/sootr/media/media_files/2025/06/21/burhanpur-kali-masjid-2025-06-21-18-01-19.jpg)
ताप्ती नदी के शांत जल के किनारे बरसों पहले एक किले की नींव पड़ी थी। इस किले को बनवाया था फारुकी शासक नासिर खान ने, जो अपने समय के प्रभावी शासक थे। इस किले के चारों ओर धीरे-धीरे शहर फैलने लगा। इस शहर को आज हम बुरहानपुर के नाम से जानते हैं। यह शहर तब भारत के मध्यकालीन इतिहास में रणनीतिक केंद्र था। तब जब किसी को दक्कन पर शासन करना होता था तो उसे बुरहानपुर किला (Burhanpur Fort) को जीतना अनिवार्य था। इसके बिना उसकी दाल नहीं गल सकती थी।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/burhanpur-fort-2025-06-21-15-55-50.jpg)
इस तरह अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण व्यापार और युद्ध दोनों के लिहाज से बुरहानपुर बेहद अहम रहा। यहां से दक्कन के रास्ते और मध्य भारत के कई हिस्सों तक पहुंच आसान थी। इस दौर में फारुकी शासकों ने बुरहानपुर को समृद्ध शहर के रूप में विकसित किया। यहां के सबसे प्रमुख शासक आदिल खान द्वितीय रहे, जिनका शासन सन् 1457 से 1503 तक चला। इस कालखंड में बुरहानपुर ने अपने वैभव को देखा। उन्होंने शहर में विशाल किला बनवाया, जिसे बादशाही किला कहा जाता है। यह किला सुरक्षा के साथ वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना था।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/burhanpur-fort-history-2025-06-21-16-30-00.jpg)
मध्य प्रदेश पर्यटन गाइड
बुरहानपुर न केवल मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग निगम के तहत एक प्रमुख स्थल हैं, बल्कि, ये मध्य प्रदेश के प्रमुख पिकनिक स्पॉट्स में से एक हैं। तो ऐसे में मध्य प्रदेश ट्रैवल पैकेज में आप बुरहानपुर को भी शामिल कर सकते हैं। बता दें कि बुरहानपुर पर्यटन स्थल के रूप में बेहद खास इसलिए हो जाता है, क्योंकी यहां आपको घूमने की कई जगहें मिलती है। यहां सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक इमारतें, प्रसिद्ध मंदिरे और मस्जिदें मौजूद है। जो आपकी यात्रा को आनंददायक बनाएगी।
पहले सीटी के नाम से जाना जाता था बुरहानपुर
इतिहास प्रेमियों के लिए बुरहानपुर खजाने से कम नहीं है। बुरहानपुर का इतिहास (Burhanpur History) बेहद रोचक रहा है। पीछे चलें तो बुरहानपुर को बृहत्तपुर के नाम से भी जाना जाता था। स्कंद पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। 1400 ईस्वी में खानदेश के सुल्तान नासिर खान ने इसे बुरहानपुर नाम दिया। यह नाम सूफी संत शेख बुरहानुद्दीन गरीब के नाम पर रखा गया था।
बुरहानपुर के हर मोड़ पर मस्जिदें, सराय, गुरुद्वारे, मंदिर, ऊंचे प्रवेश द्वार और कब्रें शहर की वैभवशाली और विविध सांस्कृतिक विरासत की झलक पेश करती हैं। लगभग 20 किलोमीटर के दायरे में फैले इस क्षेत्र में असीरगढ़ किला, महल गुलारा और इच्छादेवी मंदिर जैसे भव्य स्मारक बिखरे हुए हैं।
यहीं जन्मी थी शाहजहां की पहली बेटी
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/roshanara-begum-2025-06-21-16-12-52.jpg)
मुगलों में शाहजहां का बुरहानपुर से गहरा नाता रहा। उनकी पहली बेटी रोशनआरा का जन्म 1617 में यहीं हुआ था, जब वे अभी शहजादे थे। बाद में सम्राट के रूप में शाहजहां बुरहानपुर लौटे। यहां उनकी पत्नी मुमताज महल की मृत्यु उनके 14वें बच्चे को जन्म देने के समय हुई थी।
मन मोह लेती थी किले की सुंदरता
यहां आज भी बादशाही किला के अवशेष हैं। एक वक्त था जब इसकी दीवारें आठ द्वारों वाली थीं, जो सैन्य दृष्टि से किले की मजबूती और सुरक्षा का प्रमाण थीं। किले के अंदर जनाना हम्माम था, जो मुगल और फारसी स्थापत्य कला का अनूठा मिश्रण था। इस हम्माम की छतों पर रंगीन भित्ति-चित्र बने हुए थे, जो अब भी कुछ हिस्सों में दिखाई देते हैं।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/burhanpur-2025-06-21-16-39-02.jpg)
इसके बाहर दीवान-ए-खास का मैदान है। इसके लॉन को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने खूबसूरती से संरक्षित किया है। यहां ASI का दफ्तर भी है। वहीं, दीवान-ए-खास के बगल में दीवान-ए-आम है। इसकी दीवारों और मेहराबों पर नाजुक भित्ति-चित्र (फ्रेस्को) कुछ जगहों को छोड़कर फीके पड़ गए हैं।
