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Photograph: (The Sootr)
Be इंडियन-Buy इंडियन: वाडीलाल की कहानी भारतीय उद्यमिता, परिवार की परंपरा और स्वाद के जुनून का सार है। इस स्टोरी में आपको वाडीलाल की शुरुआत, संघर्षों, सफलता, आज की बाजार स्थिति, मार्केट पॉजिशन, मूल मंत्र और सीख को रोचक किस्सागोई अंदाज में पढ़ने को मिलेगा।
2025 में वाडीलाल की बाजार पूंजी करीब 4,500 करोड़ रुपए (मार्केट कैप) है। शेयर प्राइस 6,000 रुपए से ऊपर है जो FMCG सेक्टर में कंपनी की अत्यंत मजबूत स्थिति को दर्शाता है। भारत में कंपनी के 1,25,000+ डीलर हैं, दक्षिण-उत्तर के बाजार में मजबूत पकड़ है।
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कैसे हुई वाडीलाल की शुरुआत
बीसवीं सदी के शुरुआती साल। 1907, अहमदाबाद की गलियों में एक छोटा सा सोडा फाउंटेन खुलता है - वाडीलाल गांधी के हाथों से। उस समय ‘आइसक्रीम’ का नाम ही अनोखा था। वाडीलाल गांधी ने पहले सोडा बेचना शुरू किया और फिर हाथ से बनी आइसक्रीम जोड़ दी। उनका स्वाद इतना लाजवाब था कि उनके स्टॉल पर ग्राहकों की भीड़ लगने लगी। लोगों ने 'वाडीलाल' को स्वाद के साथ खुशियों का पर्याय मान लिया।
1926 में उनके बेटे रचंडलाल गांधी ने अहमदाबाद में पहला रिटेल आउटलेट खोला - 'वाडीलाल सोडा फाउंटेन'। इसी के साथ वाडीलाल का ध्यान आइसक्रीम व्यवसाय पर पूरी तरह केंद्रित हो गया। 1950 में "कसाटा" नामक विशिष्ट आइसक्रीम पेश की गई, जिसने भारतीय बाजार को नया स्वाद दिया।
वाडीलाल की ब्रांड की शुरुआती संघर्ष की कहानी
शुरुआती दौर में वाडीलाल के पास सीमित संसाधन थे, बाजार छोटा था और तकनीक भी साधारण। परिवार के सदस्य मशीन से हाथ से आइसक्रीम बनाते थे, दुकानों पर अपनी ही सेवा देते थे। गुणवत्ता और पारिवारिक सेवा भावना ही उनकी शक्ति थी।
1970 के दशक तक वाडीलाल अहमदाबाद के बाहर भी बढ़ने लगा, मगर उससे पहले उन्हें देश की सबसे बड़ी कंपनियों - हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) जैसे एमएनसी, और बाद में 1990 के दशक में अमूल जैसी कोऑपरेटिव कंपनियों से जबरदस्त मुकाबला झेलना पड़ा। 1994-95 में वाडीलाल लगभग बंदी की कगार पर आ गया था। डाइवर्सिफिकेशन, उत्पाद सुधार और नई रणनीति ही उन्हें फिर उठाने का रास्ता बना।
उसी कठिन समय में वाडीलाल ने अपने संसाधनों को अलग-अलग उद्योगों में फैलाया - आइसक्रीम के साथ ही प्रोसेस्ड फूड, जूस, सब्जियां आदि कंपनी के पोर्टफोलियो में शामिल किए। गुणवत्ता और नवाचार ने उन्हें प्रतिस्पर्धा में अलग पहचान दी।
वाडीलाल ब्रांड की सफलता की कहानी
संघर्ष से उबरने के बाद, वाडीलाल ने कई मिल के पत्थर गढ़े। 1980 के दशक में उन्होंने राज्यों के बाहर डीलरशिप और आउटलेट्स स्थापित किए। 1985 में भारत में पहली बार ऑटोमेटेड आइसक्रीम कैंडी लाइन की मशीनें लगाईं। 1989 में कंपनी का आईपीओ आया और वाडीलाल सार्वजनिक कंपनी बन गई। 1995 तक उनके उत्पाद भारत ही नहीं, 26 से ज्यादा देशों में निर्यात होने लगे।
इन वर्षों में वाडीलाल ने लगातार नवाचार किए - कसाटा, फ्लिंगो कोन, बदाबाइट बार, 'गौरमेट लाइन', पारंपरिक स्वादों (गुलाबजामुन, केसर रस मलाई, फलूदा) दर्शातीत इंडियन टच के साथ ग्राहकों को नए विकल्प दिए। 2001 में वाडीलाल ने 'लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में सबसे बड़ा आइसक्रीम संडे बनाकर नाम दर्ज किया।
कंपनी ने उत्पादों को शुद्ध शाकाहारी और अंडारहित बनाया- इसी USP के कारण परिवारों में गहरी पकड़ कायम की। प्रोसेस्ड फूड, फ्रोजन वेजिटेबल्स, स्नैक्स, रेडी टू ईट आइटम्स का सेल बढ़ा। वाडीलाल अमेरिका में सबसे ज्यादा बिकने वाला भारतीय आइसक्रीम ब्रांड बना।
आज बाजार में वाडीलाल की क्या स्थिति है?
