NEW DELHI. समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर देश में सियासी और धार्मिक बहस छिड़ गई है। जहां कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल पीएम मोदी पर राजनीतिक लाभ के लिए UCC का इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहे हैं। इससे पहले लॉ कमीशन ने भी धार्मिक संगठनों और जनता से 15 जुलाई तक UCC पर राय मांगी है। ऐसे में धार्मिक संगठन भी UCC के पक्ष-विपक्ष में अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। UCC को लेकर सभी धर्म के लोगों में भी इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि उनके निजी कानूनों पर क्या असर पड़ेगा?
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
- यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। यानी हर धर्म, जाति, लिंग के लिए एक जैसा कानून। अगर सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे।
भारत में अभी अलग-अलग कानून
भारत में अलग अलग धर्मों के अपने अपने कानून हैं। जैसे- हिंदुओं के लिए हिंदू पर्सनल लॉ, मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ, ऐसे में UCC का उद्देश्य इन व्यक्तिगत कानूनों को खत्म कर एक सामान्य कानून लाना है, आइए जानते हैं कि UCC अगर लागू होता है तो किस धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
हिंदू धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अगर UCC आता है तो हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) जैसे मौजूदा कानूनों को संशोधित करना होगा। उदाहरण के लिए, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 2(2) कहती है कि इसके प्रावधान अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होंगे। कानून की धारा 5(5) और 7 में कहा गया है कि प्रथागत प्रथाएं प्रावधानों पर हावी रहेंगी, लेकिन यूसीसी आने के बाद इनकी छूट नहीं मिलेगी।
मुस्लिम धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
मुस्लिम पर्सनल (शरीयत) अप्लीकेशन एक्ट, 1937 में कहा गया है कि शरियत या इस्लामी कानून के तहत शादी, तलाक और भरण-पोषण लागू होगा, लेकिन अगर UCC आता है, तो शरीयत कानून के तहत तय विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी और बहुविवाह जैसी प्रथाएं खत्म हो जाएंगी।
सिख धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
सिखों की शादी संबंधित कानून 1909 के आनंद विवाह अधिनियम के अंतर्गत आते हैं, हालांकि इसमें तलाक का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में तलाक के लिए उन पर हिंदू विवाह अधिनियम लागू होता है। अगर UCC आता है तो एक सामान्य कानून सभी समुदायों पर लागू होने की संभावना है। ऐसे में आनंद विवाह अधिनियम भी खत्म हो सकता है।
पारसी धर्म में क्या बदलाव आएगा?
पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 में प्रावधान है कि जो भी महिला किसी अन्य धर्म के व्यक्ति से शादी करती है, वह पारसी रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों के सभी अधिकार खो देगी, लेकिन UCC आने पर यह प्रावधान खत्म हो जाएगा। इसके अलावा पारसी धर्म में गोद ली हुई बेटियों को अधिकार नहीं दिए जाते, जबकि गोद लिया बेटा सिर्फ पिता का अंतिम संस्कार कर सकता है। अगर यूसीसी पेश किया जाता है तो सभी धर्मों के लिए संरक्षकता और हिरासत कानून सामान्य हो जाएंगे।
ईसाई धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
UCC आने से विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार संबंधित व्यक्तिगत कानून प्रभावित होंगे। ईसाई तलाक अधिनियम 1869 की धारा 10A(1) के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन देने से पहले पति-पत्नी को कम से कम दो साल तक अलग रहना अनिवार्य है, लेकिन UCC आने के बाद ये खत्म हो जाएगा। इतना ही नहीं, 1925 का उत्तराधिकार अधिनियम ईसाई मांओं को उनके मृत बच्चों की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं देता। ऐसी सारी संपत्ति पिता को विरासत में मिलती है। यूसीसी आने पर यह प्रावधान भी खत्म हो जाएगा।
आदिवासियों पर क्या असर पड़ेगा?
आदिवासी समाज परंपराओं, प्रथाओं के आधार पर चलता है। ऐसे में UCC आने से उनके सभी प्रथागत कानून खत्म हो जाएंगे। CNT यानी छोटानगपुर टेनेंसी एक्ट, संथाल परगना टेनेंसी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों को झारखंड में जमीन को लेकर विशेष अधिकार हैं। यूसीसी के लागू होने से ये अधिकार खत्म हो जाएंगे। यूसीसी के लागू होने से पूरे देश में विवाह, तलाक, विभाजन, गोद लेने, विरासत और उतराधिकार एक समान हो जाएगा। ऐसे में महिलाओं को संपत्ति का सामान अधिकार मिल जाएगा। ऐसे में अगर कोई गैर आदिवासी एक आदिवासी महिला से शादी करता है तो उसकी अगली पीढ़ी की महिला को जमीन का अधिकार मिलेगा।