मध्यप्रदेश के उज्जैन में दीपावली के त्योहार की शुरुआत सबसे पहले भगवान महाकाल के आंगन से हुई है। पांच दिवसीय दीपोत्सव के पहले दिन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने महाकालेश्वर मंदिर में परंपरा अनुसार धनतेरस की पूजा की है। 22 पुजारी-पुरोहितों ने भगवान महाकाल के साथ कुबेर की पूजा और अभिषेक कराया। कुबेर देवता के दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्त सांदीपनि आश्रम में पहुंच रहे हैं। महाकाल में केवल 1 फुलझड़ी जलाकर मनेगी दिवाली, फूलों से सजेगा दरबार
कलेक्टर, एसपी पूजा में हुए शामिल
बाबा महाकाल के पंचामृत और रुद्र अभिषेक के लिए नंदी हॉल में पुरोहित समिति के पुजारियों ने सुबह करीब 9 बजे वैभव, सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत की कामना कर महाकाल की महा पूजा आरंभ की, जो करीब एक घंटे तक चली। साथ ही विश्व कल्याण के लिए भगवान गणेश की पूजा, माता महालक्ष्मी की पूजा के बाद भगवान महाकाल का पंचामृत और रुद्राभिषेक पूजन किया गया। वहीं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने बाबा महाकाल की परंपरा अनुसार धनतेरस की पूजा की है।
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बाबा महाकाल का किया जाएगा श्रृंगार
देश में सबसे पहले 31 अक्टूबर को महाकाल मंदिर में दीपावली मनाई जाएगी। इस दिन पुजारी परिवार की महिलाएं द्वारा भगवान महाकाल को उबटन लगाया जाएगा। दिवाली पर महाकाल का अद्भुत श्रृंगार किया जाएगा और अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा।
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कुबेर की नाभी में लगाया जाता है इत्र
उज्जैन के कुंडेश्वर मंदिर के गर्भ गृह में कुबेर की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की गुरु दक्षिणा देने के लिए यक्ष राज कुबेर धन की पोटली लेकर यहां आए थे। उसके बाद से कुबेर यहीं रह गए। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की मूर्ति को नाभि में इत्र लगाने से वे प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशिर्वाद देते हैं। धनतेरस पर श्रद्धालु यहां इत्र लेकर पहुंचते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं।
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