संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर नगर निगम के बर्खास्त बेलदार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी असलम ने ईडी में दर्ज केस को लेकर हाईकोर्ट इंदौर में जमानत याचिका दायर की। लेकिन उलटे हाईकोर्ट ने अधिकारियों से ही मौखिक पूछ लिया कि जब उस पर केस है तो गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। उल्लेखनीय है कि मनी लॉण्ड्रिंग केस में भूमाफिया दीपक मद्दा पर भी केस है और वह ईडी की गिरफ्तर में होकर जेल में हैं।
इस आधार पर मांगी थी जमानत
याचिका में उल्लेख किया कि लोकायुक्त के मूल प्रकरण में कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। बाकी प्रकरण बाद में बनाए गए हैं। अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए। वहीं प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अधिवक्ता हिमांशु जोशी ने विरोध किया कि ट्रायल शुरू हो गया। जमानत का लाभ मिला तो याचिकाकर्ता जांच को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
लोकायुक्त के छापे के बाद ईडी ने किया था केस
साल 2018 में लोकायुक्त ने असमल के यहां छापा मारकर करोड़ों की संपत्ति का खुलासा किया था। इसके बाद ईडी ने भी केस दर्ज कर संपत्तियां अटैच की। ईडी ट्रिब्यूनल तक ने अटैच को मंजूरी दे दी। लेकिन पांच साल में भी किसी भी जांच एजेंसी ने उसे गिरफ्तार नहीं किया।
लोकायुक्त चालान में कई संपत्तियों का उल्लेख
मामूली वेतन पर नगर निगम में काम करने वाले असलम के यहां 2018 में लोकायुक्त पुलिस ने छापा मारा था। करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ था। लोकायुक्त पुलिस द्वारा असलम के खिलाफ चालान पेश किया जा चुका है। प्लाट, मकान, बैंकों में जमा नकदी सहित आय से अधिक संपत्ति का ब्योरा लोकायुक्त ने चालान में उल्लेख किया है।
संपत्ति अटैच के बाद भी खरीदी थी करोड़ों की जमीन
साल 2018 में लोकायुक्त छापे के बाद लोकायुक्त और ईडी ने सभी बैंक खाते सील कर संपत्ति अटैच कर ली थी। इसके बावजूद साल 2020 में असलम ने ना सिर्फ करोड़ों की जमीनें खरीदी, बल्कि खाते से भुगतान भी किया। साथ ही 20 साल पुरानी टीसीपी के आधार पर निलंबन के दौरान 2021 में नक्शा भी पास करवा लिया। दरअसल, असलम ने अगस्त-2018 में लोकायुक्त छापे के करीब एक साल बाद दिसंबर-2019 में माणिकबाग रोड स्थित अशोका कॉलोनी में 76 लाख में 4500 वर्गफीट का प्लॉट खरीदा। खुद और अपने भाई के नाम हुई इसकी रजिस्ट्री के एवज में एसबीआई के खातों से 75 लाख रुपए चुकाना बताया गया। रजिस्ट्री के स्टांप शुल्क आदि के एवज में किया गया लगभग 7 लाख का भुगतान अलग है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब लोकायुक्त और ईडी की कार्यवाही में खाते सील कर संपत्तियां कुर्क हो गई थी, तो राशि का भुगतान खाते से कैसे हुआ। इस प्लॉट की बाजार कीमत 3 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है।