छत्तीसगढ़ में सत्ता पलट होने के बाद भूपेश सरकार द्वारा द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं को बंद कर दिया है। योजनाएं तो बंद हो गई हैं, लेकिन उनके खातों से खर्चा अभी भी जारी है। इसकी जानकारी जब वित्त विभाग तक पहुंची तो विभाग ने इन बंद हुई योजनाओं और उसके चालू खातों की जानकारी मांगी है। विभाग ने कहा कि, राशि की जानकारी देने के साथ सभी रकम शासन के खाते में तत्काल जमा कराएं। अधिकारियों का कहना है कि बंद योजनाओं के बैंक खातों में करोड़ों रुपए हो सकते हैं।
एसीएस से लेकर जिला पंचायतों के सीईओ मांगा हिसाब
दरअसल राज्य में बंद योजनाओं की राशि खातों में पड़ी हुई है ऐसे सभी योजनाओं के रकम के उपयोग की वित्त विभाग को जानकारी मिली है। जिसके बाद वित्त विभाग ने आदेश जारी किया। इसमें एसीएस, पीएस, सेक्रेटरी, स्पेशल सेक्रेटरी, विभागों के अध्यक्षों, कलेक्टरों तथा जिला पंचायतों के सीईओ से बैंक खातों का हिसाब मांगा है।
संबंधितों पर होगी कार्रवाई
वित्त विभाग से जारी निर्देश के बाद राज्य स्तरीय कार्यालय समेत सभी जिलों में इस तरह की योजना से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। सत्ता परिवर्तन और लोकसभा चुनाव की वजह से अधिकारियों का इस तरफ ध्यान ही नहीं गया। इसका लाभ इससे जुड़े लोग उठा रहे थे। सूत्रों का कहना है कि ज्यादा गड़बड़ी मिली तो संबंधितों पर कार्रवाई भी की जाएगी।
ये योजनाएं हुई बंद
केंद्र व राज्य सरकार की कई योजनाएं है जो अब बंद कर दी गई है। जैसे डीआरडीए, आदिम जाति विकास, ग्रामीण विकास योजनाएं, समाज कल्याण से संबंधित योजनाएं आदि शामिल हैं। इनके अलावा दिसंबर में कांग्रेस सरकार जाने और भाजपा की सरकार बनने के बाद कई योजनाओं को बंद कर दिया गया। इनमें मुख्यमंत्री बाल उदय योजना, बेरोजगारी भत्ता योजना, गोधन न्याय योजना, मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना, छत्तीसगढ़ कल्चर कनेक्ट योजना, मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन योजना, चाक परियोजना, मुख्यमंत्री विरासत झरोखा योजना, गृह निर्माण ऋण योजना, महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना आदि।
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