अनोखा विरोध प्रदर्शन : पार्षद कटोरा लेकर पहुंचे, किसान की जिला प्रमुख को प्याज की माला पहनाने की कोशिश

राजस्थान के अलवर जिला परिषद सभागार में बैठक में पार्षद प्याज की माला लेकर पहुंच गए। इस अनोखे विरोध और हंगामेदार माहौल ने सभी का ध्यान खींचा। अधिकारियों के ना आने के कारण बैठक को स्थगित करना पड़ा।

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Amit Baijnath Garg
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Alwar. राजस्थान के अलवर जिला परिषद सभागार में सोमवार को आयोजित जिला परिषद की बैठक में इस बार अनोखा विरोध देखने को मिला, जहां पार्षद प्याज की माला लेकर बैठक में पहुंच गए। हालांकि बैठक शुरू होते ही कोरम पूरा न होने के कारण इसे आगामी तारीख तक स्थगित कर दिया गया, लेकिन इससे पहले हंगामेदार माहौल ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

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भीख नहीं, अधिकार चाहिए

बैठक के दौरान जिला पार्षद जगदीश जाटव हाथ में कटोरा लेकर पहुंचे। उन्होंने सरकार के वादों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जनता और प्रतिनिधि दोनों ही परेशान हैं, लेकिन सरकार केवल दावे कर रही है। जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हो रहा। उन्होंने सरकार पर ग्रामीण विकास की उपेक्षा का आरोप लगाया। पार्षद जाटव ने कटोरे को प्रतीक बनाकर कहा हमें भीख नहीं, अधिकार चाहिए। राजस्थान सरकार ने हमें इस स्थिति में खड़ा कर दिया है। 

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प्याज की माला पहनाने की कोशिश

फौलादपुरिया गांव के किसान और पार्षद संदीप फौलादपुरिया ने प्याज की माला लेकर जिला परिषद की बैठक में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि प्याज के दामों में गिरावट के कारण किसान बुरी तरह आर्थिक संकट में फंसा हुआ है, लेकिन सरकार इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज कर रही है। संदीप ने जिला प्रमुख को प्याज की माला पहनाने की कोशिश भी की, लेकिन जिला प्रमुख ने उनका ज्ञापन स्वीकार कर आश्वासन दिया। 

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इस बार प्याज की बंपर फसल

अलवर में इस बार प्याज की बंपर फसल हुई है, लेकिन भाव नहीं मिलने से किसान बरबाद हो रहा है। अगर सरकार ने किसानो की सुध नहीं ली तो किसान आत्महत्या करने को मजबूर होगा। किसानों की प्याज एक बीघा में करीब बीस हजार की बिक रही है, जबकि लागत चालीस हजार रुपए आ रही है। खेत से मंडी तक लाने का भाड़ा भी नहीं निकल रहा।

एमएसपी लागू करने की मांग

प्याज संकट को लेकर रामगढ़ के प्रधान एवं एडवोकेट नसरू खान भी सामने आए। उन्होंने कहा कि किसानों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। यदि सरकार ने इस बार प्याज की समस्या पर ध्यान नहीं दिया, तो स्थिति और अधिक भयावह हो जाएगी। उन्होंने किसान हित में तत्काल प्रभाव से ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने सरकार से प्याज पर एमएसपी लागू करने की मांग की। 

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7 नवंबर को होगी अगली बैठक

कोरम पूरा न होने के कारण बैठक भले ही स्थगित हो गई हो, लेकिन इस विरोध प्रदर्शन ने स्पष्ट कर दिया है कि किसान और जनप्रतिनिधि अब अपनी समस्याओं को लेकर ज्यादा मुखर हैं और सरकार को जल्द फैसले लेने होंगे। जिला प्रमुख बलवीर सिंह छिल्लर ने 7 नवंबर को बैठक रखने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि जो भी अधिकारी आज नहीं आए हैं, अगर उस दिन भी नहीं आए तो नोटिस दिया जाएगा।  

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बैठक में कटोरा लेकर पहुंचे पार्षद। Photograph: (the sootr)

क्यों है प्याज के दामों में कमी

अलवर मंडी में प्याज के 2 रुपए किलो से लेकर 10 रुपए किलो तक के भाव मिल रहे हैं। इसके लिए केंद्र सरकार की निर्यात नीति जिम्मेदार है। पहले 14 फीसदी एक्साइज ड्यूटी थी, अब 20 प्रतिशत हो गई है। इसके चलते महाराष्ट्र और गुजरात की साइड की प्याज का पुराना स्टॉक अभी भारत में ही है। निर्यात नहीं होने से प्याजों के भाव नहीं मिल पा रहे हैं।

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लागत भी नहीं निकल रही

प्याज किसानों की लागत 40000 रुपए बीघा के हिसाब से आती है, लेकिन अब किसानों को मात्र 20000 रुपए बीघा ही मिल पा रहा है। शुरुआत में तो दस हजार में भी प्याज नहीं बिक रही थी। फल-सब्जी मंडी आढ़ती यूनियन के संरक्षक अभय सैनी का कहना है कि विगत वर्षों की तुलना में इस बार प्याज का उत्पादन व लागत मूल्य बढ़े हैं, लेकिन बारिश के कारण किसानों की प्याज खराब भी हो गई थी। वहीं अच्छे मुनाफे के कारण किसानों ने दोबारा भी प्याज लगना शुरू किया था। 

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प्याज की गुणवत्ता भी जरूरी

इस बार बाजार में प्याज की कीमत कम होने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सैनी का कहना है कि प्याज को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि प्याज का मूल्य निर्धारित होने से किसानों को फायदा हो सके। प्याज के भाव गुणवत्ता पर भी निर्भर करते हैं। जल्दी फसल लेने के कारण इसमें नमक बगैरह डालकर इसे जल्दी तैयार करते हैं। अलवर की प्याज की लाइफ भी ज्यादा नहीं है। इसका ज्यादा दिन स्टॉक नहीं किया जा सकता है।

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