34 साल पहले फर्जी दस्तावेज से पाई नौकरी, अधिकारियों की मिलीभगत से बाल भी बांका नहीं

राजस्थान में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने के मामले में राजमल लबाना का नाम सामने आया। अधिकारियों से मिलीभगत के चलते इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (TheSootr)

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Udaipur . राजस्थान (Rajasthan) में फर्जी दस्तावेज से नौकरी पाने का मामला नया नहीं है, बल्कि यह दशकों से चल रहा एक पुराना मुद्दा है। हाल ही में प्रतापगढ़ जिले के धरिसावद उपखंड में एक सरकारी अध्यापक राजमल लबाना (Rajmal Labana) का नाम सामने आया है, जिन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र (Fake Caste Certificate) के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की। 34 साल पहले नौकरी ज्वॉइन करने वाले लबाना ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मांडवी में शिक्षक की नौकरी की। आरोप है कि लबाना ने नौकरी पाने के लिए एससी (नायक जाति) का फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया। जबकि, राजमल और उसका परिवार लबाना समाज में आता है, जो एसबीसी वर्ग (SBC Class) के तहत आता है, लेकिन राजमल ने अपनी जाति को एससी में बदलकर यह नौकरी प्राप्त की।

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फर्जी जाति प्रमाण पत्र से हासिल की नौकरी 

राजमल लबाना ने 1991 में एससी (नायक) का फर्जी जाति प्रमाण पत्र तैयार किया और उसे उपयोग में लाकर सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी प्राप्त की। इसके बाद इस फर्जीवाड़े (Fraud) की कई बार शिकायतें भी की गईं, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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अधिकारियों से मिलीभगत: कोई कार्रवाई नहीं हुई

राजमल के खिलाफ शिकायतें मिलने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि अधिकारियों (Officials) से मिलीभगत थी। यह स्थिति उस समय की है जब शिकायतें दायर की जाती थीं, लेकिन अधिकारी अपनी तरफ से कोई कदम नहीं उठाते थे। इससे यह साबित होता है कि फर्जी दस्तावेज से सरकारी नौकरी प्राप्त करने वाले व्यक्ति को संरक्षण मिल रहा था।

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2019 में कलक्टर की जनसुनवाई पर हुई जांच

साल 2019 में कलक्टर की जनसुनवाई में राजमल लबाना (Rajmal Labana) के खिलाफ फिर से शिकायत की गई और इस बार जांच शुरू की गई। जांच में यह पुष्टि हुई कि राजमल ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र (Fake Caste Certificate) के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की थी। इसके बाद राजमल लबाना को निलंबित कर दिया गया, लेकिन फिर अधिकारियों की मिलीभगत से राजमल को कुछ ही समय में बहाल कर दिया गया।

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एफआईआर और कोर्ट में दायर इस्तगासे का असर नहीं हुआ

इस पूरे मामले में एफआईआर (FIR) और न्यायालय (Court) में दायर इस्तगासे (Prosecution) तक का कोई असर नहीं हुआ। मामले को फाइलों में दबा दिया गया और इस पर कोई सुनवाई नहीं की गई। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत के कारण यह मामला आगे नहीं बढ़ सका।

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स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की फाइल लगाई

राजमल लबाना ने अगस्त 2025 में अपनी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement Scheme - VRS) की फाइल लगाई और अधिकारियों ने उसे मंजूरी (Approval by Officials) भी दे दी। यह घटना यह दर्शाती है कि किस तरह से सरकारी अधिकारियों की मदद से राजमल को अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त किया गया, भले ही वह फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए यह नौकरी हासिल कर चुके थे।

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दोष साबित होने पर सात साल तक की सजा

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, अगर फर्जी दस्तावेज से नौकरी का दोष साबित हो जाता है तो आरोपी को सात साल तक की सजा (Seven Years of Punishment) हो सकती है। इस मामले में यदि राजमल लबाना (Rajmal Labana) को दोषी पाया जाता है तो उसे सजा (Punishment) हो सकती है, जो एक अहम सवाल है कि क्या सजा मिलने के बाद उसकी भविष्यवाणी की जाएगी या नहीं।

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अधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा

नौकरी में फर्जीवाड़ा का यह मामला स्कूल शिक्षा विभाग राजस्थान (Education Department) और वित्त विभाग (Finance Department) के अधिकारियों की मिलीभगत को उजागर करता है। अधिकारियों ने सर्विस बुक (Service Book) से पुराने दस्तावेज हटाए और फर्जी जाति प्रमाण पत्र जोड़ दिया। इसके अलावा, जमाबंदी (Jamabandi) और सरकारी दस्तावेज में जहां लबाना (एसबीसी) (SBC) दर्ज था, वहीं नौकरी के लिए नायक (एससी) (SC) लिखवाया गया, जिससे राजमल लबाना को फर्जी लाभ मिला।

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क्या है इस मामले का प्रभाव?

इस मामले का असर सिर्फ राजमल लबाना पर ही नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारियों की सिस्टम (System) और मूल्य प्रणाली (Value System) पर भी पड़ा है। यह घटना यह दर्शाती है कि किस प्रकार से फर्जी दस्तावेज (Fake Documents) तैयार कर सरकारी नौकरी हासिल की जा सकती है और यह कैसे मिलीभगत (Collusion) से चलती है।

FAQ

1. राजमल लबाना ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र कैसे प्राप्त किया?
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में राजमल लबाना ने 1991 में एससी (नायक) (SC (Nayak)) का फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी शिक्षक की नौकरी प्राप्त की।
2. फर्जी दस्तावेज मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भूमिका क्या थी?
अधिकारियों ने सर्विस बुक (Service Book) से पुराने दस्तावेज हटाकर फर्जी जाति प्रमाण पत्र जोड़ा और सरकारी दस्तावेज में छेड़छाड़ की।
3. क्या राजमल लबाना को सजा मिल सकती है?
यदि दोषी पाया जाता है, तो राजमल लबाना को सात साल तक की सजा (Seven Years of Punishment) हो सकती है, क्योंकि यह मामला फर्जी दस्तावेज (Fake Documents) से जुड़ा है।
4. क्या राजमल लबाना के फर्जी दस्तावेज का मामला जांच के लिए उठाया गया था?
हां, 2019 में कलक्टर की जनसुनवाई (Collector's Public Hearing) के बाद इस मामले की जांच शुरू हुई और पाया गया कि राजमल ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र (Fake Caste Certificate) के जरिए नौकरी प्राप्त की थी।

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