यूनियन कार्बाइड का कचरा अब तक क्यों नहीं किया नष्ट, HC ने केंद्र सरकार से किया सवाल, जस का तस पड़ा है 340 टन जहरीला कचरा

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Rajeev Upadhyay
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यूनियन कार्बाइड का कचरा अब तक क्यों नहीं किया नष्ट, HC ने केंद्र सरकार से किया सवाल, जस का तस पड़ा है 340 टन जहरीला कचरा

Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पेट्रोलियम और कैमिकल विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि हाईकोर्ट के निर्देशों के परिपालन में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए अब तक उचित कदम क्यों नहीं उठाए गए? कोर्ट ने यह भी सवाल किया है कि यूनियन कार्बाइड के शेष 340 टन कचरे के विनष्टीकरण का वर्तमान स्टेटस क्या है? जस्टिस शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की बेंच ने अगली सुनवाई 29 सितंबर तय की है। 



2004 में भोपाल निवासी आलोक प्रताप सिंह ने यह याचिका दायर की थी। इसमें यूनियन कार्बाइड के सुरक्षित विनष्टीकरण की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का देहांत हो चुका है लेकिन यह जनहित याचिका है, इसलिए तर्क सम्मत निराकरण आवश्यक है। कोर्ट को बताया गया कि पूर्व में हाईकोर्ट ने उक्त रासायनिक कचरे के विनष्टीकरण के लिए कई बार निर्देश जारी किए, लेकिन अभी तक फैक्ट्री की साइट पर 340 टन जहरीला कचरा पड़ा है, जो घातक है। 



मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह बताया गया कि केंद्र सरकार ने इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए ट्रांसफर याचिका दायर की है। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक उक्त याचिका का स्टेटस भी प्रस्तुत करने को कहा है। बता दें कि अदालत ने साल 2005 में 3 बार दिए गए निर्देशों के अनुपालन में गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के सचिव और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सचिव को भी हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए थे। 



जी का जंजाल बना है जहरीला कचरा



बता दें कि यूनियन कार्बाइड के इस जहरीले कचरे को सबसे पहले पीथमपुर में जलाने की योजना बनी थी। इसके बाद गुजरात में नष्ट करने का प्रस्ताव बना। जर्मनी की एक एजेंसी भी इस काम के लिए आई थी। हाल ही में पीथमपुर में कचरे को नष्ट किए जाने की भी बात उठी थी। यह कचरा साल 1969 में यूनियन कार्बाइड की स्थापना के साथ ही जमा होने लगा था। वहीं गैस कांड के बाद यह कचरा तो बोरों में बंद है लेकिन परिसर में भी कई टन कचरा खुले में पड़ा है। यहां तक कि इस कचरे के चलते भूजल भी दूषित हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निगम ने पाइप लाइन से घर-घर पेयजल की सप्लाई शुरू की है। 


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