरक्षित किया है। यहां ASI का दफ्तर भी है। वहीं, दीवान-ए-खास के बगल में दीवान-ए-आम है। इसकी दीवारों और मेहराबों पर नाजुक भित्ति-चित्र (फ्रेस्को) कुछ जगहों को छोड़कर फीके पड़ गए हैं।

इच्छादेवी मंदिर...पूरी होती है हर मुराद

मध्य प्रदेश के पिकनिक स्पॉट में से बुरहानपुर एक है। यहां से 23 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र की सीमा के पास इच्छादेवी का पौराणिक मंदिर है। यह बुरहानपुर के प्रमुख मंदिर (Major Temples in Burhanpur) में से एक है। बता दें कि ताप्ती महात्म्य में कहा गया है कि देवीदास नामक ब्राह्मण ने मां शक्ति के दर्शन की इच्छा से भारी तप किया था। तप से प्रसन्न होकर देवी ने पर्वत के मस्तक पर दर्शन देकर ब्राह्मण की इच्छा पूर्ण की, तब से यह स्थान इच्छापुर कहलाने लगा।

Ichhadevi Temple

मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि 450 वर्ष पूर्व मराीोठा सूबेदार पुत्र प्राप्ति की इच्छा से यहां देवी के दर्शन करने आए थे। देवी की कृपा से उनकी मनोकामना पूरी हुई तो उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया। यहां साल में दो बार मेला लगता है। जो बुरहानपुर नवरात्रि मेला (Burhanpur Navratri Festival) नाम से जाना जाता है। इसमें हजारों भक्त मां के दर्शन करने आते हैं।

बुरहानपुर यात्रा गाइड (Burhanpur Travel Guide)

Burhanpur Map

बुरहानपुर मध्यप्रदेश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ तक पहुँचने के लिए आप ट्रेन, बस या निजी वाहन का उपयोग कर सकते हैं:

  • ट्रेन: बुरहानपुर रेलवे स्टेशन से प्रमुख शहरों से सीधी रेल सेवाएं उपलब्ध हैं।
  • बस: राज्य परिवहन बसें बुरहानपुर को अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ती हैं।
  • वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर है, जो लगभग 150 किलोमीटर दूर है। यहां से बस या टैक्सी से बुरहानपुर पहुँच सकते हैं।

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बुरहानपुर की प्रसिद्ध जगहें (Famous Places in Burhanpur)

बुरहानपुर मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक शहर है, जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां कुछ प्रमुख प्रसिद्ध स्थान हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं:

1. काली मस्जिद:

Kali masjid

फारुकी स्मारकों में सबसे पुरानी काली मस्जिद है। स्थानीय लोग इसे बुरहानपुर की सबसे पुरानी मस्जिद मानते हैं। हालांकि 1969 का मध्य प्रदेश जिला गजट इसे अंतिम फारुकी शासक बहादुर खान (1596-1600) के समय का बताता है। यह दौलतपुरा मोहल्ला में राजघाट से ताप्ती के किनारे 10 मिनट की पैदल चढ़ाई पर है।

2. बीबी की मस्जिद:

Farooqi Memorial Bibi Ki Masjid

शहर के अंदर राजघाट क्षेत्र से लगभग 15 मिनट की पैदल दूरी पर एक और फारुकी स्मारक बीबी की मस्जिद है। काली मस्जिद से अधिक अलंकृत, इसे 1520 से 1540 के बीच फारुकी रानी ने बनवाया था।

3. जामा मस्जिद:

हज़ारों मील की यात्रा एक कदम से शुरू होती है: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में  काली मस्जिद उर्फ ​​जामा मस्जिद

जब बीबी की मस्जिद बुरहानपुर की बढ़ती आबादी के लिए छोटी पड़ गई, तब गांधी चौक में शहर के केंद्र में जामा मस्जिद का निर्माण किया गया। यह आश्चर्यजनक रूप से अच्छी तरह संरक्षित मस्जिद है। 

4. नादिर शाह और आदिल शाह की कब्र:

Tombs of Nadir Shah and Adil Shah

शहर के केंद्र से लगभग 3 किलोमीटर दूर कई फारुकी शासकों और उनकी रानियों की कब्रें दीवारबंद परिसर में हैं। इनमें सबसे उल्लेखनीय नादिर शाह और आदिल शाह की कब्र है। 

5. कुंडी भंडारा:

Kundi Bhandara

मुगलों का फव्वारों, नहरों और स्नानघरों के प्रति प्रेम जगजाहिर है। बुरहानपुर में जल परिवहन की जटिल प्रणाली है, जो मुगल इंजीनियरिंग, कौशल और सरलता का शानदार नमूना है। ये आज भी मुगल निर्माण कला के गौरवशाली अवशेष हैं।

6. शाह नवाज खान की कब्र:

Bibi Ki Masjid

बुरहानपुर के उत्तरी बाहरी हिस्से में, शहर से लगभग 2 किलोमीटर दूर उतावली नदी के तट पर शाह नवाज खान की कब्र है। इसी से 2 किलोमीटर दूर बिल्किस जहां (बेगम शाह शुजा) की कब्र है। इसके विशिष्ट गोलाकार गुंबद के कारण इसे स्थानीय लोग 'खरबूजी गुंबज' कहते हैं। शाहजहां के दूसरे बेटे शाह शुजा ने अपनी पत्नी बिल्किस जहां के निधन के बाद इस कब्र को बनवाया था।

