हंगामे में खर्च हुए टैक्सपेयर्स के 200 करोड़, सिर्फ 4 दिन ही हुआ काम, जानिए संसद नहीं चलने का जिम्मेदार कौन?

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The Sootr
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हंगामे में खर्च हुए टैक्सपेयर्स के 200 करोड़, सिर्फ 4 दिन ही हुआ काम, जानिए संसद नहीं चलने का जिम्मेदार कौन?

NEW DELHI. आम चुनाव में जनता चुनकर अपना प्रतिनिधि दिल्ली भेजती है, ताकि वो उसके भले के लिए फैसले ले सके, कानून बना सके, बेहतर कल के लिए काम करें। लेकिन ये प्रतिनिधि संसद पहुंचकर हंगामा करते हैं तो जनता खुद को ठगा महसूस करती है। आजकल संसद में काम कम और हंगामा ज्यादा होता और इस हंगामे का जिम्मेदार सत्ता पक्ष की नजर में विपक्ष और विपक्ष की नजर में सत्ता पक्ष होता है। ऐसा ही कुछ संसद के बजट सत्र में भी हुआ। सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया और इस पर राजनीति शुरू हो गई है। कौशांबी में गृहमंत्री अमित शाह ने संसद नहीं चलने देने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा दिया। तो वहीं कांग्रेस इस मामले में सत्ता पक्ष पर आरोप लगा रही है। दरअसल इस सत्र के संचालन में जो राशि खर्च होती है वो जनता के टैक्स के पैसे  होते हैं। जिसे खर्च होना तो जनता की भलाई के लिए चाहिए, लेकिन खर्च होती हंगामे में है।





गृहमंत्री का कांग्रेस पर हमला





गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि- आजादी के बाद ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक सांसद की वजह से पूरा सदन ठप हो जाए। राहुल गांधी की सदस्यता रद्द हुई तो कांग्रेस ने संसद ही नहीं चलने दिया। उन्होंने कहा इतिहास में पहली बार बजट सत्र बिना चर्चा किए समाप्त हो गया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आरोप लगाया कि सरकार की वजह से संसद ठप रही। थरूर ने कहा कि सरकार जेपीसी जांच की मांग से डर गई थी, इसलिए सदन को बाधित किया गया। थरुर ने उन्होंने कहा कि 45 लाख करोड़ रुपए का बजट बिना किसी बहस के सरकार ने 9 मिनट में पास करा लिया।





आखिर हंगामे का क्या था कारण





संस, इसके बाद अभिभाषण पर चर्चा भी हुई, लेकिन इसके बाद संसद में हंगामा शुरू हो गया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के राष्ट्रपति अभिभाषण पर दिए गए स्पीच के कुछ हिस्सों को काट दिया गया। इसके बाद कांग्रेस अडानी के मामले में जेपीसी जांच की मांग करने लगी। इधर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लंदन में दिए एक भाषण पर हंगमा हो गया और सत्तापक्ष राहुल पर देश की छवि बिगाड़ने के आरोप लगाकर सार्वजनिक माफी की मांग करने लगा। इस मामले पर कई दिनों तक संसद ठप रही।





राहुल के मसले पर काम हुआ ठप





अभी ये हंगामा शांत हुआ ही नहीं था कि सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि केस में 2 साल की सजा सुना दी। सजा मिलने के बाद ही संसद से उनकी सदस्यता रद्द हो गई। जिसके बाद राहुल को ताबड़तोड़ बंगला खाली करने का नोटिस भी दे दिया गया। इसके बाद कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। राहुल गांधी के मसले पर हंगामा को देखते हुए कई दिनों तक संसद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी, लेकिन जब लगातार संसद नहीं चल रही थी तो नियत समय पर उसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।





मात्र चार दिन ही हुआ काम





संसद टीवी के अनुसार बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में बेहतर काम हुए हैं। अगर आंकड़ों की बात करें तो मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सबसे कम काम इसी सत्र में हुआ। लोकसभा में 45 घंटे यानी करीब 34 फीसदी और राज्यसभा ने 31 घंटे यानी करीब 24 फीसदी काम हुए। दोनों सदनों का कार्यकाल करीब 25 दिनों का था, इस हिसाब से अगर दिन देखा जाए तो सिर्फ 4 दिन ही ठीक ढंग से काम हो सका। इससे पहले 2021 का मानसून सत्र सबसे खराब था, जब हंगामें की वजह से लोकसभा में 77.48 घंटे और राज्यसभा में 76.25 घंटे का नुकसान हुआ था। वहीं अगर बात बिल की करें तो सरकार को इस सत्र में करीब 35 विधेयक पारित कराने थे, लेकिन सिर्फ 6 विधेयक ही पास हो सके। एक विधेयक समिति के पास भेजी गई है।





