Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के स्थान पर संविदा नियुक्ति देने और बाद में उसे भी निरस्त कर देने के मामले में सरकार के रवैए पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि नियम इस बात की इजाजत नहीं देते कि अनुकंपा नियुक्ति को संविदा में परिवर्तित कर दिया जाए। अनुकंपा पूर्णकालिक नियुक्ति है, इसलिए पात्र को संविदा नियुक्ति देना अवैधानिक है। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने 20 साल पुराने मामले में डायरेक्टर वेटरनरी साइंस भोपाल को 8 हफ्ते के भीतर याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने का आदेश दिया है।
1 लाख का जुर्माना भी लगाया
अदालत ने कहा कि अधिकारियों के कृत्य से गंभीर अन्याय हुआ है, जिसके लिए उन पर जुर्माना लगाना उचित है, कोर्ट ने डायरेक्टर समेत अनावेदक अधिकारियों को सम्मिलित या पृथक तौर पर याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपए अदा करने के भी निर्देश दिए हैं।
पिता की मौत के बाद दे दी थी संविदा नियुक्ति
रीवा के धर्मेंद्र कुमार त्रिपाठी ने याचिका प्रस्तुत कर बताया था कि उसके पिता असिस्टेंट वेटरनरी ऑफीसर पद पर पदस्थ थे। साल 2000 में उनकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामनारायण तिवारी ने बताया कि धर्मेंद्र को संविदा शाला शिक्षक वर्ग-2 के रूप में नियुक्त किया गया। उसके 5 माह बाद संविदा नियुक्ति भी निरस्त कर दी गई। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि अनुकंपा नियुक्ति के स्थान पर संविदा नियुक्ति देना पूरी तरह अवैधानिक है।
शासन ने बचाव में देरी को बनाया आधार
मामले में शासन की ओर से यह दलील दी गई कि याचिकाकर्ता ने 12 साल बाद 2014 में याचिका दायर की थी, जिसे देरी के आधार पर खारिज कर दिया गया। यह भी कहा गया कि उस समय कोई पद खाली नहीं था।