7. महल गुलारा:

Mahal Gulara

बड़ी उतावली नदी के तट पर खूबसूरती से स्थित महल गुलारा, बुरहानपुर से 21 किलोमीटर दूर अमरावती रोड पर सिंधखेड़ा गांव के उत्तर में मुगल सैरगाह है। बिल्किस जहां की कब्र के बहुत पास हजरत शाह भिकारी की दरगाह है। इसे हजरत शाह निजामुद्दीन के नाम से भी जाना जाता है।

8. दरगाह-ए-हकीमी:

Dargah-E-Hakimi

बुरहानपुर शहर में गांधी चौक से लगभग 3 किलोमीटर दूर लोधी गांव में दरगाह-ए-हकीमी है। इसे लोधी वंश के एक राजा ने स्थापित किया था। यह दाऊदी बोहरा मुसलमानों के लिए पवित्र तीर्थस्थल है। यह सैयदी अब्दुलकादिर हकीमुद्दीन की मजार है। 

9. असीरगढ़:

Asirgarh

सतपुड़ा पर्वतमाला की एक पहाड़ी पर बुरहानपुर से लगभग 25 किलोमीटर उत्तर में इस क्षेत्र का सबसे शानदार किला है। यह गोलकुंडा जैसे महान किलों को भी टक्कर देता है। अलेक्जेंडर कनिंघम इसे प्राचीन मानते हैं। इसे Ptolemy द्वारा उल्लिखित 'ओजोबिस' से जोड़ते हैं। असीरगढ़ को बहुत सारे लोग महाभारत के किरदार अश्वत्थामा से भी जोड़ते हैं। 

सिख धर्म से है पुराना नाता

Gurudwara Sangat Rajghat

16वीं शताब्दी में गुरु नानक ने बुरहानपुर का दौरा किया था। ताप्ती के तट पर उनका उपदेश आज भी गुरुद्वारा संगत राजघाट के रूप में संरक्षित है। यह सिख धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। अब आज का बुरहानपुर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। पुरानी गलियां, मस्जिदें, महल और किले अपनी कहानी बयां करते हैं। 

बुरहानपुर में कहां रुके

TAPTI RETREAT

बुरहानपुर यात्रा टिप्स (Burhanpur Travel Tips) में thesootr आपको बता रहा है की आप बुरहानपुर में कहां रुक सकते हैं। बता दें कि सैलानियों के लिए यहां एमपीटी ताप्ती रिट्रीट जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां आरामदायक कमरे, स्वच्छ वातावरण, और बेहतरीन भोजन की सुविधा उपलब्ध है। एमपीटी ताप्ती रिट्रीट का संपर्क नंबर 7880108548 है। आप ईमेल tapti@mpstdc.com पर भी संपर्क कर सकते हैं। 

...तो आप कब जा रहे हैं बुरहानपुर 

तो जनाब! बुरहानपुर अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वैभव के साथ हर सैलानी को अपने गौरवशाली अतीत की सैर कराता है। इस शहर की गलियों और खंडहरों में छिपा इतिहास आपको समय के उस दौर में ले जाएगा, जहां युद्ध, प्रेम और स्थापत्य की कहानियां जीवंत हो उठती हैं।

FAQ

बुरहानपुर कहाँ स्थित है?
बुरहानपुर मध्य प्रदेश राज्य के दक्षिणी हिस्से में स्थित है, जो महाराष्ट्र राज्य की सीमा के नजदीक है। यह शहर नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है।
बुरहानपुर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
बुरहानपुर का ऐतिहासिक महत्व मध्यकालीन भारत के शासकों से जुड़ा हुआ है। यह शहर मुगल साम्राज्य के दौरान एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यहां का किला तथा अन्य स्थापत्य संरचनाएँ इस बात को प्रमाणित करती हैं। बुरहानपुर को मुगल वास्तुकला का गहना भी माना जाता है।
बुरहानपुर की प्रमुख पर्यटन स्थल कौन सी हैं?
बुरहानपुर में ऐतिहासिक स्थल जैसे कि बुरहानपुर किला, शाहपुरा तालाब, अजन्ता गुफाएं और छोटी मस्जिद महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा यहाँ के हुसैन शाह की मजार और बाबर का स्मारक भी देखने लायक हैं।
बुरहानपुर कब यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है?
बुरहानपुर यात्रा के लिए नवंबर से फरवरी तक का समय सबसे अच्छा है, जब मौसम ठंडा और आरामदायक होता है। गर्मी के मौसम में तापमान काफी बढ़ जाता है। इससे यात्रा करना कठिन हो सकता है।
बुरहानपुर कैसे जा सकते हैं?
बुरहानपुर सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बुरहानपुर रेलवे स्टेशन से देश के प्रमुख शहरों के लिए ट्रेनों की सुविधा उपलब्ध है। निकटतम हवाई अड्डा इंदौर एयरपोर्ट है, जो लगभग 160 किलोमीटर दूर स्थित है।



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