Bhopal. नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के चुनावों में मतदाताओं (Voters)को इस बार वोट (vote)डालने के बाद एक और काम करना होगा। यह काम इसलिए जरूरी है क्योंकि एक तो यह आपकी सेहत (Health)से जुड़ा है, दूसरा इस काम के लिए राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commison) दो दिन में 4 लाख 31 हजार रुपए से ज्यादा का खर्च कर रहा है। आपके और मतदान कर्मचारियों के स्वास्थ्य के मद्देनजर आयोग ने सभी कलेक्टरों को बजट भी जारी कर दिया है।
असल में इस बार हर मतदान केंद्र पर दो-दो साबुन हमेशा रखे रहेंगे। वजह है कोरोना के लगातार बढ़ते केस। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आयोग ने इस संबंध में व्यवस्था करने के लिए सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए थे। सभी जिलों से आई कार्ययोजना के बाद आयोग ने जिलेवार बजट भी आवंटित कर दिया है। इस काम के लिए आयोग द्वारा कुल 4 लाख 53 हजार 500 रुपए जिलों के लिए जारी भी कर दिए गए है। आयोग ने इस संबंध में हाल ही में जारी आदेश कलेक्टरों से कहा है कि स्थानीय निकायों के निर्वाचन के लिए आवंटित राशि में साबुन खरीद सकते हैं। इस संबंध में आयोग की वित्तीय सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी सुजाता रघुवंशी ने 26 जून 2022 को ही आदेश जारी किया है।
इंदौर - भोपाल में सबसे ज्यादा खर्च
मतदान केंद्रों में की जा रही इस व्यवस्था में सबसे ज्यादा खर्च इंदौर और भोपाल जिले में होना है। इसके लिए आयोग ने इंदौर जिले को 48 हजार 700 और भोपाल को 43 हजार 900 रुपए आवंटित किए गए हैं। जिन जिलों में अधिक साबुन खर्च किया जाना है, उनमें ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन भी टॉप 5 में शामिल है।
हाथ मलते रह गए पंचायतों के वोटर्स
नगरीय निकायों के साथ ही पंचायतों के भी त्रि-स्तरीय चुनाव चल रहे हैं, वोटिंग के दो राउंड हो चुके हैं और तीसरे चरण में 8 जुलाई को मतदान होना है। जिला पंचायत के चुनाव में शहरी क्षेत्र से लगे हुए वे ग्रामीण इलाके भी जो पंचायत में आते हैं, लेकिन सरकार के लिए दोनों के बीच का अंतर इस व्यवस्था से समझा जा सकता है। मतदाता तो दूर की बात, तंग सुविधाओं में मतदान कराने वाले कर्मचारियों के लिए भी इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। निकाय और पंचायत चुनावों में अलग-अलग व्यवस्था चल रही है। नगरीय निकाय के चुनाव ईवीएम से होना है तो पंचायत चुनाव बैलेट पेपर पर कराए जा रहे हैं।