BHOPAL. विधानसभा चुनाव दस्तक दे चुके हैं, इस सियासी समर में राजनेताओं के बीच नौकरशाह भी समय-समय पर कूदते चले आए हैं और कूदते चले जाएंगे। इन चुनावों में भी पूर्व और वर्तमान नौकरशाहों की खेप चुनावी समर में हाथ आजमाने बेताब है। इस बार इस फेहरिस्त में बहुचर्चित राज्य प्रशासनिक सेवा की निशा बांगरे का नाम सबसे ऊपर है तो जबलपुर से पूर्व आईएएस वेदप्रकाश टिकट पाने जद्दोजहद में लगे हुए हैं। वहीं कवींद्र कियावत, एमके अग्रवाल और रवींद्र कुमार मिश्रा भी पॉलिटिक्स में एंट्री ले चुके हैं।
सबसे बड़ा नाम अजीत जोगी
मध्यप्रदेश में सियासत में खुदको सफल साबित करने वाले नौकरशाहों में सबसे बड़ा नाम अजीत जोगी का है। वे जिस सीट मरवाही से चुनाव लड़ते थे, उस जिले के काफी समय तक कलेक्टर भी रहे थे। सीएम अर्जुन सिंह की सरपरस्ती में उन्होंने नौकरी छोड़ी और राजनीति में प्रवेश किया था। बाद में चलकर वे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी बने।
रूस्तम सिंह भी रहे सफल
आईपीएस रुस्तम सिंह ने भी राजनीति में खुदको सफल साबित किया। हालांकि वे रिटायरमेंट के बाद बीजेपी में शामिल हुए। चुनाव जीता और फिर मिनिस्टर भी बने थे। एक और आईपीएस पन्नालाल चौधरी का नाम भी इस फेहरिस्त में शामिल है, जो नौकरी के बाद चुनाव भी जीते थे। इनके अलावा अजातशत्रु, अजीता वाजपेयी पांडे, जीएस डामोर और हीरालाल त्रिवेदी के नाम भी इस लिस्ट में शामिल हैं। जीएस डामोर रतलाम से सांसद हैं। इनके अलावा एसएस उप्पल, वीणा घाणेकर और बीके बाथम भी राजनीति में अपनी पारी खेल रहे हैं या खेल चुके हैं।
कई गुमनाम भी रहे
ऐसा नहीं है कि राजनीति के मैदान में उतरने वाला हर नौकरशाह यूपीएससी की तरह यहां भी सफल रहा हो। आईएएस शशि कर्णावत कांग्रेस में गईं लेकिन गुमनाम रह गईं। इनके अलावा मान दाहिमा, लक्ष्मीकांत द्विवेदी, सरदार सिंह और सुशीलचंद्र वर्मा, भागीरथ प्रसाद, आरसी छारी, एसएन चौहान जैसे कई नाम हैं जो चुनावी मैदान में तो उतरे लेकिन कोई खास वजूद नहीं बना पाए।