इच्छादेवी मंदिर...पूरी होती है हर मुराद
मध्य प्रदेश के पिकनिक स्पॉट में से बुरहानपुर एक है। यहां से 23 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र की सीमा के पास इच्छादेवी का पौराणिक मंदिर है। यह बुरहानपुर के प्रमुख मंदिर (Major Temples in Burhanpur) में से एक है। बता दें कि ताप्ती महात्म्य में कहा गया है कि देवीदास नामक ब्राह्मण ने मां शक्ति के दर्शन की इच्छा से भारी तप किया था। तप से प्रसन्न होकर देवी ने पर्वत के मस्तक पर दर्शन देकर ब्राह्मण की इच्छा पूर्ण की, तब से यह स्थान इच्छापुर कहलाने लगा।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/ichhadevi-temple-2025-06-21-18-49-52.jpg)
मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि 450 वर्ष पूर्व मराीोठा सूबेदार पुत्र प्राप्ति की इच्छा से यहां देवी के दर्शन करने आए थे। देवी की कृपा से उनकी मनोकामना पूरी हुई तो उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया। यहां साल में दो बार मेला लगता है। जो बुरहानपुर नवरात्रि मेला (Burhanpur Navratri Festival) नाम से जाना जाता है। इसमें हजारों भक्त मां के दर्शन करने आते हैं।
बुरहानपुर यात्रा गाइड (Burhanpur Travel Guide)
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/burhanpur-map-2025-06-21-18-38-16.jpg)
बुरहानपुर मध्यप्रदेश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ तक पहुँचने के लिए आप ट्रेन, बस या निजी वाहन का उपयोग कर सकते हैं:
- ट्रेन: बुरहानपुर रेलवे स्टेशन से प्रमुख शहरों से सीधी रेल सेवाएं उपलब्ध हैं।
- बस: राज्य परिवहन बसें बुरहानपुर को अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ती हैं।
- वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर है, जो लगभग 150 किलोमीटर दूर है। यहां से बस या टैक्सी से बुरहानपुर पहुँच सकते हैं।
👉 बुरहानपुर जाने के लिए गूगल मैप के इस लिंक पर क्लिक करें।
बुरहानपुर की प्रसिद्ध जगहें (Famous Places in Burhanpur)
बुरहानपुर मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक शहर है, जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां कुछ प्रमुख प्रसिद्ध स्थान हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं:
1. काली मस्जिद:
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/kali-masjid-2025-06-21-17-56-33.jpg)
फारुकी स्मारकों में सबसे पुरानी काली मस्जिद है। स्थानीय लोग इसे बुरहानपुर की सबसे पुरानी मस्जिद मानते हैं। हालांकि 1969 का मध्य प्रदेश जिला गजट इसे अंतिम फारुकी शासक बहादुर खान (1596-1600) के समय का बताता है। यह दौलतपुरा मोहल्ला में राजघाट से ताप्ती के किनारे 10 मिनट की पैदल चढ़ाई पर है।
2. बीबी की मस्जिद:
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/farooqi-memorial-bibi-ki-masjid-2025-06-21-18-45-20.jpg)
शहर के अंदर राजघाट क्षेत्र से लगभग 15 मिनट की पैदल दूरी पर एक और फारुकी स्मारक बीबी की मस्जिद है। काली मस्जिद से अधिक अलंकृत, इसे 1520 से 1540 के बीच फारुकी रानी ने बनवाया था।
3. जामा मस्जिद:
/sootr/media/post_attachments/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjhU3dGTEzpLig0mAvh7sBCuwgzuwUITJdJjQSPYKxPS6_qSY2OpVZshAqkiEPMJmIePJPF4qALfBFgcPAebw3in_OLgu0q3Oob77gqqSp-IoHneJEO_OQm8W4F2cAq5DRHDqOesnNuGvg/w1200-h630-p-k-no-nu/IMG_20170128_094459-898496.jpg)
जब बीबी की मस्जिद बुरहानपुर की बढ़ती आबादी के लिए छोटी पड़ गई, तब गांधी चौक में शहर के केंद्र में जामा मस्जिद का निर्माण किया गया। यह आश्चर्यजनक रूप से अच्छी तरह संरक्षित मस्जिद है।
4. नादिर शाह और आदिल शाह की कब्र:
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/tombs-of-nadir-shah-and-adil-shah-2025-06-21-18-06-37.jpg)
