इंदौर में स्कीम 171 के दायरे में आई 13 सहकारी संस्थाओं को व्यक्तिगत स्तर पर मिलेगी NOC, IDA बोर्ड में प्रस्ताव पास

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Rahul Garhwal
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इंदौर में स्कीम 171 के दायरे में आई 13 सहकारी संस्थाओं को व्यक्तिगत स्तर पर मिलेगी NOC, IDA बोर्ड में प्रस्ताव पास

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में द सूत्र की खबर का एक बार फिर गहरा असर हुआ है, 30 सालों से अपने प्लॉट की राह देख रहे सैकड़ों परिवारों को अब आईडीए से एनओसी मिलने का रास्ता साफ हुआ है। भूमाफिया से बचाव के लिए तय हुआ है कि स्कीम 171 के दायरे में आ रही 13 संस्थाओं के सदस्यों को एनओसी व्यक्तिगत स्तर पर दी जाएगी, यानी पूरी संस्था को स्कीम से मुक्त ना करते हुए सदस्यों को एनओसी जारी होगी, जिसके आधार पर वे निगम से भवन अनुज्ञा ले सकेंगे। इसके लिए आईडीए बोर्ड ने गुरुवार (13 अप्रैल) की बैठक में सर्वसहमति से फैसला लिया।



आमजन की समस्याओं को समझते हुए फैसला



बोर्ड में पास हुए प्रस्ताव के संकल्प लिखित दस्तावेजीकरण होने में कुछ दिन का समय लगेगा और इसके बाद संस्था के सदस्य आईडीए में आवेदन कर सकेंगे, इन आवेदन पर स्कीम से उनके प्लाट मुक्ति की कार्रवाई की जाएगी। आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा, उपाध्यक्ष गोलू शुक्ला के साथ ही कलेक्टर डॉ. इलैया राजाटी की इस फैसले को लेकर अहम भूमिका रही। सीईओ आरपी अहरिवार ने कहा कि बोर्ड ने सर्वसहमति से आमजन की समस्याओं को समझते हुए ये फैसला लिया है।



पीड़ितों के मन में सबसे बड़ा सवाल ये है



इस एनओसी के बाद सबसे बड़ा सवाल सभी पीड़ितों के मन में यही है कि इसके आधार पर क्या निगम उन्हें वैध कॉलोनी मानेगा और क्या हमें भवन अनुज्ञा मिलेगी? क्योंकि नियमों के आधार पर वैध कॉलोनी का दर्जा केवल निगम दे सकता है और इसके लिए सर्वे नंबर जारी करना, सभी विभागों से एनओसी लेना और फिर दावे आपत्ति बुलाकर नया ले-आउट प्लान जारी कर शुल्क लेना और इसके बाद ही वैध कॉलोनी घोषित होती है और वैध में ही भवन अनुज्ञा निगम जारी करता है।



कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने दिया इसका जवाब



कलेक्टर डॉ. राजा ने द सूत्र से बात करते हुए इस असमंजस को दूर करते हुए कहा कि ये कॉलोनी आईडीए की कॉलोनी के तहत ही ट्रीट होगी, इसके लिए अलग से पूरी प्रक्रिया की जरूरत नहीं होगी और इस व्यक्तिगत आधार पर प्लॉट धारक को ये भवन अनुज्ञा निगम द्वारा जारी की जाएगी। जिला प्रशासन इसमें सभी विभागों के साथ इसमें सामंजस्य करते हुए ये तय करेगा कि कोई वास्तविक प्लॉट धारक परेशान नहीं हो, कमेटी सही व्यक्ति को एनओसी दिलवाएगी और फिर उन्हें भवन अनुज्ञा भी मिलेगी। सही को हक मिलने के साथ हमारा ध्यान इस बात पर भी है कि भूमाफिया किसी भी तरह इसमें दखल नहीं दे सके और कोई खेल नहीं कर सकें।



किस तरह से व्यक्तिगत एनओसी मिलेगी



आईडीए- सदस्य आवेदन करेगा, हम इन आवेदनों को जिला प्रशासन के पास भेजेंगे, कलेक्टर महोदय के माध्यम से सहकारिता विभाग से इन आवेदन की जांच की जाएगी कि ये सही सदस्य है कि नहीं, इन्हें ही प्लॉट मिला कि नहीं, उनकी हां आने के बाद इन्हें व्यक्तिगत स्तर पर एनओसी दी जाएगी।



आईडीए उनसे राशि किस तरह से लेगा



आईडीए- आईडीए ने पहले स्कीम पर 5.87 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, ये हम कुल प्लॉट धारकों में बांट देंगे, इस तरह एक प्लॉट धारक से लगने वाली राशि ली जाएगी। इसके साथ ही एमआर 10 का विस्तार हो रहा है, इसमें अभी और कुछ राशि लगेगी, इसका भी जोड़कर लेंगे। फिर कुल विकास में खर्च राशि को हर प्लॉट धारक से डिवाइड कर व्यक्तिगत राशि निकालेंगे और ये जमा कराकर एनओसी दी जाएगी।



यदि संस्था के सदस्य के अलावा किसी का प्लॉट आता है तो



आईडीए- तब भी यही प्रक्रिया होगी, उसे भी आवेदन करना होगा और हम जिला प्रशासन के माध्यम से इसकी जांच कराएंगे और सही पाए जाने पर उनसे भी विकास राशि लेकर मुक्ति देंगे।



