भोपाल. मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य होगा जहां MBBS की पढ़ाई हिंदी में होगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हिंदी में पढ़ाने वाले पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया है। MBBS के हिंदी पाठ्यक्रम का पायलट प्रोजेक्ट भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) से शुरू होगा। फर्स्ट ईयर के छात्रों के लिए 3 विषयों की पुस्तकों का अंग्रेजी से हिंदी में ट्रांसलेशन किया जाएगा। गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Medical Education Minister Vishvas Sarang) और इस संबंध में गठित की गई हिंदी पाठ्यक्रम उच्च समिति की बैठक हुई जिसमें विषय विशेषज्ञों से चर्चा की गई और इसे अंतिम रूप दिया गया।
अंग्रेजी के समानांतर होगी हिंदी में पढ़ाई: बैठक के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि मप्र देश में पहला राज्य होगा जो हिंदी में एमबीबीएस के पाठ्यक्रम को लागू करेगा। इसी सत्र से छात्रों को ये सुविधा मिलेगी। विश्वास सारंग ने साफ किया कि हिंदी में पढ़ाई का मतलब यह है कि हिंदी माध्यम से जो छात्र पढ़ना चाहते हैं उन्हें समानांतर रूप से व्यवस्था की जाएगी।
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के प्रथम वर्ष से हम हिंदी में भी एमबीबीएस के पाठ्यक्रम की शुरूआत करने जा रहे हैं।
प्रथम वर्ष के तीन विषयों एनोटॉमी, फिज़ियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री का हम समानांतर किताबों का रूपांतरण करेंगे। pic.twitter.com/v7IO2FVLoo
— Vishvas Kailash Sarang (@VishvasSarang) February 24, 2022
फर्स्ट ईयर की तीन किताबों का होगा ट्रांसलेशन: विश्वास सारंग ने कहा कि फर्स्ट ईयर की तीन किताबें, एनाटॉमी, बायो-केमेस्ट्री और फिजियोलॉजी का ट्रांसलेशन होगा। इसके लिए भोपाल के जीएमसी में एनाटॉमी और बायो-केमेस्ट्री का वार रूम बनाया जा रहा है। साथ ही इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में फिजियोलॉजी का वार रूम बनाया जा रहा है। यहां विषयों के ट्रांसलेशन की जांच होगी। ट्रांसलेशन के लिए हिंदी प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। इसमें अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल है। सारंग ने कहा कि मातृ भाषा की पढ़ाई जल्द और ज्यादा समझ में आती है। फ्रांस, जर्मन, जापान और चाइना अपनी भाषा में पढ़ाई कराते हैं।
फेकल्टी भी हिंदी में पढ़ाएगी, यू ट्यूब चैनल बनेगा: ये भी तय किया गया है कि मेडिकल कॉलेज की फेकल्टी भी छात्रों को हिंदी में सब्जेक्ट को समझाते हुए क्लास लेंगे। साथ ही छात्रों की सुविधा के लिए हिन्दी लेक्चर के ऑडियो-वीडियो बनाकर यू-ट्यूब चैनल के जरिए छात्रों तक पहुंचाए जाएंगे।