देश की जानी-मानी आईआईटी-जेईई की कोचिंग FIITJEE डूबने की कगार पर पहुंच चुकी है। हालत यह है कि चार महीने से स्टॉफ को वेतन नहीं मिला है। इसके चलते टीचर छोड़कर चले गए हैं। इंदौर में मंगलवार को औपचारिक तौर पर कलेक्टर आशीष सिंह को इस कोचिंग को लेकर शिकायत हुई, जिसमें बच्चों के अभिभावकों से फीस ले ली, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए टीचर ही नहीं है। यहां करीब ढाई सौ बच्चे हैं, जिनसे एक करोड़ करीब फीस ली गई है।
इन सेंटर पर टीचर गए, कोचिंग बंद
यही हाल इंदौर के साथ ही भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर में भी हुआ है। वहीं जयपुर, नागपुर, मुंबई, यूपी के भी कुछ शहरों में यही हाल है। जयपुर में भी शनिवार को अभिभावकों ने प्रदर्शन किया था। वहीं यूपी में फिट्जी के एमडी पर दो करोड़ की ठगी का मामला दर्ज किया गया है। वहीं पुलिस में भी कुछ जगह यह मामला सामने आने के बाद मुबंई में खाते भी फ्रिज किए गए हैं।
क्यों हुई है यह हालत
फिट्जी की वित्तीय साल 2022-23 की बैलेंसशीट बताती है कि उसका टर्नओवर जरूर बीते साले से बढ़ा है, लेकिन उसका खर्च इतना अधिक होने लगा है कि वह घाटे में चली गई है। एक रुपए कमाने के लिए कोचिंग 1.16 रुपए खर्च कर रही है। यानी कमाई से ज्यादा खर्च, वह भी विज्ञापन में। प्रतिस्पर्ध के दौर में उसने विज्ञापन पर खर्चा प्रति साल 65 करोड़ रुपए कर दिया, जो उसके वित्तीय साल में 69 करोड़ के घाटे की अहम वजह रही। साल 2021-22 के वित्तीय साल में उसे 37 लाख रुपए का मुनाफा था।
यह है खर्च- आय
आर्थिक मामलों के जानकार तेजपाल सिंह सलूजा बैलेसशीट से बताते हैं कि कोचिंग की साल 2022 में आया 448 करोड़ रुपए थी, जो बढ़कर 2023 में 542 करोड़ हो गई। साल 2022 में कोचिंग को 37 लाख का लाभ था
लेकिन घाटा इसलिए क्योंकि इसका खर्च जो 2022 में 458 करोड़ था। वह बढ़कर 631 करोड़ रुपए हो गया। कोचिंग को कुल 69 करोड़ का घाटा 2023 में हुआ।
विज्ञापन पर उसने खर्च 45 फीसदी बढ़ाकर 103 करोड़ रुपए कर दिया जो घाटे का मूल कारण बना। इसके चलते बीते चार महीने से उसने टीचिंग व अपने स्टॉफ को वेतन देना ही बंद कर दिया है। उसे उम्मीद थी कि अधिक विज्ञापन से उसे अधिक बच्चे मिलेंगे और उनकी फीस से यह घाटा भर जाएगा, लेकिन इस बार भी वैसे एडमीशन नहीं मिले हैं। इसके चलते उसने वेतन ही बंद कर दिया।
मालिक दिनेश कुमार गोयल का विवादित बयान भी बना कारण
फिट्जी के मालिक दिनेश कुमार गोयल है, जिन्होंने साल 1992 में कोचिंग स्थापित की थी। लेकिन घाटे के बाद हाल ही में फरवरी 2024 में जब वेतन उन्होंने रोका और स्टॉफ ने इसकी शिकायत की तो उन्होंने ई मेल में जवाब लिखा कि- वेतन अधिकार नहीं है इसे कमाना पड़ता है। इससे कर्मचारी बेहद नाराज हुए और उन्होंने काम करना बंद कर दिया। वेतन नहीं आने से टीचर ने काम छोड़ दिया और इससे कोचिंग और घाटे में उतर गई। अब बच्चों के एडमीशन तो ले लिए, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए टीचर ही नहीं है और स्टॉफ के पास जवाब नहीं है कि वह कैसे इनकी फीस लौटाएंगे, क्योंकि हैडऑफिस दिल्ली में हैं।
स्टॉफ ने बताया हमे ही वेतन नहीं मिला
वहीं द सूत्र ने कोचिंग के मैनेजर से बात की उन्होंने बताया कि दिल्ली हैडऑफिस है, सभी भुगतान वहीं जाते हैं और वहीं से हम सभी को वेतन आता है। चार महीने से टीचर्स और स्टॉफ किसी को वेतन नहीं मिला है। इसके चलते टीचर्स कोचिंग छोड़कर चले गए हैं। हम कई बार फोन कर चुके हैं, ईमेल कर चुके हैं, लेकिन जवाब घुमावदार आ रहे हैं और अक्टूबर तक सब क्लीयर करने का बोल रहे हैं। टीचर नहीं होने से पढ़ाई ठप है। हम कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि हम भी पीड़ित है और दोस्तों से उधार लेकर घर चला रहे हैं। इंदौर में कोचिंग को दो सेंटर है।
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