पूर्व IAS चौधरी के सपने को लगा ग्रहण, प्रकाश नायक के खिलाफ हो रहा विरोध, इधर JCCJ से किन्नर मधु की एंट्री ने बढ़ाई चिंता

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Vikram Jain
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पूर्व IAS चौधरी के सपने को लगा ग्रहण, प्रकाश नायक के खिलाफ हो रहा विरोध, इधर JCCJ से किन्नर मधु की एंट्री ने बढ़ाई चिंता

गंगेश द्विवेदी/RAIPUR. रायगढ़ महापौर रह चुकी किन्‍नर मधु की एंट्री रायगढ़ विधानसभा का चुनावी समीकरण बुरी तरह से बिगड़ सकती है। किन्नर समुदाय की मधु बाई को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी यानी जेसीसीजे ने रायगढ़ से टिकट दि‍या है। यहां से पिछले चुनाव में कलेक्‍टरी छोड़कर नेता बने ओपी चौधरी बीजेपी के प्रत्‍याशी हैं। वहीं कांग्रेस से विधायक प्रकाश नायक को रिपीट किया गया है। बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्‍याशी पहले ही विरोध झेल रहे हैं, ऐसे में ओपी चौधरी के विधायक बनने के सपने को बड़ा ग्रहण लगता दि‍ख रहा है। तमाम विरोध और मधु की एंट्री के बाद क्‍या वे विधायक बन पाएंगे अब यह सवाल भी उठने लगे हैं।

जानें कैसे चर्चा में आई किन्नर मधु

मधु किन्‍नर ने 2014-15 में महापौर का चुनाव लड़कर पूरे देश का ध्‍यान अपनी ओर खींचा था। उस वक्त प्रदेश ही नहीं देश की पटल पर उभर कर चर्चा में आई जब रायगढ़ नगर निगम मेयर चुनाव में मधु किन्‍नर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में 33 हजार से ज्यादा वोट प्राप्त कर विजयी बनी थीं और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी के महावीर गुरुजी को 4 हजार 537 वोटों से करारी शिकस्त दी थी। इस चुनाव के नतीजे ने सभी को चौंका दिया था। मतदाताओं ने जनादेश देकर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को कड़ा संदेश दिया था।

इस बार भी है बगावत का माहौल

वर्तमान में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी में नाराजगी दिखाई दे रही है। दोनों ही पार्टी में दावेदार टिकट वितरण से नाराज है। इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी अग्रवाल समाज से प्रत्‍याशी उतारती आई हैं, जिन्‍हे यहां के व्‍यवसाइयों का बड़ा समर्थन मिलता है। यहां से कांग्रेस के नेता शंकर लाल अग्रवाल पार्टी छोड़ निर्दलीय मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं। कांग्रेस ने यहां विधायक प्रकाश नायक को रिपीट किया है। इस बात से यहां कांग्रेस कार्यकर्ता भी नाराज हैं। विधायक नायक पांच साल तक निष्क्रिय रहे। इसके बावजूद उन्‍हें टिकट किस आधार पर दे दिया गया इस बात को लेकर खासी चर्चा है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि प्रकाश नायक के पिता डॉ. शक्राजीत नायक रायगढ़ जिले के कद्दावर नेता थे। डॉ. नायक सरिया व रायगढ़ से तीन बार विधायक चुने गए थे। पहले दो बार बीजेपी और फिर कांग्रेस के टिकट चुनाव लड़े। वे साल 2001 से 2003 तक अजीत जोगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। 2 साल पहले कोरोना काल में उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।

बीजेपी में विरोध से सुर, ओपी चौधरी को हटाने का अल्‍टीमेटम

बीजेपी प्रत्याशी पूर्व IAS ओपी चौधरी का बाहरी कहकर विरोध हो रहा है। ओपी चौधरी रायगढ़ जिले के बायंग गांव के रहने वाले हैं। पिछली बार उन्होंने कांग्रेस की अजेय सीट खरसिया से ताल ठोंकी थी। IAS की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए इस नेता को यूथ आइकॉन माना जाता है। इनको लेकर बीजेपी को उम्‍मीद थी कि वे खरसिया का इतिहास बदल देंगे लेकिन उन्‍हें कांग्रेस के उमेश पटेल से शिकस्‍त मिली। इस बार चौधरी ने अपनी सीट बदलकर रायगढ़ को चुना लेकिन यहां बीजेपी में ही उनका विरोध शुरू हो गया है। यहां से प्रबल दावेदार बीजेपी की ही नेता गोपिका गुप्ता ने पार्टी आला कमान को 30 अक्तूबर तक प्रत्याशी बदलने का अल्टीमेटम दिया है। साथ ही ओपी चौधरी को न बदलने की स्थिति में निर्दलीय मैदान पर उतरने ऐलान भी कर दिया है। हांलाकि डैमेज कंट्रोल करने के लिए दोनों ही पार्टी के जिला पदाधिकारी और आला कमान अपने-अपने कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटे हैं लेकिन अभी तक उन्हें मनाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। जानकारों की माने तो मधु किन्‍नर की एंट्री इन सभी समीकरणों को किनारे करने में सक्षम है। रायगढ़ की जनता एक बार इन्‍हें पहले भी जनादेश दे चुकी है, इस बार भी इतिहास दोहराया जा सकता है। प्रदेश में बेहद चर्चित हो चुके रायगढ़ सीट का चुनावी समीकरण आगे क्या रंग बदलेगा? किसे जनादेश मिलेगा और किसके सर पर सजेगा जीत का सेहरा यह भविष्य के गर्भ में है।