शहर के केंद्र से लगभग 3 किलोमीटर दूर कई फारुकी शासकों और उनकी रानियों की कब्रें दीवारबंद परिसर में हैं। इनमें सबसे उल्लेखनीय नादिर शाह और आदिल शाह की कब्र है।
5. कुंडी भंडारा:
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/kundi-bhandara-2025-06-21-18-12-14.jpg)
मुगलों का फव्वारों, नहरों और स्नानघरों के प्रति प्रेम जगजाहिर है। बुरहानपुर में जल परिवहन की जटिल प्रणाली है, जो मुगल इंजीनियरिंग, कौशल और सरलता का शानदार नमूना है। ये आज भी मुगल निर्माण कला के गौरवशाली अवशेष हैं।
6. शाह नवाज खान की कब्र:
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/bibi-ki-masjid-2025-06-21-17-59-57.jpg)
बुरहानपुर के उत्तरी बाहरी हिस्से में, शहर से लगभग 2 किलोमीटर दूर उतावली नदी के तट पर शाह नवाज खान की कब्र है। इसी से 2 किलोमीटर दूर बिल्किस जहां (बेगम शाह शुजा) की कब्र है। इसके विशिष्ट गोलाकार गुंबद के कारण इसे स्थानीय लोग 'खरबूजी गुंबज' कहते हैं। शाहजहां के दूसरे बेटे शाह शुजा ने अपनी पत्नी बिल्किस जहां के निधन के बाद इस कब्र को बनवाया था।
7. महल गुलारा:
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/mahal-gulara-2025-06-21-18-16-49.jpg)
बड़ी उतावली नदी के तट पर खूबसूरती से स्थित महल गुलारा, बुरहानपुर से 21 किलोमीटर दूर अमरावती रोड पर सिंधखेड़ा गांव के उत्तर में मुगल सैरगाह है। बिल्किस जहां की कब्र के बहुत पास हजरत शाह भिकारी की दरगाह है। इसे हजरत शाह निजामुद्दीन के नाम से भी जाना जाता है।
8. दरगाह-ए-हकीमी:
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/dargah-e-hakimi-2025-06-21-16-44-56.jpg)
बुरहानपुर शहर में गांधी चौक से लगभग 3 किलोमीटर दूर लोधी गांव में दरगाह-ए-हकीमी है। इसे लोधी वंश के एक राजा ने स्थापित किया था। यह दाऊदी बोहरा मुसलमानों के लिए पवित्र तीर्थस्थल है। यह सैयदी अब्दुलकादिर हकीमुद्दीन की मजार है।
9. असीरगढ़:
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/asirgarh-2025-06-21-18-21-37.jpg)
सतपुड़ा पर्वतमाला की एक पहाड़ी पर बुरहानपुर से लगभग 25 किलोमीटर उत्तर में इस क्षेत्र का सबसे शानदार किला है। यह गोलकुंडा जैसे महान किलों को भी टक्कर देता है। अलेक्जेंडर कनिंघम इसे प्राचीन मानते हैं। इसे Ptolemy द्वारा उल्लिखित 'ओजोबिस' से जोड़ते हैं। असीरगढ़ को बहुत सारे लोग महाभारत के किरदार अश्वत्थामा से भी जोड़ते हैं।
सिख धर्म से है पुराना नाता
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/gurudwara-sangat-rajghat-2025-06-21-18-25-59.jpg)
16वीं शताब्दी में गुरु नानक ने बुरहानपुर का दौरा किया था। ताप्ती के तट पर उनका उपदेश आज भी गुरुद्वारा संगत राजघाट के रूप में संरक्षित है। यह सिख धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। अब आज का बुरहानपुर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। पुरानी गलियां, मस्जिदें, महल और किले अपनी कहानी बयां करते हैं।
बुरहानपुर में कहां रुके
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/06/21/tapti-retreat-2025-06-21-18-29-37.jpg)
बुरहानपुर यात्रा टिप्स (Burhanpur Travel Tips) में thesootr आपको बता रहा है की आप बुरहानपुर में कहां रुक सकते हैं। बता दें कि सैलानियों के लिए यहां एमपीटी ताप्ती रिट्रीट जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां आरामदायक कमरे, स्वच्छ वातावरण, और बेहतरीन भोजन की सुविधा उपलब्ध है। एमपीटी ताप्ती रिट्रीट का संपर्क नंबर 7880108548 है। आप ईमेल tapti@mpstdc.com पर भी संपर्क कर सकते हैं।
...तो आप कब जा रहे हैं बुरहानपुर
तो जनाब! बुरहानपुर अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वैभव के साथ हर सैलानी को अपने गौरवशाली अतीत की सैर कराता है। इस शहर की गलियों और खंडहरों में छिपा इतिहास आपको समय के उस दौर में ले जाएगा, जहां युद्ध, प्रेम और स्थापत्य की कहानियां जीवंत हो उठती हैं।
FAQ
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃
🤝💬👩👦👨👩👧👧
thesootr links
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us