UJJAIN. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया। महाकाल लोक का लोकार्पण अमृत सिद्धि योग में हुआ। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण रेवती नक्षत्र तो अयोध्या के राम मंदिर का भूमिपूजन अभिजीत मुहूर्त में किया गया था। इससे पहले पीएम मोदी ने बाबा महाकाल की पूजा-अर्चना की थी।
महाकाल का आशीर्वाद मिलता है तो काल के रेखाएं मिट जाती हैं-पीएम
पीएम मोदी ने संबोधन की शुरुआत हर हर महादेव से की। उन्होंने कहा कि उज्जैन की यह ऊर्जा, यह उत्साह, अवंतिका की यह आभा, यह अद्भुत यह आनंद, महाकाल की यह महिमा, यह महात्म्य, शंकर के सान्निध्य में कुछ भी साधारण नहीं है। असाधारण है। यह महसूस कर रहा हूं कि हमारी तपस्या से महाकाल प्रसन्न होते हैं तो ऐसे ही भव्य स्वरूपों का निर्माण होता है। जब महाकाल का आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं। समय की सीमाएं मिट जाती हैं। अंत से अनंत की यात्रा आरंभ हो जाती है।
पीएम ने की सीएम शिवराज की तारीफ
पीएम मोदी ने कहा कि महाकाल लोक की भव्यता भी समय की सीमा से परे आने वाली कई पीढ़ियों को आलौकिक दिव्यता के दर्शन कराएगी। पीएम मोदी ने सीएम शिवराज और मध्यप्रदेश सरकार की तारीफ की। पीएम मोदी ने कहा कि मैं आप सभी को देश-दुनिया में महाकाल के सभी भक्तों को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। विशेष रूप से भाई शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार, उनका मैं ह्दय से अभिनंदन करता हूं। जो लगातार इतने समर्पण से इस सेवा यज्ञ में लगे हुए हैं। साथ ही मैं मंदिर ट्रस्ट से जुडे सभी लोगों संतों-विद्वानों का आभार प्रकट करता हूं। जिनके प्रयास यह सफल हुआ है।
'प्रलयो न बाधते, तत्र महाकाल पुरी'
पीएम मोदी ने कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन के बारे में कहा गया है कि प्रलयो न बाधते, तत्र महाकाल पुरी.. अर्थात.. महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। हजारों वर्ष पूर्व जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा तब से यह माना जाता रहा है कि उज्जैन भारत के केंद्र में है। एक तरह से ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है, बल्कि यह भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है।
'अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए भी उज्जैन तैयार'
पीएम मोदी ने कहा कि उज्जैन के क्षण-क्षण में, पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है। कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है। यहां कालचक्र का 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग हैं। यहां चार महावीर हैं। 6 विनायक हैं। 8 भैरव हैं। अष्टमातृकाएं हैं। नवग्रह हैं। 10 विष्णु हैं। 11 रुद्र हैं। 12 आदित्य हैं। 24 देवियां हैं और 88 तीर्थ हैं। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम भारत की सांस्कृतिक आध्यात्मिक राजधानी का केंद्र बन रहा है। चार धाम प्रोजेक्ट के जरिये हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड से जुड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडोर खुला है। हेमकुंड साहिब रोपवे से जुड़ने जा रहा है। स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना से हमारी अध्यात्मिक चेतना के ऐसे कितने ही केंद्रों का गौरव पुनः स्थापित हो रहा है। इसी कड़ी मे महाकाल लोक भी अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है।
महाकाल लोक की खासियत
महाकाल मंदिर देश के प्राचीन मंदिरों में से एक है जिसके परिसर को आधुनिक रूप दिया गया है। महाकाल लोक में धरती पर देवलोक जैसी अनुभूति होगी। महाकाल लोक की भव्यता भक्तों को आकर्षित कर रही है। भक्त जल्द से जल्द महाकाल लोक का भ्रमण करना चाहते हैं। हम आपको बताएंगे महाकाल लोक की हर खासियत के बारे में।
महाकाल लोक में 190 मूर्तियां और 108 स्तंभ
महाकाल लोक के नाइट गार्डन में 190 मूर्तियां स्थापित की गईं हैं। इसके साथ ही 108 स्तंभ हैं। सभी 190 मूर्तियां शिव लीलाओं पर आधारित हैं। मूर्तियों में महादेव और उनके गणों की मुद्राओं को दर्शाया गया है। महाकाल लोक में 18 फीट की 8 प्रतिमाएं हैं जिनमें शिव, नटराज, कार्तिकेय, गणेश, पंचमुखी हनुमान, दत्तात्रेय, चंद्रशेखर महादेव, शिव-सती, समुद्र मंथन का दृश्य आदि शामिल है।
