मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के कार्यकाल को तीसरा एक्सटेंशन देने पर सरकार तलाश रही रास्ते

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Vikram Jain
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मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के कार्यकाल को तीसरा एक्सटेंशन देने पर सरकार तलाश रही रास्ते

BHOPAL. मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस 30 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में उनके एक्सटेंशन और नए मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर अफसरों और राजनेताओं में चर्चा का बाजार गरम बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि शिवराज सरकार इकबाल सिंह को तीसरा एक्सटेंशन दिलाने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेज चुकी है, केन्द्र सरकार ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। यदि केन्द्र सरकार सहमत होती है तो चुनाव आयोग की अनुशंसा के बाद इकबाल को तीसरी बार एक्सटेंशन दिया जा सकता है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि 3 दिसंबर की मतगणना को देखते हुए केन्द्र राज्य के प्रस्ताव को हरी झंडी दे देगा। यही वजह है कि अब तक राज्य सरकार ने प्रभारी मुख्य सचिव के लिए सीनियर आईएएस अफसरों का पैनल अब तक आयोग को नहीं भेजा है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह के रिटायर होने में मात्र 7 दिन का समय बचे है।

आचार संहिता में नया CS नियुक्त करने का अधिकार किसके पास

मंत्रालय के कुछ अफसरों का ये भी कहना है कि 1952 के बाद से अब तक ऐसी स्थिति पहली बार बनी है जब कोई मुख्य सचिव आचार संहिता के दौरान रिटायर हो रहा है। सरकार के भी कोई स्पष्ट नियम नहीं है कि यदि चुनाव आचार संहिता में मुख्य सचिव रिटायर होता है तो क्या चुनाव आयोग से अनुमति लेना अनिवार्य होगी या नहीं। एक तरह से कहा जाए तो ये मामला पूरी तरह से ग्रे एरिया में आता है। कारण कि चुनाव कराने की जिम्मेदारी कलेक्टर और उसके अधीन अमले की होती है और आचार संहिता के दौरान इन पर सीधा नियंत्रण चुनाव आयोग का होता है।

दो तर्कों के बीच मंथन

आचार संहिता के दौरान इन पर सीधे तौर पर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव का कोई नियंत्रण नहीं होता है। इसलिए सरकार किसे मुख्य सचिव बनाए किसे नहीं ये सीधे तौर पर सरकार का अधिकार है। लेकिन कुछ अफसर इस बात से सहमत नहीं है उनका कहना है कि मुख्य सचिव प्रशासनिक मुखिया होता है एक तरह से कलेक्टर्स का कंट्रोलिंग अफसर। भले ही चुनाव आचार संहिता में कलेक्टर चुनाव आयोग के अधीन काम करते हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से मुख्य सचिव का दबदबा बना रहता है। यदि ऐसे में सरकार अपनी पसंद के अफसर को मुख्य सचिव बनाती है तो इसका सीधा असर मतगणना के दौरान होने वाली गतिविधियों को नियंत्रण करने पर हो सकता है। सरकार के उच्च पदों पर पदस्थ अफसर इन्हीं दो तर्कों के बीच मंथन कर रहे हैं। यही वजह है कि अब तक सरकार वेट एंड वॉच की स्थिति में नजर आ रही है।

वीरा राणा हो सकती हैं कार्यवाहक मुख्य सचिव

इकबाल सिंह बैस के रिटायर होने के बाद से नई सरकार बनने तक 1988 बैच की सीनियर महिला अफसर वीरा राणा को कार्यवाहक मुख्य ​सचिव बनाया जाना तय माना जा रहा है। वीरा वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा मंडल में अध्यक्ष के पद पर पदस्थ हैं। ये मार्च 2024 में रिटायर हो रही हैं। दरअसल वीरा राणा से सीनियर आईएएस 1987 बैच के अफसर अजय तिर्की और 1988 बैच के संजय बंदोपाध्याय केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। ऐसे में मप्र में पदस्थ आईएएस के हिसाब से वीरा राणा सबसे सीनियर हैं, उनके बाद 1989 बैच के अनुराग जैन भी ​केन्द्रीय प्रतिनि​युक्ति पर पदस्थ हैं। ऐसे में आयोग को जिन तीन नामों को पैनल जाएगा उनमें पहला नाम वीरा राणा, दूसरा नाम मोहम्मद सुलेमान और तीसरा नाम विनोद कुमार का होगा। हालांकि विनोद कुमार के नाम के उपर भी 1989 बैच के दो अफसर आशीष उपाध्याय और राजीव रंजन मीणा हैं, ये दोनों अफसर भी केन्द्र में पदस्थ हैं।

पूरी संभावनाएं वीरा राणा के पक्ष में

चुनाव के परिणाम 3 दिसंबर को आ जाएंगे, लेकिन प्रदेश में 5 दिसंबर तक चुनाव आचार संहिता लगी रहेगी। इस हिसाब से सरकार कोई भी बड़ा फैसला आयोग की अनुमति के बगैर नहीं कर सकती। मुख्य सचिव के रिटायर होने से पहले सरकार को मुख्य सचिव पद के लिए तीन सीनियर आईएएस के नामों का पैनल बनाकर भेजना होगा। आयोग तीनों अफसरों की सीआर देखने के बाद निर्णय लेगा। आयोग की पहली प्राथमिकता सिनियरिटी रहती है, ऐसे में पूरी संभावनाएं वीरा राणा के पक्ष में जाती हैं। वीरा नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह तक प्रभारी मुख्य सचिव के पद पर रहेंगी। इसके बाद नई सरकार चाहे तो उन्हें कंटीन्यू कर सकती है या​ फिर तत्काल हटा भी सकती है।

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