New Delhi. देश की सियासत में अब नई बहस छिड़ गई है। संसद के कर्मचारियों के लिए पुष्प आकृति (कमल का फूल) वाले नए ‘ड्रेस कोड' ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया। कांग्रेस ने इसे सत्तारूढ़ पार्टी के चुनाव चिह्न (कमल) को बढ़ावा देने के लिए ‘ओछी’ रणनीति करार दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि जी20 सम्मेलन के लोगो के डिजाइन में भी जानबूझकर कमल का इस्तेमाल इसी मकसद से किया गया। अब संसद के कर्मचारियों की यूनिफॉर्म में भी वह ऐसा ही प्रयोग कर रही है। उसने पूछा है कि सिर्फ कमल ही क्यों, मोर और चीता क्यों नहीं, वहीं बीजेपी ने आरोपों को खारिज कर कहा कि कमल भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। कांग्रेस जबरन इसे तूल दे रही है।
कैसी है नई यूनिफॉर्म
नई यूनिफॉर्म में अब भारतीय परंपरा की झलक दिखाई देगी। लोकसभा सचिवालय के आंतरिक परिपत्र के अनुसार, मार्शल, सुरक्षा कर्मचारियों और अधिकारियों, चैंबर अटेंडेंट और चालकों को नई वर्दी जारी की गई है, जिसे नए संसद भवन में कामकाज शुरू होने के बाद उन्हें पहनना होगा। मार्शल सफारी सूट के बजाय क्रीम रंग का कुर्ता और पायजामा पहनेंगे। अधिकारी क्रीम कलर की शर्ट पहनेंगे। इस पर गुलाबी रंग के कमल के फूल की प्रिंटिंग होगी। कर्मचारी शर्ट के ऊपर मेहरून स्लीवलेस जैकेट भी पहनेंगे। नीचे खाकी रंग की पैंट होगी। यूनिफॉर्म को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) ने डिजाइन किया है।
विपक्ष ने लगाया बीजेपी पर आरोप
यूनिफॉर्म पर कमल का फूल प्रिंट होना विपक्ष को अखर गया है। इस पर राजनीतिक बखेड़ा खड़ा होता दिख रहा है। कमल सत्तारूढ़ बीजेपी का चुनाव चिन्ह है। यही कारण है कि इसे लेकर विपक्षी दलों खासतौर से कांग्रेस ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट जारी कर सवाल किया है कि आखिर सिर्फ कमल ही क्यों? मोर और चीता क्यों नहीं? शायद इसलिए कि ये बीजेपी के चुनाव चिन्ह नहीं हैं। उन्होंने बीजेपी पर नए संसद भवन पर कब्जा करने की कोशिश का आरोप लगाया।
18 सितंबर को नए सत्र में पहनी जाएगी वर्दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को नई संसद का शुभारंभ किया था। तभी से नई यूनिफॉर्म को पहना जाना था। यह और बात है कि कुछ कारणों इसमें देरी हुई। अब 18 सितंबर को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। यह सत्र पुराने भवन में शुरू होगा। फिर उसके अगले दिन से संसदीय कार्यवाही नए संसद भवन से चलेगी। ऐसे में कर्मचारी नई वर्दी पहनकर काम करेंगे।
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने संसद के कर्मचारियों की नई वर्दी पर कमल के फूल छपे होने से संबंधित खबरों को लेकर आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संसद को एकपक्षीय मंच बना रही है। लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक टैगोर ने यह सवाल भी किया कि राष्ट्रीय पशु और राष्ट्रीय पक्षी क्रमश: बाघ एवं मोर के बजाय सिर्फ ‘कमल' को ही क्यों दर्शाया जा रहा है? उन्होंने साोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘सिर्फ कमल ही क्यों? मोर क्यों नहीं या बाघ क्यों नहीं? यह भाजपा पार्टी का चुनाव चिह्न नहीं है. ओम बिरला जी, यह गिरावट क्यों?''
यह तो बीजेपी का चुनाव चिह्न है...
टैगोर ने कहा कि संसद के कर्मचारियों की वर्दी पर बीजेपी का चुनाव चिह्न है। उन्होंने जी20 में भी ऐसा किया था। अब ये लोग फिर से ऐसा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय पुष्प है। उन्होंने कहा कि इस तरह का ‘ओछापन' ठीक नहीं है और आशा है कि बीजेपी इन सबसे ऊपर उठेगी और संसद को एकपक्षीय मंच नहीं बनाएगी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। संसद सभी दलों से ऊपर है। इससे पता चलता है कि बीजेपी हर दूसरी संस्था में हस्तक्षेप कर रही है।
बीजेपी का पलटवार : कांग्रेस को हर उस चीज से नफरत है जो भारतीय है
भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर कहा है कि कमल भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा, उनके लिए, कमल प्रतीकवाद का प्रतीक है, हमारे लिए यह एक सांस्कृतिक प्रतीक है। कमल का उल्लेख हमारे पुराणों, वेदों में किया गया है, यह भारतीय लोकाचार का हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा, हमारी संस्कृति का जश्न मनाने के बजाय, वे इस पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें हर उस चीज से नफरत है जो ‘भारतीय’ है। उन्होंने G20 के दौरान भी हंगामा किया था और वे फिर से ऐसा कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सदन में जो कुछ भी होता है वह अध्यक्ष का विशेषाधिकार है और कांग्रेस को हर जगह विवाद नहीं तलाशना चाहिए।