अरुण तिवारी,भोपाल. प्रदेश में राज्यसभा चुनाव की तारीख तय होते ही राजनीति में उफान आना शुरू हो गया है। कांग्रेस में एक अनार सौ बीमार जैसे हालात हैं, क्योंकि सीट एक है और नेता कई हैं। राज्यसभा जाने के लिए वे नाम भी ताक लगाए बैठे हैं, जो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। वहीं बीजेपी में सब कुछ दिल्ली के हवाले है। यानी प्रदेश के नेताओं के लिए दिल्ली बहुत दूर हो सकती है।
वोटिंग की जरूरत ही न पड़े
लोकसभा के पहले राज्यसभा चुनाव सामने आ गए हैं। प्रदेश की पांच राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। 27 फरवरी को राज्यसभा के लिए वोट डाले जाएंगे और इसी दिन रिजल्ट सामने आ जाएगा। प्रदेश में खाली होने वाली पांच सीटों में से चार बीजेपी के हिस्से में और एक कांग्रेस के पाले में जाएगी। संख्या बल के हिसाब से वोटिंग की नौबत नहीं आएगी। और हो सकता है नाम वापसी के आखिरी दिन 20 फरवरी को नए राज्यसभा सदस्य निर्वाचित घोषित कर दिए जाएं। 15 फरवरी से राज्यसभ के लिए नामांकन शुरू हो जाएंगे।
बीजेपी के पास 4 तो कांग्रेस के पास 1 सीट
अब बात करते हैं राज्यसभा के समीकरणों की। किसकी लॉटरी लगेगी और कौन खाली हाथ रहेगा। इस पर सबकी नजर है। ऐसा माना जा रहा है कि खाली होने वाली राज्यसभा की पांच सीटों में से यदि एक नाम छोड़ दिया जाए तो कोई रिपीट नहीं होगा। अप्रैल में पांच सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें एक कांग्रेस की और चार बीजेपी की हैं। वर्तमान में विधायकों के संख्या बल के आधार पर चार सीटें बीजेपी के पास और एक सीट कांग्रेस के पास रहेगी। जिन नेताओं का राज्यसभा से कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें बीजेपी के अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, धर्मेंद प्रधान और डॉ. एलमुरुगन शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस के राजमणि पटेल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
कांग्रेस में इन नामों की चर्चा
अब बात करते हैं कि वे कौन से नाम हैं जो राज्यसभा जा सकते हैं। कांग्रेस में एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति है। दावेदारों में पहला नाम पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का है। इसके पीछे कई कारण हैं। कांग्रेस के ओबीसी नेता राजमणि पटेल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसलिए उनके स्थान पर किसी ओबीसी नेता को ही राज्यसभा भेजा जा सकता है। वहीं राहुल गांधी ने ओबीसी का मुद्दा विधानसभा चुनाव प्रचार में खूब उठाया है और आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व की बात की है। इसलिए अरुण यादव का दावा मजबूत नजर आता है। अरुण यादव के अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह और कमलेश्वर पटेल भी दावेदार माने जा सकते हैं। हालांकि राहुल गांधी किसी युवा के पक्ष में ही जा सकते हैं, इसलिए डॉ गोविंद सिंह दावेदारी में पिछड़ सकते हैं। वहीं कमलेश्वर पटेल वर्तमान में सीडब्ल्यूसी के सदस्य हैं और यदि एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर काम होता है तो हो सकता है उनके नाम पर मुहर न लगे।
बीजेपी में इनकी दावेदारी
बीजेपी के चार सदस्यों में धर्मेंद्र प्रधान रिपीट हो सकते हैं। बाकी तीन सीटों में नए नामों को आगे बढ़ाया जाएगा। बीजेपी में यह फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करता है, इसलिए यहां पर नाम पीएम मोदी की पसंद और आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए होंगे। विधानसभा चुनाव में हारे पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा राज्यसभा के दावेदार माने जा रहे हैं। वहीं महिला चेहरे में इंदौर की डॉ. दिव्या गुप्ता का नाम भी प्रमुख दावेदारों में लिया जा रहा है। इंदौर से डॉ. निशांत खरे का नाम भी राज्यसभा की दौड़ में आगे है। वे अभी युवा आयोग के अध्यक्ष हैं और आदिवासियों के बीच उन्होंने अपनी अच्छी पैठ बनाई है। वहीं एक नाम किसी आदिवासी नेता का आ सकता है। चूंकि नरेंद्र मोदी अप्रत्याशित फैसले करते हैं, इसलिए इस पर कोई सरप्राइज एलीमेंट के तौर पर सामने आ सकता है।