Gwalior. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कमलनाथ और कांग्रेस ने नारा दिया था वक्त है बदलाव का । नारे ने असर किया और शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा की पन्द्रह साल पुरानी सरकार चली गई। इस नारे का सबसे ज्यादा असर हुआ था राजा और महाराजा के गढ़ ग्वालियर-चम्बल अंचल में जहां की 34 सीटों में से 26 कांग्रेस जीत गई थी। लेकिन पन्द्रह महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने अपनी ही सरकार बदल दी। इस ग्रैंड दलबदल के बाद अंचल में कांग्रेस की कई सीटें जाती रही, लेकिन अभी भी वह अंचल में भाजपा से बड़ी पार्टी है। इसलिए कांग्रेस इस बार भी सत्ता में वापसी का रास्ता खोजने ग्वालियर अंचल में ही आ रही है। शनिवार को इसकी औपचारिक शुरुआत हुई। बैठक के मुखिया थे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह।
दिग्गी ने पहली बार ली बैठक
ग्वालियर में आयोजित हुई बैठक कई मायनो में अपने अतीत से अलग और अभूतपूर्व थी। सत्तर के दशक के बाद पहला मौका था जब राघोगढ़ के राजा महाराज सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में पूरे रसूख के साथ संभागभर के कांग्रेसियों की बैठक ले रहे थे।1976 के बाद से यहां की कांग्रेस में महाराज (माधवराव और ज्योतिरादित्य सिन्धिया ) की मर्जी के बगैर पत्ता भी नही हिल सकता था। प्रदेश के मुख्यमंत्री चाहे अर्जुन सिंह रहे हो या दिग्विजय सिंह ,कांग्रेस के सत्ता और संगठन में तो जयविलास की ही सत्ता चलती थी। भाजपा ने कांग्रेसमुक्त भारत का नारा भले ही अभी पूरी तरह सत्य नही हो पाया हो, लेकिन सिंधिया मुक्त नारे को जेहन में बसाए वर्षों से संघर्ष कर रहे लोगो के लिए यह सच साबित हो गया।
बैठक में पुराने कांग्रेसी भी हुए शामिल
आज सिंधिया के धुर विरोधी परिवार के अशोक सिंह के होटल में हुई सिंधिया मुक्त कांग्रेस की इस बैठक के मंच हो या सामने की कुर्सियां, ज्यादातर पर वे लोग बैठे थे जो वर्षों से सिंधिया विरोध के कारण हाशिए पर रहे। मंच पर दिग्गी राजा के साथ नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह और अशोक सिंह के अलावा दिग्विजय सिंह के विधायक बेटे जयवर्धन सिंह भी थे। सिंधिया के धुर विरोधी भगवान सिंह और विधायक लाखन सिंह के अलावा एक ऐसी भी सख्शियत बैठी थी जो कभी माधव राव सिंधिया के आंख का तारा हुआ करते थे ,मप्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राम निवास रावत। बैठक में संभाग के सभी कांग्रेस विधायक,पूर्व विधायक, पूर्व सांसद,कांग्रेस,महिला और युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आदि मौजूद रहे।
दिग्गी ने की वन टू वन चर्चा
बैठक में मीडिया को जाने की इजाजत नही थी। सूत्रों की माने तो बैठक में किसी ने भी सिंधिया का जिक्र नही किया। स्वयं दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस बार संभाग की सभी सीट हमे जीतने के हिसाब से तैयारी करनी है। सूत्रों के अनुसार पहले साझा बैठक में विचार हुआ। उसके बाद दिग्विजय सिंह ने विधानसभावार वहां के नेताओं से वन टू वन किया। यही वजह है कि बैठक से नेता एक साथ नही निकले। पहले चौधरी राकेश सिंह निकले और फिर क्रमशः सतीश सिकरवार, फूलसिंह बरैया, विधायक बाबू जंडेल भी निकलकर चले गए।
हमें नही पता था कि ज्योतिरादित्य बिक जाएंगे
दिग्विजय सिंह ने कहा 2018 में जनता ने भाजपा को नकार दिया। कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार अच्छा काम कर रही थी । सबको पता है कि हमारी सरकार कैसे गई? हमको नहीं पता था ज्योतिरादित्य सिंधिया बिक जाएंगे। पैसे बहाकर कैसे सरकार गिराई गई, सबको पता है।
दतिया से होगी प्रताड़ना के विरुद्ध जंग की शुरुआत
बैठक के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार कांग्रेसियों को प्रताड़ित कर रही है। उन्हें झूठे केसों में फंसाया जा रहा है। इनके आधार पर लोगों के मकान, दुकान तोड़ी जा रही है। उन्होंने सवाल किया कि दंड देने का अधिकार संविधान को है लेकिन यह सरकार निर्दोष लोगों को सीधे दंड दे रही है। कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न के खिलाफ प्रदेशभर में संभाएं कर आंदोलन का सूत्रपात करेगी। इसकी शुरुआत दतिया से होगी जहां सौ से ज्यादा कांग्रेसजनों पर झूठे मुकद्दमे दर्ज कर दिए गए है।
पहले 20 हजार करोड़ का कर्ज था, अब साढ़े तीन लाख करोड़ का
दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस समय संविधान का राज संकट में है। सरकार मुंह देख देखकर लोगो पर कार्रवाई कर रही है। कांग्रेस संविधान की अनुसार धार्मिक स्वतंत्रता और सबको शांतिपूर्वक जीने के अधिकार की हिमायती है । जनता महगाई से त्रस्त है लेकिन सरकार धर्म के नाम पर बांटकर देश को कमजोर करने में लगी है। कांग्रेस इसके खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखेगी। उन्होंने कहाकि मप्र की आर्थिक हालत खराब हो गई है। जब हमने सरकार छोड़ी थी तब राज्य पर मात्र बीस हजार करोड़ रुपये का कर्ज था जो याब बढ़कर साढ़े तीन लाख करोड़ हो गया है।