शासन से नोटिफिकेशन तो पूरी संस्था को मुक्त करने का है, फिर व्यक्गित कैसे होगा



आईडीए- यदि हम पूरी संस्था को मुक्त करते हैं तो शासन के पास प्रस्ताव जाता, लेकिन आईडीए स्कीम नहीं छोड़ रहा है, व्यक्तिगत एनओसी दे रहा है, इसलिए शासन के पास प्रस्ताव नहीं जाएगा और स्थानीय स्तर पर प्रशासन के माध्यम से सहकारिता से आवेदन पर सहमति लेकर ये प्रक्रिया की जाएगी।



इस प्रक्रिया की क्या जरूरत पड़ी, क्या आशंका है



आईडीए- हमने जुलाई 2021 में भी प्रस्ताव पास किया था जिसमें सहकारिता विभाग से सही भूधारकों की पहचान और सूची की बात हुई थी, लेकिन वे नहीं आ सकी। अब इस बार कलेक्टर महोदय के माध्यम से ये प्रक्रिया होगी, ताकि कोई भी गलत व्यक्ति जिसका हक नहीं है वो हमसे एनओसी नहीं ले सके, वास्तविक सदस्य, प्लॉट होल्डर को ही ये एनओसी मिले, इसलिए ये प्रक्रिया की गई है।



इस प्रक्रिया में देर नहीं हो इसके लिए क्या कदम उठाएंगे



आईडीए- इस प्रक्रिया में देरी नहीं हो इसके लिए सिटीजन चार्टर के तहत कार्रवाई करेंगे, ताकि एक तय समय सीमा मोटे तौर पर 30 दिन में हमें आवेदन पर सहकारिता विभाग का पत्र मिल जाए और इसके आधार पर हम राशि की गणना कर उसे राशि भरने का पत्र दे सकें और ये जमा होने के बाद एनओसी जारी करेंगे।



क्या वैध कॉलोनी होंगे, मकान बना सकेंगे, पीड़ितों की आशंका



पुष्प विहार रहवासी संघ के एनके मिश्रा ने कहा कि आईडीए ने जो फैसला लिया है, इसमें बस जल्द अमल हो जाए और उनकी एनओसी इस तरह की हो कि हमें निगम से भी मंजूरी मिल सके। हमें आशंका यही है कि क्या वे लिखित एनओसी देंगे और इस आधार पर क्या निगम हमें वैध कॉलोनी मानकर भवन मंजूरी और अन्य सुविधाएं देगा। आईडीए और निगम, जिला प्रशासन को इस सवाल पर गौर करना चाहिए, नहीं तो फिर सीएम शिवराज सिंह चौहान की मंशा और हमारे सपनों पर पानी फिर जाएगा। सवाल यही है कि आईडीए की व्यक्तिगत एनओसी को निगम, बिजली विभाग और अन्य शासकीय एजेंसी मान्य करें, ताकि पीड़ित जब घर बनाएं तो उन्हें वैध कॉलोनी जैसी सुविधाएं मिल सकें, जिसके वे वाजिब हकदार हैं।



द सूत्र ने उठाया था मुद्दा



द सूत्र ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था कि भूमाफिया से जमीन मुक्त होने और शासन से स्कीम से मुक्ति का नोटिफिकेशन आने, सीएम की घोषणा होने के बाद भी इस मामले में ढीलपोल चल रही है और अभी तक जमीन को स्कीम से मुक्त नहीं किया गया है। द सूत्र द्वारा मुद्दा उठाए जाने के साथ ही पीड़ित सदस्यों ने भी आईडीए जाकर अपनी मांग रखी थी। इसी तरह अयोध्यापुरी का भी मुद्दा उठाया था कि एनओसी 20 साल पहले जारी होने के बाद भी आईडीए में पत्र अटका हुआ है, इसके बाद 2 दिन में आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा ने मामला संज्ञान में आते ही इस पर तत्काल एनओसी जारी कराने का काम किया था।



आईडीए बोर्ड में ये प्रस्ताव भी हुए पास




  • सीएम राइज स्कूल नंदानगन, पालकांकरिया और मूसाखेडी की निविदा मंजूर


  • विविध टीपीएस योजनाओं की प्रशासकीय मंजूरी

  • पर्यावरण एवं विकास में समन्वय के उद्देश्य से एक ग्रीन रिंग कॉरिडोर क्लस्टर योजना जिससे शहर के बाहर कार्य क्षेत्र हेतु भूमि उपलब्ध हो एवं शहर के अंदर वाहनों का दबाव कम हो तथा ट्रैफिक जाम की समस्या में कमी आए। प्रस्तावित ग्रीन रिंग कॉरिडोर को नवीन मास्टर प्लान में सम्मिलित किए जाने हेतु प्रस्ताव आयुक्त सह संचालक, नगर और ग्राम निवेश विभाग को भेजे जाने का निर्णय लिया गया। ये कॉरिडोर लगभग 65 किलोमीटर का होकर इसमें 30 गांवों की लगभग 3300 हेक्टेयर भूमि सम्मिलित होगी।


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