Jaipur. राजस्थान में विधानसभा चुनाव दहलीज पर हैं, ऐसे में अब तक सरकार बदलने के ट्रेंड को बदलने कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भरसक प्रयास कर रहे हैं। एक के बाद एक योजनाएं लाकर वे वोटर्स का मन लुभा रहे हैं तो अब उन्होंने ओबीसी वर्ग की अतिपिछड़ी जातियों के लिए 6 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण देने की घोषणा कर बड़ा दांव चल दिया है। सीएम गहलोत के इस दांव से बीजेपी की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी जाट बहुल बीकानेर और दौसा में जनसभा कर मीणा-गुर्जर वोटर्स को साधने का प्रयास कर रहे थे। सीएम की इस घोषणा से यह कसर पानी में मिल सकती है।
ट्वीट कर किया ऐलान
सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि 21 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ 6 फीसदी अतिरिक्त कोटा की व्यवस्था की जाएगी, जिसका लाभ ओबीसी वर्ग की अतिपिछड़ी जातियों को मिलेगा। ओबीसी वर्ग की अतिपिछड़ी जातियों की पहचान के लिए ओबीसी आयोग से सर्वे कराया जाएगा। जो तय समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
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एमपी का मामला कोर्ट में विचाराधीन
बता दें कि इससे पहले मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन 50 फीसदी की लक्ष्मण रेखा के चलते यह फैसला कोर्ट के फैसले के अधीन हो चुका है। ऐसे में राजस्थान में यह कोशिश भी अदालत में जाना तय है।
एमपी, बिहार और उत्तरप्रदेश की नकल
दरअसल इस घोषणा के जरिए सीएम अशोक गहलोत मध्यप्रदेश के 27 फीसदी आरक्षण के ऐलान, बिहार में नीतिश सरकार के ओबीसी सर्वे और उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार के अतिपिछड़ी जातियों के फॉर्मूले का मिला जुला फार्मूला लेकर आए हैं। राजस्थान में ओबीसी वर्ग की 90 से ज्यादा जातियां हैं। एक अनुमान के मुताबिक सूबे में 50 फीसदी वोटर्स अकेले ओबीसी के हैं। कई सीटों पर ओबीसी की तादाद 60 फीसदी तक है। राजस्थान की सभी 200 सीटों पर ओबीसी वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत के दांव से बीजेपी मुश्किल में पड़ सकती है।