इंदौर के साथ ही देश के जाने-माने आर्किटेक्ट हितेंद्र मेहता ( Hitendra Mehta ) पर पहली बार किसी सरकारी विभाग ने सख्ती दिखाई है। इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) ने उनकी कंसलटेंसी की राशि रोक दी है। उनके कारण सुपर क़ॉरिडोर पर आने वाले स्टार्टअप पार्क के प्रोजेक्ट में एक साल से भी ज्यादा समय की देरी हुई है। साथ ही आईडीए की भी टीएंडसीपी से लेकर भोपाल तक भद पिटवाने में कोई कसर नहीं रखी है।
हितेंद्र मेहता ने क्या किया
आईडीए के सुपर कॉरिडोर पर 450 करोड़ रुपए के 20 एकड़ में आ रहे 27 मंजिला स्टार्टअप पार्क की प्लानिंग हितेंद्र मेहता ने की। इसमें एक मलेशिया की कंपनी को भी लिया गया। मेहता ने सुपर कॉरिडोर के हाईराइज नियम जानने के बाद भी इसमें 27 मंजिला मल्टी की प्लानिंग की। यह प्लानिंग उन्होंने मास्टर प्लान की रोड के हिसाब से की, क्योंकि वहां अधिक हाईराइज की मंजूरी होती है, लेकिन सुपर कॉरिडोर पर नियम अलग है। इसके चलते हुआ यह कि जब यह प्लान टीएंडसीपी में मंजूरी के लिए गया तो वहां से खारिज हो गया। पूरी प्लानिंग मेहता की धरी रह गई।
यही नहीं रुके मेहता, बात शासन तक पहुंचाई
मेहता यही नहीं रूके, उन्होंने इस मामले में आईडीए को दिलासा दिया। उन्होंने कहा कि इससे कुछ नहीं होगा, मप्र शासन के पास यह भेजेंगे। वहां से इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल जाएगी और सुपर कॉरिडोर में हाईराइज की मंजूरी हो जाएगी। लेकिन शासन ने उलटे आईडीए को डपट दिया और कहा कि इससे क्या करोड़ों रुपए का नुकसान सरकार को कराओगे और बिल्डर्स को फायदा पहुंचाओगे? यदि एक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी तो क्या जिन्होंने वहां प्लाट लिए हुए हैं, वह हाईराइज के इस मंजूरी का फायदा उठाकर मल्टी नहीं बनाएंगे। यानी यदि इसे सरकार मान लेती तो एक प्रोजेक्ट में कई बिल्डर्स को मेहता की प्लानिंग जमकर फायदा पहुंचा देती। सरकार ने फाइल डांट कर लौटा दी।
इसके बाद आईडीए को आई समझ
इस भद पिटने के बाद आईडीए को समझ आई कि मेहता जी ने निपटा दिया है और उनकी गलत प्लानिंग से प्रोजेक्ट एक साल से भी ज्यादा समय केवल इसी चक्कर में लेट हो गया। इसके बाद आईडीए ने अब इसमें बदलाव किया है और सुपर कॉरिडोर के नियमों के अनुसार ही किया जा रहा है। लेकिन मेहता की गलत प्लानिंग के कारण उन्हें पहले चरण में दी जाने वाली कंसलटेंसी राशि 15 लाख रुपए रोक ली गई है।
सीएम शिवराज के समय बना था प्रोजेक्ट
यह प्लानिंग तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के समय बनी थी। उस समय चेयरमैन जयपाल सिहं चावड़ा थे, जो जनवरी 2024 में पद से हट गए। सीईओ आरपी अहिरवार थे और वह और चावड़ा दोनों ही इस प्रोजेक्ट को देख रहे थे। चौहान का प्रोजेक्ट होने के चलते दोनों ने ही तेजी से फाइल दौड़ाई, लेकिन मेहता की प्लानिंग ने इसमें देरी कर दी। अब आईडीए की भद पिटी तो उन्होंने भी मेहता से पूछा था कि आप तो इतने जानकार है। आपने नियमों पर ध्यान क्यों नहीं दिया? इस पर वह कोई जवाब नहीं दे पाए, इसके बाद यह कंसलटेंसी राशि रोक लगी गई है।
हर एजेंसी, अधिकारी को प्रिय मेहता
आईडीए हो नगर निगम या स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट या फिर प्रशासन के, हर जगह प्लानिंग की बात आती है तो हितेंद्र मेहता ही सभी अधिकारियों को याद आते हैं। एक बार तो सिटी बस की बैठक में एक नेता बोल ही चुके थे कि आप लोगों को मेहता के सिवा कोई दिखता नहीं है क्या? लेकिन अधिकारी है कि मानते नहीं। जबकि मेहता के प्रोजेक्ट में ऐसा कोई बड़ा नाम नहीं है जो शहरहित में बड़े स्तर पर हुआ है। यह जरूर है कि प्रोजेक्ट केंद्र से आता है, भारी राशि आती है और फिर नेता, अधिकारी श्रेय लेते हैं, मेहता की भी चल निकलती है और फिर मामला ठंडा पड़ जाता है।
कौन है मेहता
हितेंद्र मेहता, मेहता एंड एसोसिएट्स के संस्थापक हैं। यह देश की अग्रणी वास्तुकला, शहरी नियोजन और परियोजना प्रबंधन परामर्श फर्म है, जिसमें 150 से अधिक विशेषज्ञ पेशेवर हैं। फर्म मेहता एंड एसोसिएट्स एलएलपी का संचालन न केवल पूरे मध्य प्रदेश में बल्कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में भी फैला हुआ है। वह मप्र शासन द्वारा श्री गोविंदराम सक्सेरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, (एसजीएसआईटीएस), इंदौर के गवर्निंग बोर्ड में बोर्ड सदस्य है तो इंदौर विकास योजना - 2021 की समीक्षा समिति, भूमि विकास नियम 2012 (मध्य प्रदेश के लिए विकास नियंत्रण और भवन उपविधि विनियमन हेतु वैधानिक विनियमन) की समीक्षा समिति के सदस्य, रियल एस्टेट विधेयक के प्रारूप के लिए सलाहकार समिति के सदस्य तथा राज्य सरकार और भारत सरकार की कई अन्य समितियों के सदस्य भी है। जीतो के भी वह चेयरमैन रहे हैं और इसी माह उनका कार्यकाल पूरा हुआ है। वह भारतीय इंजीनियर्स संस्थान की कार्यकारी परिषद के सदस्य भी हैं।
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