महाकाल लोक में 15 फीट की 23 प्रतिमाएं स्थापित की गईं हैं। इसमें महेश्वर, 11 रुद्र, शिव नृत्य, अघोर, काल भैरव, वीरभद्र, शरभ, खंडोबा, शिव बारात, मणि भद्र, गणेश-कार्तिकेय के साथ माता पार्वती, सूर्य-कपालमोचक शिव शामिल हैं।
महाकाल लोक में 11 फीट की 17 प्रतिमाएं स्थापित हैं। इसके साथ ही 10 फीट की 8 प्रतिमाएं स्थापित हैं। अर्द्धनारीश्वर, श्री गणेश, अष्ट भैरव, वशिष्ठ, ऋषि भारद्वाज, गौतम, कश्यप, जमदग्नी, लेटे हुए गणेश, सरस्वती, शिव हनुमान अवतार, लक्ष्मी, पार्वती, लकुलेश, पार्वती के साथ खेलते हुए गणेश शामिल हैं।
महाकाल लोक में 9 फीट की 19 प्रतिमाएं स्थापित हैं। इनमें सती, सिंह, यक्ष-यक्षिणी, ऋषि भृंगी, विष्णु, नंदीकेश्वर, शिवभक्त रावण, अर्जुन, शनिदेव, ऋषि दधिचि शामिल हैं।
महाकाल लोक में 108 विशाल स्तंभ
महाकाल लोग में 108 विशाल स्तंभ स्थापित किए गए हैं जिनपर महादेव के परिवार के चित्र बनाए गए हैं। ये चित्र प्रतिमाओं के स्वरूप में बने हैं। शक्ति, शिव, कार्तिकेय और गणेश की लीलाओं का वर्णन करते हैं। भक्तों के लिए 900 मीटर लंबा महाकालेश्वर पथ का निर्माण किया गया है।
26 फीट का नंदी द्वार आकर्षण का केंद्र
महाकाल लोक में नंदी द्वार आकर्षण का केंद्र है। जो 26 फीट का है। शिवमय संकुल भी खास है। महाकाल संकुल को शिवमय सजाया गया है। इसमें कमल कुंड, सप्त ऋषि, मंडल, शिव स्तंभ, मुक्ताकाश रंगमंच भी बनाया गया है। रुद्र सागर के तट का कायाकल्प किया गया है। संहारक महादेव की प्रतिमा लगाई गई है। त्रिवेणी संग्रहालय का एकीकरण किया गया है। महाकाल लोक में संपूर्ण शिव विवाह को दर्शाती 111 फीट लंबी म्यूरल पेंटिग लगाई गई है।
शिव पुराण की कथाएं दर्शाती प्रतिमाएं
महाकाल लोक में शिव पुराण की कथाओं को दर्शाती हुई प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है। त्रिपुरारी महाकाल संकुल में भव्य मूर्ति बनाई गई है। इसमें ब्रह्मदेव रथ के सारथी हैं। कैलाश पर्वत और साधना में लीन रावण को दर्शाया गया है। शिवभक्त रावण ने कठोर साधना करके महादेव को प्रसन्न किया था। नृत्य करते हुए गजानन की प्रतिमा भी है। मौन साधना में लीन सप्तऋषि की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं।
नवग्रह वाटिका और देश का पहला नाइट गार्डन
महाकाल लोक में नवग्रह वाटिका में मुक्ताकाश रंगमंच, शिवपुराण आधारित भित्ति चित्र, स्वागत संकुल दुकानें, त्रिपुरासुर वध का चित्रण है। महाकाल लोक में किसी गाइड का जरूरत नहीं पड़ेगी। मूर्तियों के बारकोड स्कैन करने पर पूरी जानकारी मिल जाएगी। महाकाल लोक में करीब 2 लाख लोग एक साथ दर्शन कर सकते हैं। देश का पहला नाइट गार्डन बनाया गया है जिसकी भव्यता निराली है।
महाकाल लोक प्रोजेक्ट को विदेश से भी मिला पैसा
महाकाल विस्तार प्रोजेक्ट 793 करोड़ रुपए का है। प्रोजेक्ट लिए मध्यप्रदेश सरकार 421 करोड़ खर्च कर रही है। केंद्र सरकार ने 271 करोड़ तो फ्रांस सरकार ने 80 करोड़ रुपए दिए हैं। मंदिर समिति 21 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। प्रोजेक्ट से न केवल दर्शन आसान होंगे, बल्कि लोग धार्मिक पर्यटन भी कर पाएंगे। कैंपस में घूमने, ठहरने, आराम करने से लेकर तमाम सुविधाएं होंगी।
असुर को मारने के लिए प्रकट हुए महाकाल, 286 साल पहले मंदिर निर्माण
पौराणिक कथा के मुताबिक दूषण असुर से मानवों की रक्षा के लिए महाकाल प्रकट हुए थे। असुर वध के बाद भक्तों की प्रार्थना पर बाबा ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां विराजमान हुए। इसके बाद रानाजीराव शिंदे ने 1736 में मंदिर का निर्माण करवाया। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के रूप में शिव विराजित हैं। मंदिर के 3 भाग हैं। सबसे नीचे गर्भ गृह में ज्योतिर्लिंग है। भगवान शिव के साथ यहां माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय विराजमान हैं। बीच वाले हिस्से में ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। महाकाल इकलौता मंदिर है, जहां भस्मारती होती है।