Paris Olympics 2024 : विनेश फोगाट ( Vinesh Phogat ) पेरिस ओलिंपिक से बाहर हो गई हैं क्योंकि उनका वजन 50 किलो से 100 ग्राम अधिक पाया गया है। रेसलिंग में वजन मापने के नियम के अनुसार, पहलवानों को दोनों दिनों में वजन मापना होता है। दूसरे दिन विनेश का वजन 50 किलो से 100 ग्राम अधिक था, जो कि नियमों के खिलाफ है।
इन खेलों में होती है वेट कैटेगरीज
ओलिंपिक में मुख्य रूप से तीन खेलों में वेट कैटेगरीज होती हैं - वेट लिफ्टिंग, बॉक्सिंग, और रेसलिंग। रेसलिंग में वजन मापने की प्रक्रिया में पहलवानों को दोनों दिनों में वजन मापना होता है और वजन मापते समय पहलवान केवल सिंगलेट पहन सकते हैं।
वजन मापने की प्रक्रिया
- प्रत्येक वेट कैटेगरी की प्रतियोगिता 2 दिन चलती है।
- पहलवानों को दोनों दिनों में वजन मापना होता है।
- पहले दिन के खेल से पहले, पहलवानों का वजन सुबह मापा जाता है, जिसमें 30 मिनट का समय मिलता है।
- दूसरे दिन के खेल से पहले, वजन केवल 15 मिनट के लिए मापा जाता है।
- वजन मापते समय पहलवान केवल सिंगलेट पहन सकते हैं।
- संक्रामक बीमारियों के लक्षण और नाखूनों की भी जांच की जाती है।
- यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के अधिकारी वजन मापते हैं और प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है।
- आंकड़े कंप्यूटर पर दर्ज किए जाते हैं और अधिकारियों की सहमति के बिना पहलवान रिंग में नहीं उतर सकते।
यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सभी पहलवान निष्पक्ष और सुरक्षित तरीके से प्रतिस्पर्धा करें।
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क्या उच्च वेट कैटेगरी में खेल सकती है विनेश
कोई पहलवान अपनी निर्धारित वजन श्रेणी से अधिक वजन के साथ आता है, तो वह अगली दो वजन श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा कर सकता है, बशर्ते वह निर्धारित वजन से कम से कम एक ग्राम अधिक वजन दिखाए। लेकिन ओलंपिक में यह नियम लागू नहीं होता है क्योंकि वहां पहले से ही वजन श्रेणी तय कर दी जाती है। इसलिए, विनेश फोगाट के मामले में यह विकल्प उपलब्ध नहीं था।
पेरिस ओलंपिक में नहीं खेल सकती फोगाट
विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक में आगे नहीं खेल पाएंगी और उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ेगा। ओलिंपिक नियमों के अनुसार, एक बार डिस्क्वालिफाई होने के बाद खिलाड़ी को दोबारा खेलने का मौका नहीं मिलता।
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बाकी खिलाड़ियों पर भी होगा असर
विनेश फोगाट के डिस्क्वालिफिकेशन का बाकी खिलाड़ियों पर भी असर पड़ेगा। गोल्ड मेडल सारा हिल्डेब्रांट को मिलेगा सकता है, क्योंकि फाइनल मुकाबला नहीं होगा। सिल्वर मेडल नहीं दिया जाएगा, और दोनों सेमीफाइनल हारने वाले पहलवानों के बीच ब्रॉन्ज मेडल के लिए मुकाबला होगा।
एक बार पहले भी हो चुका है फोगाट जैसा मामला
पप्पू यादव का मामला विनेश फोगाट के मामले से मिलता-जुलता है। 1996 के अटलांटा ओलिंपिक में पप्पू यादव को 48 किलोग्राम वजन श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने के लिए चुना गया था, लेकिन ट्रायल मैच जीतने के बाद उनका वजन अधिक पाया गया, जिसके कारण उन्हें डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। यह दिखाता है कि वजन मापने के नियमों का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है और इसके परिणाम कितने गंभीर हो सकते हैं।
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