विधानसभा चुनाव से पहले क्यों मिली महाराष्ट्र के पूर्व सीएम शरद पवार की Z+ सुरक्षा, जानें क्या है इसके सियासी मयाने

एक तरफ जहां केंद्रीय एजेंसियों (central agencies ) की ओर से खतरे के आकलन की समीक्षा के बाद सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई गई है। आइए उन सियासी मयाने पर नजर डाल रहे जिनके कारण उनको ये सुरक्षा दी गई होगी।

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Sandeep Kumar
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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश के पूर्व सीएम शरद पवार ( Former CM Sharad Pawar )  को केंद्र सरकार ( Central government ) की तरफ से Z+ की सुरक्षा दी गई। शरद पवार को आखिर विधानसभा चुनाव के पहले ही Z+ की सुरक्षा क्यों दी गई है इसको लेकर कई तरह के सियासी मयाने निकाले जा रहे है। एक तरफ जहां केंद्रीय एजेंसियों (central agencies ) की ओर से खतरे के आकलन की समीक्षा के बाद सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई गई है। आइए उन सियासी मयाने पर नजर डाल रहे जिनके कारण उनको ये सुरक्षा दी गई होगी।

ये है सियासी मयाने

1. माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर को लेकर मराठा और ओबीसी समाज आमने सामने है। इन समाजों के बीच उभरा तनाव भी शरद पवार की सुरक्षा बढ़ाए जाने की खास वजह हो सकता है। 

2. महाराष्ट्र में जल्द ही विधानसभा चुनाव होना है, और उससे ठीक पहले ऐसा किया जाना इसके राजनीतिक स्वार्थ की तरफ इशारा करता है क्योंकि कुछ दिन ही पहले हुए लोकसभा चुनाव में NDA की सहयोगी NCP (अजित पवार ) को केवल एक सीट मिली थी। वहीं अजित के चाचा शरद पवार वाली NCP को 7 सीटे मिली थी। कहीं ये फैक्टर तो नहीं है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी शरद पवार को अपने पाले में मिलाना चाहती हो । भले ही इसके पीछे सीधे सीधे और सामान्य कारण क्यों न हों। 

3. करीब पांच साल पहले 2019 में बीजेपी से अलग महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi ) की सरकार बनवाकर शरद पवार (Sharad Pawar ) ने साबित कर दिया था कि महाराष्ट्र की राजनीति में तो केवल शरद पवार की चलती है।

4. आज की तारीख में तो असली एनसीपी (NCP) भी उनके पास नहीं है। न ही चुनाव निशान उनके पास है। जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक तो चुनाव निशान अजित पवार के कब्जे वाली एनसीपी के पास ही है। चुनाव आयोग भी शरद पवार (Sharad Pawar ) की एनसीपी को असली नहीं मानता। 

5.राजनीतिक पंडितों की माने तो बारामती तक से शरद पवार को उखाड़ फेकने के इंतजाम कर दिए गए थे।  अब तो अजित पवार भी मान रहे हैं कि बारामती से बहन सुप्रिया सुले (Sister Supriya Sule ) के सुनेत्रा पवार को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला सही नहीं था ।

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