21 दिनों में जनता के 200 करोड़ का नुकसान





सत्र शुरू होने के बाद संसद की कार्यवाही आम तौर हफ्ते में 5 दिनों तक चलती है। प्रत्येक दिन संसद की कार्यवाही 7 घंटे तक चलाने की सामान्य परंपरा है। भारत में 2018 में संसद की कार्यवाही के खर्च को लेकर सरकार की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई थी। हालांकि, अब इस रिपोर्ट के 5 साल हो चुके हैं और 2018 की तुलना में महंगाई में भी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक संसद में एक घंटे का खर्च 1.5 करोड़ रुपए है। दिन के हिसाब से जोड़ा जाए तो यह खर्च बढ़कर 10 करोड़ रुपए से अधिक हो जाता है। वहीं अगर मिनट यू मिनट देखें तो संसद में एक मिनट की कार्यवाही का खर्च 2.5 लाख रुपए है। इस खर्च में सांसदों के वेतन, सत्र के दौरान सांसदों को मिलने वाली सुविधाएं और भत्ते, सचिवालय के कर्मचारियों की सैलरी और संसद सचिवालय पर किए गए खर्च भी शामिल हैं। 





संसद नहीं चलने देने का जिम्मेदार कौन?





संसद की कार्यवाही संचालन के लिए नियम पुस्तिका बनाई गई है। संसद को संचालन की जिम्मेदारी लोकसभा में अध्यक्ष और राज्यसभा में उपसभापति की होती है। संसदीय कार्यमंत्री विपक्षी नेताओं के साथ तालमेल कर सदन चलाने का काम करते हैं। 





इस बार संसद का परफॉर्मेंस सबसे खराब रहा है, इस खराब प्रदर्शन के जिम्मेदारों के बारे में बताते हैं...







  • संसद में हमेशा पक्ष-विपक्ष के बीच गतिरोध देखने को मिलता है, लेकिन लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा के सभापति सर्वदलीय मीटिंग के जरिए गतिरोध दूर करते रहे हैं।



  • सदन में लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को दलगत राजनीति से ऊपर माना जाता है, लेकिन संसद के इस बजट सत्र में दोनों की भूमिका पर सवाल उठे हैं।


  • संसदीय कार्यमंत्री- फ्लोर पर सरकार और विपक्ष के बीच तालमेल बनाने की जिम्मेदारी संसदीय कार्यमंत्री की होती है। इसी वजह से पहले वरिष्ठ नेताओं को संसदीय कार्यमंत्री बनाया जाता था। 


  • वर्तमान में कर्नाटक से सांसद प्रह्लाद जोशी के पास यह विभाग है। राहुल गांधी का मसला जब संसद में उछला तो सरकार की तरफ से जोशी ही फ्रंटफुट पर थे, यही वजह है कि पक्ष-विपक्ष के बीच गतिरोध सुलझने की बजाय और उलझ गया।


  • दोनों सदनों के नेता यानी नेता सदन- लोकसभा में नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जबकि राज्यसभा में पीयूष गोयल। बजट सत्र में लोकसभा और राज्यसभा दोनों का परफॉर्मेंस बेहद ही खराब है।


  • नेता सदन विपक्ष के मुद्दे को संसद में चर्चा कराकर गतिरोध को खत्म करने में सक्षम होते हैं, लेकिन बजट सत्र में इस तरह की कोई कोशिश नहीं की गई।


  • सदन को सुचारू रूप से चलाने में नेता प्रतिपक्ष की भी भूमिका अहम होती है। लोकसभा में तो कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है, लेकिन राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खडगे जरूर नेता प्रतिपक्ष हैं।


  • सरकार का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष सर्वदलीय बैठक में सदन सही ठंग से चलाने में सहयोग की बात करते हैं, लेकिन फ्लोर पर हंगामा शुरू हो जाता है। सरकार का आरोप है कि एक विशेष व्यक्ति की वजह से सदन नहीं चलने दिया गया।




  • मल्लिकार्जुन खड़गे Mallikarjun Kharge जेपीसी की मांग अमित शाह संसद का खर्च JPC राहुल गांधी Amit Shah demand of Rahul Gandhi Parliament expenditure