हो सकता है कोलता समाज के वोटों का ध्रुवीकरण

रायगढ़ सीट पर विधायक प्रकाश नायक के रिपीट होने से पांच साल की उनकी निष्‍क्रियता को लेकर एंटी इन्कमबेंसी है और बीजेपी के लिए यह आसान सीट माना जा रहा था, लेकिन इस सीट पर बगावत के स्वर उठने के बाद समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। टिकट नहीं मिलने से नाराज कोलता समाज की कैंडिडेट गोपिका गुप्ता ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। गोपिका गुप्ता ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आवेदन भी ले लिया है। खास बात ये है कि रायगढ़ विधानसभा सीट पर कोलता समाज के तकरीबन 40 हजार वोटर हैं। ऐसे में गोपिका गुप्ता के निर्दलीय चुनाव लड़ने से कोलता समाज के वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। चूंकि गोपिका गुप्ता बीजेपी का चर्चित और सक्रिय चेहरा हैं, लिहाजा बीजेपी के वोट बैंक को धक्का लग सकता है। बहरहाल अब गोपिका की मान-मनौव्वल का दौर चल रहा है। गोपिका बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा सकती हैं, ये देखना दिलचस्प होगा।

देश की पहली इलेक्‍टेड मेयर कैसे बनी मधुबाई किन्‍नर

मधु बाई किन्नर ने 4 जनवरी 2015 को थर्ड जेंडर कैटेगरी से छत्तीसगढ़ में रायगढ़ की मेयर बनकर देश में पहली थर्ड जेंडर इलेक्‍टेड मेयर होने के रूप में अपना नाम दर्ज किया था। मधु से पहले कटनी में कमला जान भारत की पहली ट्रांसजेंडर मेयर चुनी गई थीं। उनकी उम्मीदवारी "अमान्य" घोषित कर दी गई क्योंकि उन्होंने महिला वर्ग से चुनाव लड़ा था। चुनाव से पहले मधु बाई को नरेश चौहान के नाम से जाना जाता था। उन्‍होंने आठवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की है। किशोरी के रूप में, मधु ने स्थानीय ट्रांसजेंडर समुदाय में शामिल होने के लिए अपना परिवार छोड़ दिया। वह भारत में दलित समुदाय से हैं। पद संभालने से पहले, मधु बाई ने छोटी- मोटी नौकरियाँ करके और रायगढ़ की सड़कों पर गायन और नृत्य करके और हावड़ा-मुंबई मार्ग पर जाने वाली ट्रेनों में प्रदर्शन करके जीविका अर्जित करती थी। वह 60 हजार से 70 हजार रुपए के बजट पर मेयर पद के लिए चुनाव लड़ीं थी। उनका दावा था कि कुछ पीड़ित नागरिकों के आग्रह पर उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया था। 4 जनवरी 2015 को उनकी चुनावी जीत सुप्रीम कोर्ट के NALSA फैसले के लगभग नौ महीने बाद आई, जिसने भारत में ट्रांसजेंडर लोगों को कानूनी मान्यता दी थी। रायगढ़ नगर निगम की पहली बैठक में कांग्रेस और बीजेपी सदस्यों ने वॉकआउट कर दिया, जिसके कारण बैठक स्थगित कर दी गई थी। लेकिन बाद में उनके कामों को लेकर वे खासी लोकप्रिय हुई।

क्‍या है NALSA फैसला

भारत के सर्वोच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों की पीठ ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद 15 अप्रैल 2014 को ट्रांसजेंडर अधिकारों पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति केएस ने कहा, "ट्रांसजेंडरों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता कोई सामाजिक या चिकित्सीय मुद्दा नहीं है, बल्कि मानवाधिकार का मुद्दा है।" राधाकृष्णन ने फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट को यह बात कही। इस फैसले के बाद ही देश में थर्ड जेंडर को कानूनी मान्‍यता मिली पाई।

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