लोकसभा चुनाव नतीजे : मध्य प्रदेश में इन दिग्गजों की साख दांव पर

मध्‍य प्रदेश लोकसभा चुनाव 2024 में कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर हैं। विदिशा से शिवराज सिंह चौहान, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजगढ़ से दिग्विजय सिंह समेत कई बड़े नेताओं की किस्मत का फैसला होना है...

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Shreya Nakade
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मध्य प्रदेश बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा सांख पर
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लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव नतीजे बस कुछ ही घंटों में जारी हो जाएंगे। 4 चरणों में चले मध्य प्रदेश के चुनावी घमासान का फल भी जल्द ही सामने होगा। इस बीच जहां सभी प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं, कुछ दिग्गज नेता ऐसे हैं जिनकी साख इन चुनावों में दांव पर लगी है। इन नेताओं के लिए नतीजे सिर्फ हार और जीत का फैसला नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा की बात है। जानिए कौन हैं मध्य प्रदेश के वे बड़े नेता- 

शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री ( विदिशा लोकसभा सीट) 

विदिशा लोकसभा सीट से इस बार भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा है। 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद, शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री न बनाने के फैसले ने सभी को चौंका दिया था। 2024 लोकसभा में टिकट देकर पार्टी ने उन्हें केंद्र की राजनीति में लाने का फैसला लिया है। 

विदिशा से शिवराज सिंह चौहान के सामने कांग्रेस ने 77 वर्षीय प्रताप भानु शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। वे 7 वीं और 8 वीं लोकसभा में विदिशा के कांग्रेस से सांसद रहे हैं।

शिवराज सिंह चौहान इससे पहले 4 बार विदिशा लोकसभा सीट के सांसद रह चुके हैं। उन्होंने 1996, 1998, 1999 और 2004 में हुए आम चुनावों में इस सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद प्रदेश की राजनीति में भी वे विदिशा लोकसभा की ही बुदनी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आए थे। विदिशा लोकसभा सीट पर भाजपा 1989 से लगातार जीतती आ रही है। ऐसे में विदिशा क्षेत्र में शिवराज सिंह चौहान की हार और जीत उनकी और पार्टी दोनों की साख का विषय है। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री (गुना लोकसभा सीट) 

गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार की राजनीतिक विरासत है। इस सीट से राजमाता विजयाराजे सिंधिया 6 बार और माधवराव सिंधिया 4 बार विधायक रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद 2002 से लगातार 4 बार गुना के सांसद रहे हैं। 2019 के चुनावों में यहां उन्हें पहली बार चुनाव में हार झेलनी पड़ी थी। 

इसके बाद 2020 में सिंधिया अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई और भाजपा सत्ता में आ गई। सिंधिया भी राज्यसभा के रास्ते केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री बन गए। ऐसे में अब उनके सामने गुना सीट पर फिर से कब्जा करने की चुनौती होगी। सिंधिया ने कांग्रेस की सरकार गिराकर प्रदेश में अपना दम-खम तो दिखा दिया, पर अपने संसदीय क्षेत्र की हार से अभी उबरना बाकी है। 

ऐसे में गुना लोकसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह को टिकट दिया था। 43 साल के राव यादवेंद्र पहले भाजपा में थे। वे 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इस सीट पर सिंधिया और उनके पूरे परिवार ने जमकर प्रचार किया है। ऐसे में देखना होगा कि क्या गुना की जनता फिर से महाराज को अपना सांसद चुनती है या नहीं। 

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वी. डी. शर्मा, मप्र भाजपा प्रदेश अध्यक्ष (खजुराहो लोकसभा सीट) 

विष्णु दत्त शर्मा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने खजुराहो सीट से ही 4,92,382 मतों से जीता था। इस बार खजुराहो से उनके सामने इंडी गठबंधन ने समाजवादी पार्टी की मीरा यादव को चुनावी मैदान में उतारा था। उनका नामांकन पर्चा रद्द हो गया था। ऐसे में इंडी गठबंधन ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक से प्रत्याशी आर. बी. प्रजापति को समर्थन देने का ऐलान किया। वे पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। खजुराहो में बसपा ने कमलेश कुमार को टिकट दिया था।

ऐसे में अगर वीडी शर्मा जैसे बड़े नेता को खजुराहो लोकसभा सीट से शिकस्त मिलती है तो यह उनकी साख पर प्रश्न उठाएगा। 

दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री ( राजगढ़ लोकसभा सीट)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ऐलान कर चुके हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है। 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें भोपाल से भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। हालांकि इस बार वे अपने प्रभाव वाले इलाके राजगढ़ से चुनावी मैदान में उतरे हैं। राजगढ़ लोकसभा सीट से दिग्विजय सिंह दो बार सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा वे राजगढ़ लोकसभा के अंतर्गत आने वाली राघोगढ़ और चाचौड़ा विधानसभा से विधायक भी रहे हैं। 

अपने प्रभाव वाले इलाके में आखिरी चुनाव मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की साख का विषय है। उनके सामने भाजपा के मौजूदा सांसद रोडमल नागर की चुनौती थी। वे दो बार राजगढ़ से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में उनकी 4,31,019 मतों से जीत हुई थी। 

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नकुल नाथ (छिंदवाड़ा लोकसभा सीट)

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ है। यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की परंपरागत सीट है। कमतलनाथ छिंदवाड़ा से 9 बार चुनकर संसद भवन पहुंचे हैं। 2018 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने यह सीट अपने बेटे नकुल नाथ को सौंप दी थी। नकुल नाथ ने 2019 में पहली बार छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा और 37,536 मतों की साधारण मार्जिन से जीत दर्ज की थी।

इस बार छिंदवाड़ा में कमलनाथ के करीबी दीपक सक्सेना समेत कई कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। खुद कमलनाथ और बेटे नकुल नाथ की भाजपा ज्वाइन करने के कयास थे। ऐसे में नकुल नाथ के सामने छिंदवाड़ा में अपनी प्रतिष्ठा साबित करने और कांग्रेस का प्रदेश में इकलौता गढ़ बचाने की चुनौती है।

लोकसभा में इस सीट पर सिर्फ 1 बार भाजपा सांसद जीत कर आए हैं वो भी 1997 में। हालांकि 1998 में हुए चुनावों में फिर कांग्रेस ने यहां सत्ता पा ली थी। इस बार भाजपा ने नकुल नाथ के सामने विवेक बंटी साहू को चुनावी मैदान में उतारा था। वे भाजपा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। 2019 में छिंदवाड़ा में हुए विधानसभा के उप चुनावों में बंटी साहू कमलनाथ से हार चुके हैं।

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कांतिलाल भूरिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री (रतलाम लोकसभा सीट)

कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। रतलाम लोकसभा सीट से वे 5 बार सांसद चुनकर आए हैं। इसके अलावा उन्होंने 2019 के उपचुनावों में झाबुआ से विधायकी जीती थी। हालांकि 2019 के आम चुनावों में कांतिलाल भूरिया को गुमान सिंह डोमार ने 90,636 वोटों से शिकस्त दी थी। ऐसे में कांतिलाल भूरिया के सामने अपने प्रभाव वाले इलाके में फिर से साख साबित करने की चुनौती है। 

उनके सामने भाजपा ने अनीता नागर सिंह चौहान को चुनावी मैदान में उतारा था। वे जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। अनीता नागर मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी हैं।

फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय मंत्री (मंडला लोकसभा सीट) 

फग्गन सिंह कुलस्ते केंद्र सरकार में राज्य मंत्री है। वे मंडला लोकसभा से 6 बार सांसद रह चुके हैं। पिछले दो चुनावों से वे लगातार जीत दर्ज करते आए हैं। हालांकि 2023 के विधानसभा चुनावों में निवास विधानसभा सीट से उनकी हार हुई थी। ऐसे में वरिष्ठ नेता को मंडला में अपनी साथ साबित करनी होगी।

फग्गन सिंह कुलस्ते के सामने कांग्रेस से ओमकार सिंह मरकाम को चुनावी मैदान में उतारा गया था। वे 2008 से लगातार चार बार डिंडौरी विधानसभा के विधायक हैं। इस बार पार्टी ने उन्हें लोकसभा की जिम्मेदारी सौंपी थी।

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वीरेंद्र कुमार खटीक, केंद्रीय मंत्री (टीकमगढ़ लोकसभा सीट) 

टीकमगढ़ लोकसभा सीट 2009 के चुनावों के समय से अस्तित्व में आई थी। तब से भारतीय जनता पार्टी के वीरेंद्र कुमार खटीक ही इस सीट से सांसद चुनकर आए हैं। इस दौरान उनके वोट परसेंट में लगातार बढ़ोतरी हुई है। वे चौथी बार टीकमगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वीरेंद्र कुमार खटीक केंद्र में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री है। 

खटीक के सामने इस बार कांग्रेस पार्टी ने पंकज अहिरवार को चुनावी मैदान में उतारा है। वे कांग्रेस के एससी विभाग के उपाध्यक्ष हैं। 

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मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024

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