2025 में वाडीलाल की बाजार पूंजीकरीब ₹4,500 करोड़ (मार्केट कैप) है। शेयर प्राइस ₹6,000 से ऊपर है जो FMCG सेक्टर में कंपनी की अत्यंत मजबूत स्थिति को दर्शाता है. भारत में कंपनी के 1,25,000+ डीलर हैं, दक्षिण-उत्तर के बाजार में मजबूत पकड़ है। कंपनी निरंतर तकनीकी, डिजाइन और ब्रांडिंग में नवाचार कर रही है।
आउटलेट्स, डिस्ट्रीब्यूटर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को मिलाकर वाडीलाल का वितरण नेटवर्क बेहद ताकतवर है। कंपनी के रेडी टू ईट, ऑटोमेटेड आइसक्रीम, और एक्सपोर्ट बिजनेस पूरे FMCG रूट में वाडीलाल की पॉवर को दर्शाते हैं।
ब्रांड वाडीलाल की मार्केट में पॉजिशन
वाडीलाल भारत की टॉप आइसक्रीम-कम्पनियों में से एक है - अमूल, हिंदुस्तान यूनिलीवर और मदर डेयरी जैसे नामों के साथ इसकी गिनती होती है। वाडीलाल का मार्केट शेयर लगातार बढ़ रहा है, खासकर पश्चिमी और मध्य भारत के शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में।
एक्सपोर्ट में भी वाडीलाल भारतीय आइसक्रीम ब्रांड्स का सबसे बड़ा नाम है - अमरीका और यूएई में इसकी डिमांड बहुत तेज है। कंपनी ने 2025 में गैर-परिवार CEO नियुक्त कर स्ट्रक्चरल बदलाव की मिसाल पेश की है।
वाडीलाल ब्रांड का मूल मंत्र
वाडीलाल का मूल मंत्र है - “स्वाद में नवाचार, परिवार में विश्वास, गुणवत्ता में सर्वोच्चता”। कंपनी हर कदम पर स्माइल स्प्रेड करने, ग्राहकों को बेहतरीन क्वालिटी देने और नए स्वादों से खुशियां बांटने का मिशन लेकर चलती है। पारंपरिक परिवार मूल्यों के साथ प्रोफेशनल मैनजमेंट और नए आईडिया का तालमेल ब्रांड की पहचान है।
इस कहानी से क्या सीखा जा सकता है
वाडीलाल की कहानी से मिलता है -
- सीमित संसाधन हो तो भी गुणवत्ता, नवाचार और परिवार की जड़ों के सहारे बड़ा ब्रांड खड़ा किया जा सकता है।
- संघर्ष और विपरीत हालत में डाइवर्सिफिकेशन, अच्छे उत्पाद और सेवा के बल पर उद्योग में पुनर्जीवन संभव है।
- निरंतर नवाचार - तकनीक व स्वाद दोनों में - अत्यंत आवश्यक है।
- भारतीय पारिवारिक विरासत और भरोसा ही दीर्घकालिक सफलता की कुंजी हैं।
- बाजार की मांग और बदलते समय के अनुसार रणनीति में परिवर्तन जरूर करना चाहिए।
स्रोत:
https://www.vadilalgroup.com
https://www.vadilalicecream.com
Research Articles on Vadilal Innovation and Market Trends
Industry Insights from Leading FMCG Experts
FAQ
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